नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है अगर आप विदेश में फंसे हैं तो सरकार आपको विमान से नि:शुल्क लाएगी, लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं तो किराया चुकाने के लिए तैयार रहें. माकपा नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा नेता अखिलेश यादव आदि ने भी आलोचना की है.
नई दिल्ली/मुंबई: भारतीय रेलवे ने देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. रेलवे ने कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए और राज्यों को टिकट का किराया लेना चाहिए.
किराया वसूलने के बयान पर रेलवे की आलोचना हो रही है.
दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए बीते एक मई को पांच और दो मई को 10 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थीं. हालांकि इसे लेकर उस समय विवाद खड़ा हो गए जब यात्रियों ने कहा कि इस महामारी के समय में भी उनसे किराया वसूला जा रहा है, जबकि लॉकडाउन में फंसे रहने के कारण उनमें इस राशि का भुगतान करने की क्षमता नहीं है.
रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘यदि आप कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो यह सरकार आपको विमान से नि:शुल्क वापस लाएगी, लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं और किसी अन्य राज्य में फंसे हैं तो आप यात्रा का किराया (सामाजिक दूरी की कीमत के साथ) चुकाने के लिए तैयार रहें. ‘पीएम केयर्स’ कहां गया?’
If you are stuck abroad during this COVID crisis this government will fly you back for free but if you are a migrant worker stranded in another state be prepared to cough up the cost of travel (with social distancing cost added). Where did “PM Cares” go?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 3, 2020
रेलवे ने दिशानिर्देशों में कहा कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है.
उसने हालांकि उन यात्रियों के एक समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी. किराये के संबंध में रेलवे ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि यह राज्य का मामला है.
सूत्रों ने बताया कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने पूरा भुगतान किया है. राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र प्रवासियों को किराये का कुछ हिस्सा देने के लिए कह रही है.
रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपये सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यों पर भार डालने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों की जो स्थिति हुई है, वह केंद्र द्वारा लॉकडाउन की अचानक घोषणा करने के कारण हुई है.
येचुरी ने कहा, ‘यह बहुत ही अनुचित है कि पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है. राज्यों के कारण यह समस्या खड़ी नहीं हुई है. संसद में सरकार ने कहा था कि विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की पूरी लागत वहन की जाएगी. इसी तरह प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाया जाना चाहिए.’
Good that the Centre paid for the return of Indians stranded abroad. Why does it not also pay for the return our hungry and miserable workers within India? It is criminal to charge them. Where are the thousands of crores being collected by Modi going? https://t.co/BPuvbUjNMZ
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) May 3, 2020
एक ट्वीट में सीताराम येचुरी ने कहा, ‘ये अच्छा है कि केंद्र सरकार विदेश में फंसे भारतीयों को लाने के लिए खर्च वहन कर रही है. तो भारत में फंसे भूखे और दुखी कामगारों के उनके घर भेजन का खर्च क्यों नहीं चुका रही है? उनसे किराया वसूलना अपराध है, वे करोड़ों रुपये (पीएम केयर्स फंड) कहां हैं, जिसे मोदी सरकार द्वारा जमा किया जा रहा है.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि यह अपने आप में एक गुत्थी है कि रेलवे एक तरफ ‘पीएम केयर्स’ कोष में 151 करोड़ रुपये दे रहा है और दूसरी तरफ प्रवासी श्रमिकों से किराया वसूल रहा है.
एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फँसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है।
जरा ये गुत्थी सुलझाइए! pic.twitter.com/qaN0k5NwpG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 4, 2020
उन्होंने ट्वीट किया, ‘एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से किराया वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये का चंदा दे रहा है. जरा ये गुत्थी सुलझाइए!’
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा है कि इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने कामगारों की इस नि:शुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि हर प्रदेश कांग्रेस कमेटी हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस बीच भाजपा की ओर से कहा गया है कि प्रवासी कामगारों के लिए चलाई जा रहीं स्पेशल ट्रेनों के टिकट के दाम रेलवे ने 85 प्रतिशत तक कम कर दिया है और बाकी के 15 प्रतिश राज्य सरकारों को देने होंगे.
Railways has subsidised 85 percent of ticket fare for special trains being run to transport migrant workers and state government has to pay remaining 15 percent: BJP
— Press Trust of India (@PTI_News) May 4, 2020
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि संबंधित राज्य सरकार भी टिकट के लिए भुगतान कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार यह कर रही है. उन्होंने राहुल गांधी से कहा कि वह कांग्रेस शासित राज्यों को भी ऐसा ही करने को कहें.
पात्रा ने ट्वीट किया, ‘राहुल गांधी जी मैंने केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश संलग्न किए है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि किसी भी स्टेशन पर कोई भी टिकट नहीं बेचा जाएगा. रेलवे ने 85 प्रतिशत की सब्सिडी दी है और राज्य सरकारें 15 फीसदी का भुगतान करेंगी. राज्य सरकार टिकट के पैसों का भुगतान कर सकती हैं (मध्य प्रदेश सरकार भुगतान कर रही है). कांग्रेस शासित राज्यों से ऐसा ही करने के लिए कहिए.’
And this is how the Congress ruled State Governments can pay the 15% for the Migrant workers (85% being taken care of by the Railways) rather than politicising the otherwise smooth process taken up by the railways. https://t.co/Axtmen5nY9 pic.twitter.com/RNQdcfNBvB
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 4, 2020
भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक ‘श्रमिक एक्सप्रेस’ में गंतव्य तक पहुंचने के लिए लगभग 1,200 टिकट रेलवे द्वारा संबंधित राज्य सरकार को सौंपे जाते हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को टिकट की कीमत साफ करनी चाहिए और टिकटों को कामगारों को सौंपना चाहिए.
इधर, एक ट्वीट में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि घर लौट रहे प्रवासी कामगारों को किराये का भुगतान नहीं करना होगा, क्योंकि रेल यात्रा निशुल्क होगी.
स्वामी ने कहा, ‘पीयूष गोयल के दफ्तर से बात की है. केंद्र सरकार 85 प्रतिशत का और राज्य सरकार 15 फीसदी क भुगतान करेंगी. प्रवासी मजदूर निशुल्क जाएंगे। मंत्रालय एक सरकारी बयान में यह स्पष्ट करेगा.’
Talked Piyush Goel office. Govt will pay 85% and State Govt 15% . Migrant labour will go free. Ministry will clarify with an official statement
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 4, 2020
रेलवे की ओर से कहा गया है, ‘प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी. सामान्य तौर पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी. ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी. पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री भौतिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा. इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है.’
दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगा. ट्रेन के लिए क्षमता के 90 प्रतिशत से कम मांग नहीं होनी चाहिए.
रेलवे निर्दिष्ट गंतव्यों के लिए संबंधित राज्य द्वारा बताई गई यात्रियों की संख्या के हिसाब से टिकट प्रकाशित करेगा और इन्हें स्थानीय राज्य प्राधिकार को सौंप देगा. जहां से ट्रेन चलेगी, संबंधित राज्य सरकार उस स्थान पर यात्रियों को भोजन के पैकेट और पेयजल उपलब्ध कराएगी.
रेलवे ने कहा, ‘सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. राज्य के अधिकारी यात्रियों को मास्क इस्तेमाल करने के बारे में परामर्श देंगे.’
रेलवे ने कहा कि संबंधित राज्य यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु’ ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. 12 घंटे से अधिक के गंतव्य की स्थिति में यात्रियों को एक बार का भोजन रेलवे द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा. गंतव्य पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के अधिकारी उनकी स्क्रीनिंग, जरूरी होने पर पृथक-वास और आगे की यात्रा से संबंधित सभी प्रबंध करेंगे. राज्य स्टेशन पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करेगा.
सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी चरण में सुरक्षा, संरक्षा और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन होता है तो रेलवे को श्रमिक स्पेशल ट्रेन को रद्द करने का अधिकार है. अधिकारियों ने कहा कि रेलवे राज्यों को प्रदान की गई सेवाओं के लिए शुल्क ले रहा है.
भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों को निकालने के लिए ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने की बीते एक मई को मंजूरी दे दी थी.
ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मज़दूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की ख़बर बेहद शर्मनाक है. आज साफ़ हो गया है कि पूँजीपतियों का अरबों माफ़ करनेवाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के ख़िलाफ़.
विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 3, 2020
यात्रा के लिए शुल्क लिए जाने के निर्णय की निंदा करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि आपदा के समय गरीबों का शोषण करना साहूकारों का काम है न कि सरकार का.’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार द्वारा गरीबों, असहाय श्रमिकों से उन्हें ट्रेन से वापस भेजने के लिए पैसे लेने की खबरें शर्मनाक है. आज यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा, जो पूंजीपतियों का अरबों का कर्ज माफ कर देती है, वह अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ है. आपदा के समय साहूकारों का काम होता है शोषण करना न कि सरकार का.’
Will GoI explain what PMCARES is being used for?
CSR funding meant only for local use diverted away from states to centre – why?Meanwhile desperate migrants being made to PAY for trains home & state govts asked to deposit money w/centre.
Theatre of the absurd!
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) May 3, 2020
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा है, ‘क्या भारत सरकार यह बताएगी की पीएम केयर्स फंड का इस्तेमाल कहा किया जा रहा है. सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंडिंग जो स्थानीय उपयोग के लिए है, उसे राज्यों से केंद्र ने ले लिया है, क्यों? इस बीच दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी लोगों को घर जाने के लिए ट्रेन का किराया देने पर मजबूर किया जा रहा है और राज्य सरकारों से पैसा चुकाने के लिए कहा गया है.’
कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी श्रमिकों के ट्रेन किराये के भुगतान के लिए राज्य सरकार को मदद उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.
उद्धव ठाकरे ने केंद्र से प्रवासी कामगारों से किराया न लेने का अनुरोध किया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र से अनुरोध किया है कि वह कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान ट्रेन से अपने गृह स्थान की यात्रा करने वाले प्रवासी कामगारों से किराया न लें.
ठाकरे ने केंद्र को भेजे गए एक पत्र में रविवार देर रात कहा कि राज्य के विभिन्न केंद्रों में 40 दिनों तक करीब पांच लाख प्रवासी कामगारों को खाना और रहने की जगह दी गई और अब उन्होंने मौजूदा हालात को देखते हुए अपने घर जाने की इच्छा व्यक्त की है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इन लोगों के पास बीते कुछ हफ्तों से आय का कोई स्रोत नहीं है, इसलिए मानवीय आधार पर केंद्र को उनसे यात्रा का किराया नहीं लेना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता आदि प्रवासी कामगारों की ट्रेन टिकटों का खर्च उठाने के लिये आगे आ रहे हैं.
ठाकरे ने संबंधित प्रदेश अधिकारियों से भी कहा कि अगर केंद्र मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरों से प्रवासी कामगारों को उनके घर भेजने के लिए ट्रेन चलाने का फैसला करता है तो उन्हें बड़े पैमाने पर प्रवासी कामगारों के समूहों को संभालने के लिए तैयार रहना होगा.
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने पहले ही रेल मंत्रालय से अनुरोध किया था कि वह प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने में आने वाले खर्च को वहन करे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)