मध्य प्रदेश: शिवराज चौहान ने पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में एक समारोह में पांच सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के मंत्रिपरिषद में दो बागी कांग्रेस विधायकों को भी जगह मिली है.

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मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उन्हें नवगठित पांच कैबिनेट सदस्यों के साथ. (फोटो: ट्विटर/@BJP4MP)

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में एक समारोह में पांच सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के मंत्रिपरिषद में दो बागी कांग्रेस विधायकों को भी जगह मिली है.

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उन्हें नवगठित पांच कैबिनेट सदस्यों के साथ. (फोटो: ट्विटर/@BJP4MP)
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उन्हें नवगठित पांच कैबिनेट सदस्यों के साथ. (फोटो: ट्विटर/@BJP4MP)

भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शपथ लेने के 29 दिन बाद मंगलवार को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया.

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में एक छोटे एवं सादे समारोह में इन सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

मुख्यमंत्री ने जिन पांच सदस्यों को अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया है उनमें तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, नरोत्तम मिश्रा, मीना सिंह एवं कमल पटेल शामिल हैं.

इनमें से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं.

ये दोनों कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे और सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद उन 22 विधायकों में शामिल थे जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे.

आज शपथ लेने वाले पांच मंत्रियों में एक ब्राह्मण (मिश्रा), एक क्षत्रिय (राजपूत), एक अनुसूचित जाति (सिलावट), एक अनुसूचित जनजाति एवं एक अन्य पिछड़ा वर्ग (पटेल) से हैं और इस प्रकार चौहान ने इस विस्तार में जातीय समीकरण को ध्यान में रखा है.

बीते 23 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के बाद से ही कैबिनेट में चौहान एकमात्र मंत्री थे. प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी के मामले बढ़ने के दौरान कैबिनेट का विस्तार न करने और महामारी को फैलने से रोक पाने में असफल रहने पर उन्हें विपक्ष की आलोचना का शिकार होना पड़ा था.

चौहान ने मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी की क्योंकि उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और सिंधिया समर्थकों के बीच सामंजस्य बिठाना था. 22 अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के कारण ही बीते 20 मार्च को प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी.

राज्यसभा टिकट न मिलने से नाराज होकर 10 मार्च को कांग्रेस इस्तीफा देने के बाद सिंधिया ने 11 मार्च को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें तत्काल मध्य प्रदेश सीट से राज्यसभा का टिकट दे दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)