पीएम केयर्स फंड का ऑडिट कैग के बजाय ‘स्वतंत्र ऑडिटर’ से कराया जाएगा: रिपोर्ट

सूत्रों ने कहा है कि चूंकि इस फंड में व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा पैसा जमा किया जाता है इसलिए कैग को चैरिटेबल संस्था को ऑडिट करने का अधिकार नहीं है.

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**EDS: VIDEO GRAB** New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during his address to the nation on coronavirus pandemic in New Delhi, Thursday, March 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-03-2020_000207B)

सूत्रों ने कहा है कि चूंकि इस फंड में व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा पैसा जमा किया जाता है इसलिए कैग को चैरिटेबल संस्था को ऑडिट करने का अधिकार नहीं है.

**EDS: VIDEO GRAB** New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during his address to the nation on coronavirus pandemic in New Delhi, Thursday, March 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-03-2020_000207B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार कोरोना वायरस से लड़ने के नाम पर पीएम केयर्स फंड में हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा कर रही है लेकिन इस राशि के खर्च की ऑडिटिंग नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा नहीं कराया जाएगा.

सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘चूंकि इस फंड में व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा पैसा जमा किया जाता है, हमें चैरिटेबल संस्था को ऑडिट करने का अधिकार नहीं है.’

पीएम केयर्स को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 28 मार्च को निजी व्यक्तियों और कॉरपोरेट संस्थाओं को दान की सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया गया था ताकि कोरोना वायरस संकट से निबटा जा सके, हालांकि 1948 से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के माध्यम से ऐसी सुविधा सरकार के पास पहले से ही उपलब्ध थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमएनआरएफ का भी कैग द्वारा ऑडिट नहीं किया जाता है ‘लेकिन इसने सरकार के ऑडिटर को यह सवाल पूछने से नहीं रोका कि 2013 के उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद राहत के लिए कैसे धन का उपयोग किया गया था.’

हालांकि कैग कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अगर पीएम केयर्स फंड के ट्रस्टी ऐसा करने के लिए कहते हैं तो वे ऑडिटिंग कर सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकार के अनुसार पीएम केयर्स फंड कि ऑडिटिंग एक स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा कराया जाएगा, जिसकी नियुक्ति ट्रस्टी करेंगे.’

पीएम केयर्स के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य इसके ट्रस्टी या सदस्य हैं.

जबकि यह स्पष्ट नहीं था कि फंड का ऑडिट कैसे किया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री सहित सरकार ने कॉरपोरेट घरानों, सार्वजनिक हस्तियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों से अपील की थी कि वे पीएम केयर्स फंड में उदारता से दान करें. इसमें अभी तक काफी अच्छी मात्रा में राशि इकट्ठा की जा सकी है.

हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने मंत्रालयों के सभी सचिवों को अधिकारियों से और उनके अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से भी पीएम केयर्स में दान करने के लिए कहा है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, ‘चौंकाने वाली खबर कि पीएम केयर्स फंड का ऑडिट कैग नहीं करेगा. ये शुरुआत से ही अपारदर्शी था. क्या ये चुनावी बॉन्ड की तरह किया जा रहा है?’

सिन्हा ने आगे कहा, ‘पीएम केयर्स फंड में वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री ट्रस्टी है. पीएमएनआरएफ में कांग्रेस अध्यक्ष और फिक्की एवं टाटा ट्रस्ट के प्रतिनिधि सदस्य हुआ करते थे. इसलिए दूसरा वाला पारदर्शी है और पहला अपारदर्शी. पीएम केयर्स फंड अधिकारी प्रतीक अधिनियम का उल्लंघन है. दोना ट्रस्ट तुलनात्मक नहीं हैं.’

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