पालघर मॉब लिंचिंग हिंदू-मुस्लिम या किसी भी तरह की सांप्रदायिक घटना नहीं है: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जो पालघर जिले में भीड़ हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं.

उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जो पालघर जिले में भीड़ हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई/दिल्ली: महाराष्ट्र के पालघर जिले में लॉकडाउन के दौरान पिछले हफ्ते तीन लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किये जाने की घटना के बाद मामले में सियासी बयानबाजी और इसे सांप्रदायिक रंग देने वाले आरोप-प्रत्यारोप के बीच सोमवार को प्रदेश सरकार ने कहा कि मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जो पालघर जिले में भीड़ हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं.

प्रदेश सरकार ने 16 अप्रैल को हुई इस वारदात में पहले ही उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिये हैं.

राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मामले को किसी भी तरह के सांप्रदायिक नजरिये से देखे जाने के खिलाफ चेतावनी दी थी क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि मारे गए तीन लोगों में से दो साधु थे.

ठाकरे ने एक वीडियो संदेश में कहा कि सोमवार को उन्हें अमित शाह का फोन आया था और उन्होंने खुद मामले में किसी तरह के सांप्रदायिक पहलू के नहीं होने की बात कही थी.

ठाकरे ने कहा, ‘मैंने उनसे उन लोगों पर कार्रवाई करने के लिये अनुरोध किया जो पालघर भीड़ हत्या मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है. मैंने उन्हें यह भी बताया कि मेरी सरकार निश्चित रूप से षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रही है.’

मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि तीन लोगों की भीड़ द्वारा हत्या के मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक (सीआईडी) अतुलचंद्र कुलकर्णी भीड़ हत्या के इस मामले की जांच का नेतृत्व करेंगे.

ठाकरे ने कहा कि भीड़ द्वारा तीन लोगों की पीट-पीटकर की गई हत्या का मामला अफवाह का लगता है और इस घटना की कोई सांप्रदायिक पृष्ठभूमि नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘जानकारी के मुताबिक बंद के दौरान साधु मुंबई से गुजरात के सूरत किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे. दादरा और नगर हवेली पुलिस ने उन्हें रोका और वापस महाराष्ट्र भेज दिया.’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने गढ़चिंदहली गांव से गुजरने वाले अंदरुनी रास्ते को चुना जो पालघर जिले से 110 किलोमीटर दूर है, यहां स्थानीय लोगों ने उन्हें बच्चा चुराने वाले गिरोह का सदस्य समझकर रोका. उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा पुलिस की गाड़ी पर भी हमला किया गया.

उन्होंने कहा, ‘5 मुख्य आरोपियों समेत पालघर से अबतक 110 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. कर्तव्य में लापरवाही बरतने पर दो पुलिसवालों को निलंबित किया गया है.’

ठाकरे ने कहा कि कुल आरोपियों में से नौ नाबालिग हैं और उन्हें रिमांड होम में भेज दिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी जानकारी दी है, जिन्होंने इस घटना के बारे में जानने के लिये फोन किया था.’

उन्होंने कहा, ‘इस जघन्य और शर्मनाक कृत्य के किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा और कानून उन्हें सख्त से सख्त सजा देगा.’

देशमुख ने कहा कि हमलावर और पालघर भीड़ हत्या में मारे गए लोग अलग-अलग धर्मों के नहीं थे.

मृतकों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) और वाहन चालक निलेश तेलगाडे (30) के तौर पर हुई है.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि पालघर से पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने जांच के बाद कासा पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक आनंदराव काले और उप-निरीक्षक सुधीर कटारे को कर्तव्य के निवर्हन में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया.

वहीं, कुछ हफ्ते पहले 200 करोड़ रुपये के बैंक फर्जीवाड़ा मामले की जांच के दौरान बर्खास्त कर दी गई एक महिला पुलिस अधिकारी को कासा पुलिस थाने का अस्थायी रूप से प्रभारी नियुक्त किया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस अधीक्षक सिंह ने सहायक निरीक्षक सिद्धवा जयभाये को थाने का प्रभारी नियुक्त किया है.

इस बीच, नई दिल्ली में कांग्रेस ने भाजपा पर पालघर में हुई घटना पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है जो शर्मनाक है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और पार्टी एक सुर में इसकी निंदा करती है.

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह किसी भी तरह से कोई सांप्रदायिक या हिंदू-मुस्लिम मामला नहीं है जैसा कि उन लोगों द्वारा इसे पेश करने की कोशिश हो रही है जो ऐसी हर घटना में सांप्रदायिक आग भड़काने का मौका तलाशते हैं. हम ऐसे सभी लोगों और राजनीतिक दलों व मीडिया के एक वर्ग समेत सभी ऐसे समूहों से ऐसा करने से बचने का अनुरोध करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘दुखद है कि भाजपा और उसके लोग, मीडिया का एक धड़ा इस घटना को सांप्रदायिक लहजे से पेश करने की कोशिश कर रहा है. राजनीतिकरण का यह प्रयास बहुत शर्मनाक है और इसे पूरी तरह खारिज किया जाना चाहिए.’

सुरजेवाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ त्वरित अदालती कार्यवाही और दोषियों को सजा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.

इससे पहले, दिन में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने भाजपा पर इस मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया.

ऑनलाइन आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रमेश ने पत्रकारों को बताया, ‘मुझे लगता है कि हमारे समाज के इतिहास मे्ं एक बेहद व्यथित करने वाले मौके पर भाजपा राजनीति कर रही है.’

वहीं मुंबई में कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को आरोप लगाया कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में गिरफ्तार किए गए ज्यादातर आरोपी भाजपा के सदस्य हैं.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव सचिन सावंत ने यह भी दावा किया कि भाजपा इस मामले में ‘सांप्रदायिक राजनीति’ कर रही है ताकि राजनीतिक फायदा उठा सके.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘घटना से संबंधित गांव दिवासी गढ़चिंचले पिछले 10 वर्षों से भाजपा का गढ़ माना जाता है. वहां का मौजूदा मुखिया भी भाजपा से है. घटना के लिए गिरफ्तार किए ज्यादतर लोग भाजपा से हैं.’

वहीं भगवा दल ने भीड़ के हमले के मामले को सांप्रदायिक रंग देने के आरोपों को खारिज करते हुए मामले में पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की है.

इस घटना के मद्देनजर भाजपा के कई नेताओं ने शिवसेना के नेतृत्व वाली राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार पर निशाना साधा और हिंदू साधुसंतों की सुरक्षा में ‘प्रशासनिक’ विफलता का आरोप लगाया.

भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने कहा कि उनकी पार्टी मामले का सांप्रदायिकरण नहीं कर रही और सिर्फ पुलिस तथा गृह विभाग की विफलता की बात कर रही है.

उल्लेखनीय है कि पालघर की घटना 16 अप्रैल की रात हुई थी, जब भीड़ ने चोर होने के संदेह में तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी. मृतकों में जूना अखाड़ा के दो संत भी शामिल हैं. नौ नाबालिगों सहित 100 से अधिक लोगों को पुलिस ने घटना में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)