रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से भारत की रैकिंग पर काफी प्रभाव पड़ा है. ये रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में कश्मीर के दो पत्रकारों पर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
नई दिल्ली: भारत मंगलवार को जारी ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों के समूह में दो स्थान नीचे उतरकर 142वें नंबर पर आया है. पिछले साल भारत 140वें स्थान पर था.
‘द वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020’ के अनुसार भारत में 2019 में किसी भी पत्रकार की हत्या नहीं हुई और इस तरह देश के मीडिया के लिए सुरक्षा स्थिति में सुधार नजर आया. वर्ष 2018 में छह पत्रकारों की हत्या कर दी गयी थी.
रिपोर्ट कहती है, ‘लेकिन लगातार स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया जिनमें पत्रकारों के खिलाफ पुलिसिया हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमला, बदमाशों एवं भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा बदले में हिंसा आदि शामिल हैं.’
इस सूची में लगातार चौथी बार नॉर्वे पहले नंबर पर है और नॉर्थ कोरिया सबसे निचले स्थान पर है. दूसरे नंबर पर फिनलैंड, तीसरे पर डेनमार्क, 11वें पर जर्मनी, 34वें पर फ्रांस, 35वें पर यूके, 45वें पर अमेरिका, 66वें पर जापान और 107वें पर ब्राजील है.
#RSFIndex ¦ RSF unveils its 2020 World Press Freedom Index:
1: Norway🇳🇴
2: Finland🇫🇮
3: Denmark🇩🇰
11: Germany🇩🇪
34: France🇫🇷
35: United Kingdom🇬🇧
45: United States🇺🇸
66: Japan🇯🇵
107: Brazil🇧🇷
142: India🇮🇳
166: Egypt🇪🇬
178: Eritrea🇪🇷
180: North Korea🇰🇵https://t.co/4izhhdhZAo pic.twitter.com/biJfunlTSw— RSF (@RSF_inter) April 21, 2020
रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में उत्पन्न हुई स्थिति की वजह से भारत की रैकिंग पर काफी प्रभाव पड़ा है. पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने अपने एक बेहद अप्रत्याशित फैसले में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था.
इसके चलते राज्य में कई तरह के कठोर प्रतिबंध लगा दिए गए थे, जिसकी वजह से पत्रकारों को खबरें करते हुए कठोर मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
संयोगवश ये रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब हाल ही जम्मू कश्मीर पुलिस ने कश्मीर के दो पत्रकारों पर कठोर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया है.
कश्मीर की फोटो पत्रकार मसरत ज़हरा पर एक फेसबुक पोस्ट के चलते देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है. ये एक आतंकरोधी कानून है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
26 वर्षीय ज़हरा एक स्वतंत्र फोटो पत्रकार हैं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों में के साथ काम करती हैं. उनके द्वारा ली गई तस्वीरें वाशिंगटन पोस्ट, अल जज़ीरा, कारवां और कई अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित हुई हैं.
इसके अलावा द हिंदू के पत्रकार पीरज़ादा आशिक पर एक स्टोरी के चलते यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस का कहना है कि ये खबर फर्जी है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इन दोनों पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुए केस की कड़ी निंदा की है.
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/GUam3Ti53N
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) April 21, 2020
गिल्ड ने कहा कि मुख्यधारा की मीडिया या सोशल मीडिया पर लिखने को लेकर ऐसे कानूनों का इस्तेमाल करना सत्ता का गलत प्रयोग है. यह पत्रकारों के बीच भय पैदा करने के लिए किया जा रहा है. गिल्ड ने कहा कि वो ये भी मानता है कि ये अप्रत्यक्ष तौर पर देश के सभी पत्रकारों को धमकी देने जैसा है.
प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा के दोबारा सत्ता में आने पर पत्रकारों की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई हैं.