दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान पर भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट करने का आरोप है. उन्होंने अपनी इन सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद बढ़ने पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली थी.
नई दिल्लीः दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है.
जफरुल इस्लाम खान पर आरोप है कि उन्होंने 28 अप्रैल को भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट की थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 30 अप्रैल को जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के संयुक्त आयुक्त नीरज ठाकुर ने कहा कि जफरुल इस्लाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए और 153ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
Statement by Dr. Zafarul-Islam Khan (1 May 2020) pic.twitter.com/9d5609e8rS
— Zafarul-Islam Khan (@khan_zafarul) May 1, 2020
मालूम हो कि दिल्ली के वसंत कुंज के एक स्थानीय निवासी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई. यह शिकायत सफदरजंग एन्क्लेव के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के जरिए स्पेशल सेल के आतंकरोधी दस्ते के कार्यालय तक पहुंची.
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 28 अप्रैल को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम ने ट्विटर और फेसबुक पर एक पोस्ट की, जिसकी सामग्री बहुत भड़काऊ थी, जिसका मकसद सौहार्द बिगाड़ना और समाज में भेदभाव पैदा करना है.
शिकायत के साथ जफरुल इस्लाम के कथित विवादित सोशल मीडिया पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी लगाया गया है.
शिकायत में कहा गया है कि कथित तौर पर जफरुल इस्लाम ने भगोड़े जाकिर नाइक की प्रशंसा करते हुए कहा था कि वह अरब और मुस्लिम समुदाय में सम्मानित नाम है.
हालांकि जफरुल इस्लाम ने इस दर्ज एफआईआर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी तक एफआईआर नहीं देखी है. इसे देखने के बाद ही मैं इस पर कुछ कह पाऊंगा.’
बता दें कि उन्होंने अपने कथित विवादित और भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट के लिए 28 अप्रैल को माफी मांग ली थी, जिसमें उन्होंने भारत में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर संज्ञान लेने के लिए कुवैत को धन्यवाद कहा था.
उन्होंने बयान जारी कर कहा, ’28 अप्रैल को मेरे ट्वीट में जिसमें मैंने कुवैत को भारतीय मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर संज्ञान लेने के लिए शुक्रिया कहा था, जो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के संबंध में था, उससे कुछ लोग आहत हुए हैं. मेरा इरादा किसी को आहत करने का नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे एहसास हुआ कि मैंने गलत समय पर ट्वीट किया. मैंने उस समय ट्वीट किया, जिस समय पूरा देश मेडिकल इमरजेंसी का सामना कर रहा है, उस समय मेरा ये ट्वीट असंवेदनशील था, मैं उन सभी से माफी मांगता हूं, जिनकी भावनाएं आहत हुईं. मेरा इरादा किसी की भवनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था.’
जफरुल इस्लाम ने कहा, ‘मेरा ट्वीट संक्षिप्त था, लेकिन जिसकी वजह से एक नैरेटिव बना लिया गया. लोगों ने कुछ ऐसा भी समझ लिया जो मैं नहीं कहना चाहता था. एक वर्ग ने तथ्यों को अनदेखा किया और मेरे बारे में गलत धारणा बनाई. मेरा कभी ऐसा इरादा नहीं था, न ही मैंने ऐसे कुछ कहा था जैसा मतलब निकाला गया.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने मीडिया के एक हिस्से को गंभीरता से लिया है जिसने मेरे ट्वीट को तोड़-मरोड़कर पेश किया और मुझे उन चीजों के लिए जिम्मेदार ठहराया जो मैंने कभी नहीं कहा. जरूरत पड़ी तो आगे कानूनी कदम उठाए जाएंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)