उत्तर प्रदेश में गोरखपुर ज़िले के रहने वाले सुनील दिल्ली में रहते थे. चेचक से मौत हो गई. लॉकडाउन और गरीबी की वजह से परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में ला पाते, इसलिए बेटे को एक पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच मजदूरों और गरीबों का पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और उनका भविष्य भी अधर में लटका हुआ है.
इसी बीच गोरखपुर जिले के चौरीचौरा थाना क्षेत्र के डुमरीखुर्द गांव से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां लॉकडाउन में फंसे एक पिता की मृत्यु के बाद एक साल के बच्चे को गांव में एक पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा है. चौरीचौरा के डुमरीखुर्द गांव में रहने वाले 38 वर्षीय सुनील दिल्ली में रहते थे, जिनकी चेचक से मौत हो गई.
गरीबी और कोरोनो वायरस लॉकडाउन से परेशान सुनील का परिवार उनके पार्थिव शरीर को वापस गांव लाने के लिए पैसे का इंतजाम नहीं कर सका, जिसके कारण उन्हें एक पुतले का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
चौरीचौरा के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अर्पित गुप्ता ने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद 22 अप्रैल को दिल्ली में सुनील के शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
सुनील के ठेकेदार ने 11 अप्रैल को गोरखपुर में परिवार को फोन कर बताया था कि सुनील ‘चेचक’ से बीमार हैं.
उनके पिता राधेश्याम ने बताया, ‘हमने सुनील को फोन करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी फोन का जवाब नहीं दिया, क्योंकि वह अस्पताल में था.’
उनके माता-पिता ने कहा कि एक पुलिसकर्मी ने सुनील के फोन से 14 अप्रैल को फोन किया और बताया कि उनके बेटे की मौत हो गई है.
परिवार ने कहा, ‘हम शव को वापस लाने में सक्षम नहीं थे क्योंकि इसके लिए 25,000 रुपये लगते और हम इतनी बड़ी राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं.’
उनकी पत्नी पूनम ने एसडीएम अर्पित गुप्ता के माध्यम से दिल्ली पुलिस को एक पत्र भेजा जिसमें सुनील का पोस्टमार्टम और दाह संस्कार करने के लिए कहा गया है.
परिवार ने बताया कि पिछले हफ्ते गुरुवार को दाह संस्कार किया गया था और सुनील के बेटे ने उनके पुतले को आग लगाई थी. गुप्ता ने कहा, ‘परिवार द्वारा पुतले का दाह संस्कार करने के बाद पूरा गांव सदमे की स्थिति में है.’
उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने 75,000 रुपये जुटाकर पत्नी के बैंक खाते में जमा कराया और परिवार को किराने का सामान मुहैया कराया गया है.
गुप्ता ने कहा, ‘हम मृतक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा भी देंगे.’ सुनील के पांच बच्चे हैं- चार बेटियां और एक बेटा. एसडीएम ने कहा कि मौत का कारण पता चलने पर सरकार और मदद देगी.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)