मामला रद्द करने की आप विधायकों की याचिका को चुनाव आयोग ने ख़ारिज किया.
चुनाव आयोग ने कहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद से हटाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, मामला जारी रहेगा.
आयोग ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा कि आप के विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक संसदीय सचिव के पद पर थे. आयोग अब इन नियुक्तियों के लाभ का पद होने के मामले की सुनवाई जारी रखेगा.
EC says that the 21 AAP MLAs did hold de facto the post of Parliamentary Secretary, rejected their plea to drop the 'office of profit case'
— ANI (@ANI) June 24, 2017
आयोग ने सभी पक्षकारों को सुनवाई की अगली तारीख जल्दी ही सूचित करने को कहा है. इससे पहले आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद्द हो गई है तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता.
8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी थी.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया जिसको प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की.
राष्ट्रपति ने मामला चुनाव आयोग को भेज दिया. चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा. इसके बाद से इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई.
केजरीवाल सरकार ने पिछली तारीख से कानून बनाकर संसदीय सचिव पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन राष्ट्रपति ने बिल लौटा दिया.
वहीं, दूसरी ओर चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद आम आदमी पार्टी ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से अपना पक्ष रखा है. फैसले पर किए गए एक ट्ववीट में कहा गया है कि अभी आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को किसी भी तरह का कोई खतरा नही है!
अभी आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को किसी भी तरह का कोई खतरा नही है! pic.twitter.com/NuOAWQuwdT
— AAP (@AamAadmiParty) June 24, 2017
गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )