इंदौर के सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 17 मरीज़ों की मौत

एमवाय हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने से मरीज़ों की मौत होने का आरोप.

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एमवाय हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने से मरीज़ों की मौत होने का आरोप.

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इंदौर का एमवाय हॉस्पिटल. (फोटो साभार: पत्रिका)

इंदौर: मरीज़ों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कथित तौर पर बंद होने के कारण नौ मरीज़ों की मौत होने से इंदौर का शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवाय हॉस्पिटल) सुर्ख़ियों में है.

इस बीच एमवाय हॉस्पिटल के एक आला अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में 21 जून की सुबह आठ बजे से लेकर 22 जून सुबह आठ बजे तक कुल 17 मरीज़ों की मौत हुई है. हालांकि, अधिकारी ने ऑक्सीजन की आपूर्त बंद होने से मरीज़ों की मौत के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया.

शहर में मीडिया के एक तबके की ख़बरों में दावा किया गया है कि 1,400 बिस्तरों वाले एमवाय हॉस्पिटल की मेडिकल गहन चिकित्सा इकाई (एमआईसीयू), ट्रॉमा सेंटर और शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में गुरुवार तड़के चार बजे के आसपास ऑक्सीजन की आपूर्त कुछ देर के लिए बंद होने से चार नवजात बच्चों समेत नौ मरीज़ों की मौत हो गई.

मीडिया के सवालों पर एमवाय हॉस्पिटल के अधीक्षक वीएस पाल ने इन ख़बरों को ख़ारिज किया. लेकिन ताज़ा जानकारी के हवाले से बताया गया कि अस्पताल में 21 जून की सुबह आठ बजे से लेकर 22 जून सुबह आठ बजे तक 17 मरीज़ों की मौत हुई है. इनमें तीन मरीजों की मौत बुधवार सुबह, तीन मरीज़ों की मौत बुधवार दोपहर और 11 मरीजों की मौत रात की पाली में हुई है.

हालांकि उन्होंने कहा, एमवाय हॉस्पिटल में रोगियों के बिस्तरों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने से किसी मरीज़ की मौत की कोई घटना नहीं हुई है.

पाल ने मीडिया की ख़बरों में सामने आए इन आरोपों से भी इंकार किया कि एमवाय हॉस्पिटल में इलाज के दौरान गुरुवार तड़के मरे कुछ मरीज़ों के शवों को अस्पताल से फटाफट बाहर भिजवाने की ख़ातिर इनके शोकसंतप्त परिजनों के लिए शव वाहनों की व्यवस्था की गई, जबकि आमतौर पर इतनी तत्परता से इस तरह के इंतज़ाम नहीं किए जाते.

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दैनिक भास्कर अख़बार में 23 जून को प्रकाशित रिपोर्ट.

संदिग्ध हालात में मरे मरीजों के शवों के पोस्टमॉर्टम नहीं कराए जाने के बारे में पूछने पर एमवाय हॉस्पिटल के अधीक्षक ने कहा कि किसी भी मामले में शवों का पोस्टमॉर्टम कराना या नहीं कराना पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है.

इससे पहले, इंदौर संभाग के आयुक्त संजय दुबे और प्रभारी ज़िलाधिकारी शमीमुद्दीन गुरुवार सुबह एमवाय हॉस्पिटल पहुंचे और डॉक्टरों के साथ अलग-अलग वॉर्ड का निरीक्षण कर ऑक्सीजन की आपूर्ति और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली.

दुबे ने भी इन खबरों को सिरे से ख़ारिज किया कि मरीज़ों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कथित तौर पर बंद होने से अस्पताल में चार नवजात बच्चों समेत नौ मरीज़ों की मौत हो गई.

हालांकि उन्होंने कहा कि चूंकि यह संवेदनशील मामला है, इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी.

दुबे ने कहा कि एमवायएच के करीब 350 बिस्तरों को पाइपलाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है और इसके लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था है. अगर किसी गड़बड़ी से ऑक्सीजन लाइन में इस गैस का प्रवाह बाधित होता तो इसका दुष्प्रभाव सभी संबंधित बिस्तरों पर लेटे मरीज़ों पर पड़ना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को मृत मरीज़ों के परिजनों के साथ कांग्रेस ने एमवाय हॉस्पिटल में विरोध प्रदर्शन किया. इन लोगों ने राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की.

कांग्रेस नेता सत्यनारायण पटेल और तुलसीराम सिलावट ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर, दोषियों को कड़ी सजा देने और मृतकों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग भी की.

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दैनिक भास्कर ने इंदौर कमिश्नर और अस्पताल के अधीक्षक से बातचीत की.

शुक्रवार को दैनिक भास्कर के इंदौर संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में 24 घंटे में 17 मरीजों की मौत हो गई. इनमें से 11 मौतें 12 घंटों के भीतर (बुधवार रात आठ से गुरुवार सुबह आठ बजे तक) हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चौंकाने वाली बात यह है कि सात मरीजाें ने गुरुवार सुबह 4 से 4:30 बजे के बीच सिर्फ आधे घंटे में दम तोड़ दिया. इन मरीजों में से छह वेंटीलेटर पर थे. पांच मरीज़ पांचवीं मंजिल पर मेडिसिन आईसीयू में भर्ती थे, जबकि एक मरीज सर्जिकल आईसीयू और एक प्री-मैच्योर बच्चा सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती था.

दैनिक भास्कर के अनुसार, माैतों को लेकर अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठ रहा है क्योंकि सूत्रों की मानें तो रात तीन से चार बजे के बीच ऑक्सीजन सप्लाई 15 मिनट के लिए बाधित हुई थी. इसी दरमियान इन सात मरीज़ों की मौत हुई.

ख़ास बात यह है कि अस्पताल में जिस प्लांट से 350 मरीजों तक ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है, उसकी कमान 24 घंटे सिर्फ एक व्यक्ति के हाथ में रहती है. यानी वह कहीं चला जाए या रात में सो जाए और इस बीच ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो सप्लाय रुक सकती है.

हालांकि अस्पताल प्रशासन और इंदौर कमिश्नर ने इन्हें सामान्य मौत बताया है. उनका कहना है कि यहां रोज औसतन 10-15 मौतें होती हैं.

दैनिक भास्कर से बात करते हुए इंदौर कमिश्नर संजय दुबे ने कहा, ‘सभी मौतें अलग अलग कारणों से हुई हैं. आॅक्सीजन नहीं मिलने जैसा कारण नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि एमवाय अस्पताल में रोज़ाना औसतन 15 से लेकर 25 मरीज़ों की मौत का रिकॉर्ड है.’

आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. आनंद रॉय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि मृत मरीज़ों के परिजन अस्पताल प्रबंधन के ख़िलाफ़ अदालत का दरवाज़ा खटखटाएंगे.

डॉ. राय ने मामले के संबंध में एक वीडियो ट्वीट किया है. जिसमें मृत मरीज़ों के परिजनों से बात की गई है.

वीडियो में कुछ लोग बैठे हैं और आगे बैठा एक युवक कह रहा है, अस्पताल में दो एक डॉक्टर थे और नर्सें थीं. ये लोग आॅक्सीजन के बारे में कुछ बात कर रहे थे. बाद में शवों को मोर्चरी भेज दिया गया.

नोट: द वायर इस वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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