जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा की रक्षा के लिए इंटरनेट की गति कम करने का बहुत उचित प्रतिबंध लगाया गया है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 4जी सेवाओं की बहाली का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य बोलने की स्वतंत्रता और इंटरनेट के माध्यम से व्यापार करने के अधिकार पर रोक लगा सकता है.
प्रशासन ने शीर्ष अदालत को बताया कि देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा की रक्षा के लिए इंटरनेट की गति कम करने का बहुत उचित प्रतिबंध लगाया गया है.
ग्रेटर कश्मीर के मुताबिक जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, ‘इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और इस प्रकार अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और/ या भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत किसी भी व्यापार को चलाने के लिए इंटरनेट के माध्यम पर अंकुश लगाया जा सकता है.’
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर याचिका के जवाब में प्रशासन ने ये जवाब दिया है.
प्रशासन ने शीर्ष अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच से वंचित रखने और 2 जी इंटरनेट स्पीड के संबंध में उठाए गए विवाद गलत हैं और वे यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं कि इन पर कोविड-19 का न्यूनतम प्रभाव पड़े.
हलफनामे में कहा गया है कि इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने से भड़काऊ वीडियो अपलोड करने और अन्य भारी डेटा फाइलों को पोस्ट करने की संख्या में वृद्धि होने की आशंका है.
उन्होंने कहा, ‘विभिन्न पाकिस्तान स्थित संगठन मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हाल ही में घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने में सुरक्षा बलों के कई जवानों ने अपनी जान गंवाई है.’
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने ये दावा किया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव कदम उठा रहे हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों को सर्वोपरि रखते हुए नागरिकों को न्यूनतम असुविधा हो.
मालूम हो कि पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद से राज्य में कई तरह के कठोर प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसमें इंटनेट प्रतिबंध शामिल है.