पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इससे पहले भी राजस्व की कमी से निपटने के लिए केंद्र सरकार से जीएसटी का लगभग 4,000 करोड़ रुपये बकाया जारी करने की मांग की थी.
नई दिल्लीः पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कहना है कि राज्य के पास फंड की कमी है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो कर्मचारियों को तनख्वाह देना मुश्किल हो जाएगा.
अमरिंदर सिंह ने एक निजी समाचार चैनल के एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही.
उन्होंने कहा, ‘हमें अभी केंद्र सरकार से पैसे लेने हैं. हमारे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और एक्साइज के पैसे केंद्र सरकार के पास बकाया है. राज्य की लगभग 6200 करोड़ रुपये की एक्साइज ड्यूटी नहीं आई है.’
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने शराबबंदी भी कर रखी है. राज्य को सबसे ज्यादा शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से ही कमाई होती है. हम केंद्र सरकार से शराब की दुकानें खोलने के लिए कह चुके हैं. अगर हमें एक्साइज और जीएसटी का पैसा मिल जाए तो थोड़ी राहत होगी वरना मैं तनख्वाह नहीं दे पाऊंगा.’
कोरोना वायरस के बारे में अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘कोरोना के खिलाफ लड़ाई लंबी और महंगी है. केंद्र और राज्य सरकारों को एक साथ आकर लड़ना होगा. हम लगातार कोरोना की जांच कर रहे हैं. पंजाब की आबादी तीन करोड़ से अधिक है. इतने सारे लोगों का टेस्ट करने का खर्च बहुत आएगा. अभी एक मरीज का टेस्ट करने में 2,000 रुपये लगते हैं. अगर सबका टेस्ट होगा तो उसके लिए फंड चाहिए.’
उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री मोदी से आर्थिक पैकेज की भी मांग की है.
अमरिंदर सिंह ने राज्य में शराब की बिक्री को लेकर कहा कि लॉकडाउन में सब्जियों और किराना दुकानों की तरह शराब की दुकानें भी सामान्य तौर पर खोली जाएंगी. हालांकि राज्य ने शराब बिकने के समय का फैसला जिला कमिश्नर पर छोड़ दिया है.
वहीं, उन्होंने इससे पहले भी लॉकडाउन के चलते राजस्व की कमी का हवाला देकर केंद्र सरकार से जीएसटी का बकाया 4,386.37 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की थी.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र को भेजे पत्र में कोरोना वायरस के चलते राजस्व में आई कमी को पाटने के लिए अनुदान की मांग की थी.
अमरिंदर सिंह ने पत्र में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर बाकी इलाकों में कोविड-19 संबंधी एहतियातों के साथ छोटी दुकानें, कारोबार और उद्योगों को खोलने की अनुमति देने की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)