तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले के कंडी स्थित आईआईटी हैदराबाद में वेतन न मिलने से नाराज़ हज़ारों प्रवासी मज़दूरों ने प्रदर्शन किया. उनका आरोप है कि उन्हें वेतन भी नहीं दिया जा रहा है.
हैदराबाद: तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के कंडी स्थित आईआईटी हैदराबाद में वेतन न मिलने से गुस्साए हजारों प्रवासी मजदूरों ने बीते बुधवार को कथित तौर पर निर्माण कंपनियों के कुछ अधिकारियों पर हमला किया और बाद में मौके पर पहुंची पुलिस पर भी पथराव किया, जिसमें एक उप-निरीक्षक और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए.
पुलिस ने बताया कि निर्माण स्थल के पास ये मजदूर प्रदर्शन कर रहे थे. ये दिहाड़ी मांग रहे थे और कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान अपने पैतृक निवास वापस जाने देने की मांग कर रहे थे.
संगारेड्डी जिले के पुलिस अधीक्षक एस. चंद्रशेखर रेड्डी ने बताया कि प्रवासी मजदूरों ने कथित तौर पर पुलिस पर पथराव किया. इसमें पुलिस का एक वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और एक उप-निरीक्षक तथा दो पुलिसकर्मी घायल हो गए.
Around 2,400 migrant labourers who were working at construction sites in IIT Hyderabad staged protest today morning, demanding they be sent back to their homes: Sangareddy Rural Police. #Telangana pic.twitter.com/xvhGaIcFb2
— ANI (@ANI) April 29, 2020
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रदर्शन कर रही प्रवासियों की भीड़ ने पहले निर्माण कंपनियों के कुछ अधिकारियों पर हमला किया और जब पुलिस दल मौके पर पहुंचा तो उन पर भी पथराव कर दिया.’
अधिकारियों के अनुसार, मजदूरों का आरोप है कि आईआईटी से जुड़ी एक निर्माण कंपनी ने उन्हें मार्च का वेतन नहीं दिया था और उनसे बुधवार को आगे का काम शुरू करने को कह रहे थे.
तेलुगु दैनिक नव तेलंगाना में छपी ख़बर के मुताबिक, आईआईटी हैदराबाद में चल रहे भवन निर्माण के लिए महाराष्ट्र, झारखंड, बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश से लगभग 2500 प्रवासी मज़दूर यहां आए थे. निर्माण कंपनी एल एंड टी के प्रबंधन ने उन्हें तीन महीने से वेतन नहीं दिया है.
लॉकडाउन में काम ठप हो जाने से उन्हें आईआईटी परिसर में रखा गया है, जो कि हैदराबाद शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. काम के अभाव में पैसे की तंगी से परेशान मज़दूर उन्हें अपने गांवों को भेजे जाने की मांग कर रहे थे लेकिन अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया.
इस बीच काम फिर से शुरू करने की अनुमति मिल गई तो प्रबंधन ने मजदूरों को काम पर आने का आदेश दिया. लेकिन लगभग एक महीने तक उनकी तकलीफों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया तो मज़दूर खासे नाराज़ हो गए.
बुधवार की सुबह जब मजदूरों पर काम करने का दबाव डाला जाने लगा तो मजदूरों और प्रबंधन के बीच कहासुनी शुरू हो गई.
संगारेड्डी जिला कलेक्टर एम हनुमंथा राव ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि निर्माण कंपनी के प्रबंधन ने प्रदर्शनकारी श्रमिकों को आश्वासन दिया है कि उन्हें गुरुवार शाम तक उनके बकाया वेतन का भुगतान किया जाएगा, जिसके बाद वे काम फिर से शुरू करने पर सहमत हुए.
सीपीएम के प्रदेश सचिव तम्मिनेनी वीरभद्रम ने कहा कि एल एंड टी के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैये की वजह से यह घटना घटी है. प्रवासी मजदूरों और पुलिस के बीच हुई झड़प को दुखद बताते हुए उन्होंने मांग की कि जिम्मेदार कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करे.
बता दें कि लॉकडाउन के कारण गुजरात के सूरत में फंसे प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते 28 अप्रैल को सूरत में फंसे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान प्रवासी कामगारों ने डॉयमंड बोर्स नाम की कंपनी के दफ्तर पर पथराव भी किया था.
घर भेजने की मांग को लेकर सूरत में प्रवासी मजदूरों ने अप्रैल माह में तीसरी बार ऐसा प्रदर्शन किया था.
बीते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की समयसीमा तीन मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बीच प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में सड़क पर बैठ गए थे.
इससे पहले बीते 10 अप्रैल को लॉकडाउन के बीच सूरत शहर में वेतन और घर वापस लौटने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर पर सड़क पर उतर आए थे. इन मजदूरों ने शहर के लक्साना इलाके में ठेलों और टायरों में आग लगा कर हंगामा किया था. इस घटना के संबंध में पुलिस ने 80 लोगों को गिरफ्तार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)