झारखंड: ‘पीएम-केयर्स’ में भुगतान और ‘आरोग्य सेतु’ डाउनलोड करने की शर्त पर छह को ज़मानत

झारखंड हाईकोर्ट से ज़मानत पाने वाले छह लोगों में से एक भाजपा के पूर्व सांसद हैं. कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति पीएम-केयर्स में 35,000 रुपये जमा कराएगा और भुगतान का प्रमाण कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.

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झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

झारखंड हाईकोर्ट से ज़मानत पाने वाले छह लोगों में से एक भाजपा के पूर्व सांसद हैं. कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति पीएम-केयर्स में 35,000 रुपये जमा कराएगा और भुगतान का प्रमाण कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.

झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)
झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: झारखंड हाईकोर्ट ने एक पूर्व सांसद और पांच अन्य लोगों को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे पीएम-केयर्स फंड में 35,000 रुपये जमा कराएंगे और आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करेंगे.

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति पीएम-केयर्स में 35,000 रुपये जमा कराएगा और भुगतान का प्रमाण कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.

जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने आदेश देते हुए याचिकाकर्ताओं ये ये भी कहा कि जेल से छूटते ही वे ‘आरोग्य सेतु ऐप’ डाउनलोड करेंगे और कोरोना महामारी के संबंध में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों का पालन करेंगे.

एडिशनल लोक अभियोजक राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि छह याचिकाकर्ताओं भाजपा के पूर्व सांसद सोम मरांडी, विवेकानंद तिवारी, अमित अग्रवाल, हिसाबी राय, संचय बर्धन और अनुग्रह नारायण को 15 मार्च 2012 को झारखंड के पाकुड़ जिला में ‘रेल रोको’ आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था.

रेलवे न्यायिक मजिस्ट्रेट ने रेलवे एक्ट की धारा 174(ए) के तहत इन लोगों को एक साल की कारावास की सजा दी थी.

याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील दायर किया था, जो कि खारिज को गई थी. बाद में इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सत्र न्यायालय के आदेश को खारिज करने की मांग की थी. वे पिछली फरवरी से कस्टडी में थे.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल इस कोर्ट के द्वारा लगाई जाने वाली सभी शर्तों का पालन करेंगे. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए बनाए गए पीएम-केयर्स फंड में कोर्ट के आदेशानुसार भुगतान करेंगे.

कोर्ट ने जमानत आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता आधार कार्ड की एक स्व-सत्यापित प्रति और अपना मोबाइल नंबर कोर्ट में जमा कराएंगे जो कि इस मामले के लंबित होने तक बिना कोर्ट के आदेश के इसे बदलेंगे नहीं.