चुनाव आयोग का यह फ़ैसला राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अनुरोध पर आया है, जिसमें उन्होंने जल्द से जल्द विधान परिषद चुनाव कराने को कहा था. आयोग महामारी के दौरान चुनाव कराने को लेकर आगामी सप्ताह में संचालन प्रक्रिया तैयार करेगा.
नयी दिल्लीः चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधान परिषद की नौ खाली सीटों पर 21 मई को चुनाव कराने का ऐलान किया है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अनुरोध पर आयोग ने कोरोना संकट के मद्देनजर चुनाव कराने पर लगाई गई पाबंदी में विशेष परिस्थितियों का हवाला देते हुए ढील देने का फ़ैसला किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक अधिकारी नियुक्त करने को करेगा, जो आपदा प्रबंध अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुरूप चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराए.
इसके साथ ही चुनाव आयोग महाराष्ट्र सरकार से भी एक अधिकारी को नियुक्त करने को कहेगा, जो राज्य के स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करे.
Election Commission of India announces schedule to conduct Biennial Election for 9 vacant seats of Maharashtra Legislative Council, by the Members of Legislative Assembly (MLAs).
Polling to be held on May 21, 2020.
Details here: https://t.co/004PRQGXX3#ECI
— Election Commission of India #SVEEP (@ECISVEEP) May 1, 2020
चुनाव आयोग का कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बलदेव हरपाल सिंह विधान परिषद चुनाव के पर्यवेक्षक होंगे.
चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की विस्तृत रूपरेखा जारी करेगा. आयोग महामारी के दौरान चुनाव संपन्न कराए जाने को लेकर आगामी सप्ताह में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगा.
एसओपी उन सावधानियों की रूपरेखा तैयार करेगी, जो मतदान कर्मचारियों और विधायकों द्वारा मतदान करते समय बरती जानी चाहिए.
मालूम हो कि महाराष्ट्र के उपराज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में जल्द से जल्द विधान परिषद चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने विधान परिषद चुनाव कराने का ऐलान किया है.
इससे पहले इस मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी.
राज्यपाल के पत्र के अलावा शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया कि असाधारण और अप्रत्याशित तथ्यों व परिस्थितियों की वजह से उद्धव ठाकरे खुद को विधान परिषद के लिए निर्वाचित नहीं कर पाए थे.
चुनाव आयोग के इस फैसले से ठाकरे के लिए विधान परिषद के जरिए विधायक बनने का रास्ता साफ हो जाएगा.
संविधान की धारा 164 (4) के तहत मुख्यमंत्री ठाकरे के लिए पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य बनने की अनिवार्य समयसीमा 27 मई को समाप्त हो रही है.
कोरोना संकट के कारण विधानसभा की किसी सीट पर उपचुनाव संभव नहीं होने की वजह से ठाकरे ने राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीट पर उन्हें मनोनीत करने का कोश्यारी से अनुरोध किया था.
हालांकि राज्यपाल ने ठाकरे को मनोनीत करने के बजाय चुनाव आयोग से विधान परिषद की रिक्त सीटों पर चुनाव कराने का अनुरोध किया. राज्य विधान परिषद में राज्यपाल कोटे की दो सीटें सुरक्षित हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)