लाइसेंस के रद्द होने से सीकेपी सहकारी बैंक के क़रीब 11,500 जमाकर्ताओं और निवेशकों के अलावा क़रीब सवा लाख के खाताधारकों के सामने संकट खड़ा हो गया है. बैंक की 485 करोड़ रुपये की एफडी भी अधर में अटक गई है.
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुंबई आधारित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. सीकेपी सहकारी बैंक ने 30 अप्रैल के बाद से ही सभी ऑपरेशन रोक दिए हैं.
आरबीआई का कहना है कि बैंक वित्तीय अस्थिरता की वजह से मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं था.
लाइसेंस के रद्द होने से बैंक के करीब 11,500 जमाकर्ताओं-निवेशकों और सवा लाख के करीब खाताधारकों पर संकट खड़ा हो गया है. बैंक की 485 करोड़ रुपये की एफडी भी अधर में अटक गई है.
मुंबई के माटुंगा में इस बैंक का प्रमुख कार्यालय है और मुंबई तथा ठाणे जिले में इसकी कुल आठ शाखाएं हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने शनिवार को जारी आदेश में कहा, ‘सीकेपी सहकारी बैंक के कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें जमाराशि स्वीकार करने और जमाओं का भुगतान शामिल है.’
आरबीआई ने पुणे के को-ऑपरेटिव सोसाइटीज के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि बैंक के हर तरह के मामलों को रोकने के आदेश जारी किए जाएं.
आरबीआई ने बैंक के लिए लिक्विडेटर की नियुक्ति की मांग की है. आरबीआई ने बैंक के लाइसेंस को वित्तीय अस्थिरता के आधार पर ही रद्द किया है.
Reserve Bank of India cancels the licence of The CKP Co-operative Bank Ltd., Mumbai #rbitoday https://t.co/BstRUz4S5p
— ReserveBankOfIndia (@RBI) May 2, 2020
बैंक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है और वित्तीय संकट से जूझ रहा है.
आरबीआई ने कहा, ‘बैंक की वित्तीय स्थिति बहुत ही प्रतिकूल और अस्थायी है. किसी अन्य बैंक के साथ इसके विलय को लेकर या इसके रिवाइवल को लेकर भी कोई ठोस योजना या प्रस्ताव नहीं है.’
आरबीआई ने कहा, ‘बैंक न्यूनतम पूंजी और पूंजी भंडार की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. बैंक अपने मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं का भुगतान करने में सक्षम नहीं है.’
इस संबंध में आरबीआई ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि बैंक के आर्थिक हालात पिछले काफी समय से चुनौतीपूर्ण बने हुई थे और बैंक को इन हालातों से बाहर निकालने का कोई तरीका भी नहीं है और न ही बैंक किसी अन्य बैंक के साथ विलय की स्थिति में है.
आरबीआई ने यह भी बताया कि मौजूदा स्थिति में बैंक इस हालत में नहीं है कि वह अपने जमाकर्ताओं की राशि उन्हें दे सके.
महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सीकेपी बैंक का घाटा बढ़ने और नेट वर्थ में बड़ी गिरावट आने के कारण बैंक के लेन-देन पर साल 2014 में प्रतिबंध लगाया गया था. उसके बाद से कई बार बैंक का घाटा कम करने का प्रयत्न किया गया.
इसके लिए निवेशकों और जमाकर्ताओं ने भी प्रयत्न किया था. इन्होंने ब्याज दर में कटौती की थी. ब्याज दर दो फीसदी तक लाई गई थी.
बैंक का घाटा कम हो रहा था परंतु ऐसे में आरबीआई ने सीकेपी बैंक का लाइसेंस रद्द करके निवेशकों को बड़ा झटका दिया है.
आरबीआई साल 2014 से ही लगातार बैंक पर प्रतिबंध की अवधि को बढ़ा रहा है. इसके पहले 31 मार्च को अवधि बढ़ाकर 31 मई की गई थी.
सूत्रों का कहना है कि सीकेपी बैंक के नेट वर्थ में गिरावट इसके लाइसेंस रद्द करने का कारण बना. साल 2016 में बैंक की नेट वर्थ 146 करोड़ रुपये थी. वह अब 230 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.
ऑपरेशनल मुनाफा होने के बावजूद नेट वर्थ में गिरावट होने के कारण बैंक का लाइसेंस रद्द किया है.
इससे पहले आरबीआई पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक पर भी कई तरह की पाबंदियां लगा चुका है.
बीते मार्च महीने में आरबीआई की ओर से कहा गया था कि पीएमसी पर लगी नियामकीय रोक अगले तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर 23 सितंबर 2019 को छह महीने के लिए नियामकीय रोक लगा दी थी, जिसे बढ़ाकर 22 जून 2020 तक कर दिया गया है.
बता दें कि पीएमसी बैंक घोटाला मामला सामने आने के बाद से अब तक इस बैंक के तकरीबन नौ खाताधारकों की मौत हो चुकी है. वहीं, इस मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पीएमसी के एक निदेशक रंजीत सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है. वे भाजपा के पूर्व विधायक सरदार तारा सिंह के बेटे हैं.
घोटाला सामने आने के बाद एक हजार रुपये की निकासी सीमा रखने वाले आरबीआई ने धीरे-धीरे करके धन निकासी की यह सीमा एक लाख रुपये तक कर दी है.