कोरोना लॉकडाउन प्रभाव: 6,50,000 से ज्यादा कर्मचारियों ने ईपीएफ से पैसा निकाला

अप्रैल महीने में प्रति कार्य दिवस औसतन 30,000-35,000 लोगों ने अपनी भविष्य निधि से पैसा निकाला है, जो कि दर्शाता है कि लोग किस स्तर के संकट से जूझ रहे हैं.

(फोटो साभार: ईपीएफओ)

अप्रैल महीने में प्रति कार्य दिवस औसतन 30,000-35,000 लोगों ने अपनी भविष्य निधि से पैसा निकाला है, जो कि दर्शाता है कि लोग किस स्तर के संकट से जूझ रहे हैं.

(फोटो साभार: ईपीएफओ)
(फोटो साभार: ईपीएफओ)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोगों की आय पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसके चलते 6,50,000 से ज्यादा कर्मचारियों को अपने भविष्य निधि (ईपीएफ) से पैसा निकालना पड़ा है.

लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल महीने में प्रति कार्य दिवस औसतन 30,000-35,000 लोगों ने अपनी भविष्य निधि से पैसा निकाला है, जो कि दर्शाता है कि लोग किस स्तर के संकट से जूझ रहे हैं.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों के अनुसार महामारी के दौरान भविष्य निधि से पैसा निकालने के लिए लाए गए नियमों के तहत 2,700 करोड़ रुपये निकाले जा चुके हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर अखबार को बताया, ‘इसमें सीधे ईपीएफओ के तहत रिटायरमेंट फंड कॉर्पस से निकाला गया पैसा और कंपनी पीएफ ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित धन शामिल है. ये केवल छोटी फर्मों के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि बड़ी कंपनियों के भी लोग हैं.’

उदाहरण के तौर पर कुड्डलोर में नेवेली लिग्नाइट कॉर्प के कर्मचारियों ने 84.4 करोड़ रुपये, विजाग में विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारियों ने 40.9 करोड़ रुपये और एनटीपीसी लिमिटेड के कर्मचारियों ने 28 करोड़ रुपये भविष्य निधि से निकाला है.

अधिकारी ने कहा, ‘इनकम में नुकसान हकीकत है. जब व्यवसायों को लॉकडाउन के कारण एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा है, तो लोगों को आय का नुकसान भी होता है. हालांकि, हमने यह नहीं सोचा था कि इतने लोग नए नियमों के तहत पैसे निकालेंगे. जो ट्रेंड हम देख रहे हैं वह केवल एक राज्य या कुछ औद्योगिक स्थानों तक ही सीमित नहीं है. यह सभी राज्यों और क्षेत्रों में है.’

रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दस दिनों में कम से कम 10 लाख लोगों द्वारा पीएफ का पैसा निकालने की संभावना है.