कोरोना वायरस: देश में मरने वालों में 75 फीसदी लोगों की उम्र 60 साल से अधिक

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से मरने वालों में 42.2 फीसदी की उम्र 75 आयुवर्ग से अधिक है. 33.1 फीसदी लोग 60-75 आयुवर्ग के, 10.3 फीसदी लोग 45-60 आयुवर्ग और 14.4 फीसदी लोग 45 साल से कम उम्र के थे.

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(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से मरने वालों में 42.2 फीसदी की उम्र 75 आयुवर्ग से अधिक है. 33.1 फीसदी लोग 60-75 आयुवर्ग के, 10.3 फीसदी लोग 45-60 आयुवर्ग और 14.4 फीसदी लोग 45 साल से कम उम्र के थे.

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नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश में कोरोना वायरस के लगभग 3.3 फीसदी मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 75.3 फीसदी लोगों की उम्र 60 साल से अधिक थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा कोरोना से मरने वाले लोगों में 83 फीसदी पहले से ही मधुमेह, हाइपरटेंशन और दिल संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से मरने वालों में 42.2 फीसदी की उम्र 75 आयुवर्ग से अधिक है. 33.1 फीसदी लोग 60-75 आयुवर्ग के, 10.3 फीसदी लोग 45-60 आयुवर्ग और 14.4 फीसदी लोग 45 साल से कम उम्र के थे.

बीते 24 घंटों में कोरोना से देश में 36 और मौतें हुई जबकि 957 नए मामले दर्ज हुए जिसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 488 और 14,792 हो गए हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश में कोरोना के 21.8 फीसदी मरीज तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने राज्यवार ब्योरा बताते हुए कहा कि तमिलनाडु में कोरोना के 84 फीसदी मामले तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं. दिल्ली में 63 फीसदी, तेलंगाना में 79 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 59 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 61 फीसदी, असम में 91 फीसदी और अंडमान और निकोबाल द्वीपसमूह में 83 फीसदी मामले तबलीगी जमात से जुडे़ हुए हैं.

बिहार के पटना, पश्चिम बंगाल के नादिया और हरियाणा के पानीपत इन तीन जिलों में बीते 14 दिनों में कोरोना के नए मामले दर्ज नहीं हुए थे लेकिन बीते 24 घंटों में यहां कोरोना के नए मामले सामने आए हैं.

देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 22 जिलों में 14 दिनों में कोरोना का कोई नया मामला सामने नहीं आया है.

ये 22 जिले बिहार का लखीसराय, गोपालगंज और भागलपुर है. राजस्थान के धोलपुर और उदयपुर, जम्मू कश्मीर का पुलवामा, मणिपुर का थोउबल, कर्नाटक का चित्रदुर्गा, पंजाब का होशियारपुर, हरियाणा का रोहतक और चरखी दादरी, अरुणाचल प्रदेश का लोहित, ओडाशा का भदरक और पुरी, असम का करीमगंज, गोलघाट, कामरुप ग्रामीण, नलबारी और साउथ सलमारा, पश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी और कामिलपोंग और आंध्र प्रदेश का विशाखापट्टनम हैं.

कर्नाटक के कोडागू से बीते 28 दिनों में कोरोना का कोई नया मामला सामने नहीं आया.

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल का कहना है कि केरल के कासरगोड में कोरोना रोकथाम उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिसमें तकनीक का इस्तेमाल और सार्वजनिक जागरूकता अभियान शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ‘सर्विलांस के लिए ड्रोन का इस्तेमाल और होम क्वारंटाइन के मद्देनजर लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जीपीएस तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है. यह 100 फीसदी होम टू होम सर्वे है.’

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ. आरआर गंगाखेड़कर का कहना है कि आईसीएमआर ने कोरोना की रोकथाम के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की प्रभावकारिता को देखने के लिए 480 मरीजों पर किए गए शोध का अध्ययन करना शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘यह ट्रायल नहीं है. हम इन दवाओं को लेने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए इसके नकारात्मक प्रभाव का भी अध्ययन कर रहे हैं. इनमें से 10 फीसदी ने पेट में दर्द, छह फीसदी ने मितली और कुछ ने हाइपोग्लेकेमिया की शिकायत की है.’

उन्होंने कहा कि 22 फीसदी लोग जिन्होंने दवाई ली है, उन्हें मधुमेह, ब्लड प्रेशर और श्वास संबंधी बीमारियां हैं और इसलिए उन्होंने ये दवा ली.

डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा, ‘हालांकि चिंताजनक यह है कि स्वास्थ्यकर्मी होने के बावजूद 14 फीसदी ने दवा लेने से पहले ईसीजी नहीं कराया था.’

मालूम हो कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना से बचने के लिए संभावित इलाज के तौर पर समझा जा रहा है.