बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार आने वाले लोग जब 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से निकलेंगे तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम 1000 रुपये दिए जाएंगे जिसमें रेल का किराया और प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मदद शामिल होगी.
नई दिल्ली: लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए रेल किराया को लेकर सरकार एवं विपक्षी दलों में विवाद बढ़ता जा रहा है.
जहां एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की है कि मजदूरों के किराये की भरपाई राज्य कांग्रेस कमेटियों द्वारा की जाएगी, वहीं दूसरी तरफ सरकार दावा कर रही है कि मजदूरों के किराये का 85 फीसदी खर्च रेलवे और 15 फीसदी राज्य सरकार को वहन करना होता है.
हालांकि इन सबके बीच मौजूदा विवाद के केंद्र वाले राज्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जो मजदूरों को गुमराह करने वाला है.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि दूसरे राज्यों से बिहार आने वाले लोग जब 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से निकलेंगे तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम 1000 रुपये दिए जाएंगे, जिसमें रेल का किराया और प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मदद शामिल होगी.
बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘जब मजदूर या बाहर से आए लोग 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से निकलेंगे तो उनको यात्रा में लगे किराया खर्च के अलावा 500 रुपये दिए जाएंगे. इसके लिए न्यूनतम 1000 रुपये की राशि तय की गई है.’
हालांकि कुमार ने ये घोषणा करते हुए गृह मंत्रालय के उस महत्वपूर्ण आदेश को छिपा लिया जिसमें ये कहा गया है कि लॉकडाउन के समय विशेष ट्रेनों से यात्रा करने वाले लोगों में से सिर्फ उन्हीं को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा, जिनमें कोरोना के किसी भी तरह के लक्षण दिख रहे हो.
GoI issues order to State/UTs to facilitate Inter-State mvmt of stranded people inc. #MigrantLabourers, in the country.
All persons to be medically screened at source & destination; & kept in home/institutional quarantine on arrival, as per @MoHFW_INDIA guidelines.#COVID19 pic.twitter.com/4zfztwB2NA— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) April 29, 2020
मंत्रालय ने बाकी लोगों को अपने घर में ही क्वारंटीन रहने की सलाह दी है. इस तरह नीतीश कुमार की इस घोषणा के दायरे से अधिकतर लोग अपने आप बाहर हो जाएंगे, क्योंकि ज्यादातर लोग होम क्वारंटीन में रहेंगे और मुख्यमंत्री की इस योजना का लाभ उन्हें ही मिल पाएगा जो संस्थागत यानी कि सरकारी क्वारंटीन सेंटर में 21 दिन बिताकर निकलेंगे.
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गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा 29 अप्रैल 2020 को जारी आदेश में कहा गया है, ‘गंतव्य पर पहुंचने के बाद स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों की जांच की जाएगी और इन्हें होम क्वारंटीन में रखा जाएगा, जब तक कि लोगों को संस्थागत क्वारंटीन में रखने की जरूरत न पड़े. इन्हें निगरानी में रखा जाएगा और समय-समय पर इनकी जांच की जाएगी.’
बिहार के मुख्यमंत्री @NitishKumar ने कहा है कि जब मजदूर या बाहर से आए लोग 21 दिन बाद क्वारंटाइन सेंटर से निकलेंगे तो उनको यात्रा में लगे किराया खर्च के अलावा 500 रुपए दिए जाएंगे. इसके लिए न्यूनतम 1000 रूपए की राशि तय की गई है Ihttps://t.co/L3oGeao5nu#COVID19 #IndiaFightsCorona
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) May 4, 2020
श्रमिक ट्रेनों के जरिये लॉकडाउन में फंसे हुए लोगों को बिहार भेजने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, ‘कोटा से जो छात्र राज्य में आ रहे हैं, उनसे कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है. राज्य सरकार रेलवे को पैसा दे रही है और वे यहां आ रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने निर्णय लिया है कि जो भी मजदूर या अन्य बाहर से यहां आएंगे, उन्हें उनके संबंधित प्रखंड में ले जाया जाएगा. उस प्रखंड में उनके लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है, जहां उन्हें 21 दिन तक रहना है. 21 दिन रहने के बाद जो वो निकलेंगे तो उस समय उन्हें उनका रेल किराया और प्रति व्यक्ति अतिरिक्त 500 रुपये दिए जाएंगे. हर व्यक्ति को न्यूनतम 1000 रुपये राज्य सरकार उनको देगी.’
उपयुक्त बयान में ये स्पष्ट है कि नीतीश कुमार उन लोगों को रेल को किराया और 500 रुपये देने की बात कर रहे हैं जो कि सरकारी क्वारंटीन सेंटर में रहेंगे. होम क्वारंटीन या अन्य लोगों के किराये की भरपाई को लेकर बिहार मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं बोला.
मालूम हो कोरोना महामारी के दौरान बिहार के दिहाड़ी मजदूरों एवं प्रवासियों से ट्रेन का भाड़ा वसूलने को लेकर नीतीश कुमार आलोचनाओं के घेरे में हैं. विपक्षी दल समेत सामाजिक संगठन ये मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार सभी लोगों के किराये का भुगतान करे.
आदरणीय @NitishKumar जी, ग़रीब मज़दूरों की तरफ़ से 50 ट्रेनों का किराया राजद वहन करने के लिए एकदम तैयार है क्योंकि ड़बल इंजन सरकार सक्षम नहीं है।कृपया अब अविलंब प्रबन्ध करवाइए।@SushilModi जी- कुल जोड़ बता दिजीए, तुरंत चेक भिजवा दिया जाएगा। वैसे भी आपको खाता-बही देखने का शौक़ है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2020
इसे लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी मदद की पेशकश की है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने घोषणा किया कि फंसे हुए लोगों को वापस लाने के लिए उनकी पार्टी 50 ट्रेनों के किराये का भुगतान करने के लिए तैयार है. इससे पहले यादव ने सरकार को 2000 बसें मुहैया कराने की बात की थी.
नीतीश कुमार के सहयोगी रह चुके प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा है, ‘देश के कई हिस्सों में फंसे हुए बिहार के लोगों के लिए कुछ नहीं करने वाले नीतीश कुमार अब कह रहे हैं कि केंद्र ने उनके सुझाव पर लोगों के लिए ट्रेन शुरू की है! सर, आपने ये सुझाव कब दिया और इसको मानने में इतनी देरी क्यों हुई? क्या गरीब लोगों से भाड़ा लेने का सुझाव भी आपका ही है?’
https://twitter.com/PrashantKishor/status/1257240302210842630
मालूम हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले राज्य के छात्र-छात्राओं और मजदूरों ने अपील की थी कि वे लॉकडाउन में जिस राज्य में भी फंसे हो वहीं रहे, क्योंकि आने जाने से कोरोना वायरस का ख़तरा रहेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान के कोटा शहर में फंसे राज्य के विद्यार्थियों के लिए तकरीबन 300 बसें भेजे जाने के बाद उनकी आलोचना भी हुई थी.
हालांकि अपना बचाव करते हुए उन्होंने कहा था, कोटा में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी अच्छे परिवारों से हैं और अपने परिवारों के साथ वहां रह रहे हैं. उन्हें वापस घर बुलाने की जरूरत क्या है जबकि बिहार के सभी मजदूर कई हफ्तों से फंसे हुए हैं.
उन्होंने कहा था कि कोटा में फंसे राज्य के छात्र छात्राओं को वापस बुलाना दूसरे राज्यों में फंसे गरीब मजदूरों के साथ अन्याय होगा.
इस पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए कहा था कि भाजपा शासित राज्यों जैसे गुजरात और उत्तर प्रदेश ने दूसरे राज्यों में फंसे अपने लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाई और उन्हें घर लाने के लिए कार्रवाई की, जबकि बिहार ने उन्हें उनके हाल पर बेसहारा छोड़ दिया है.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बयान जारी कर कहा कि देशभर में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए रेलयात्रा का खर्च कांग्रेस पार्टी उठाएगी.
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कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी एवं इस बारे जरूरी कदम उठाएगी.’
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने भी घोषणा किया है श्रमिक ट्रेनों से आने वाले मध्य प्रदेश के लोगों से किराया नहीं लिया जाएगा.
प्रशासन ने आदेश जारी कर कहा, ‘राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अन्य प्रदेशों में फंसे मध्य प्रदेश के श्रमिकों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लाने में लगने वाले रेल किराये का भुगतान शासन करेगा. श्रमिकों से किराया वसूल नहीं किया जायेगा. स्टेट कोऑर्डिनेटर इस निर्णय के क्रियान्वयन को अपने प्रभार के राज्यों के नोडल अधिकारी एवं रेलवे से समन्वय कर समुचित व्यवस्था करें.’
इस मामले को लेकर रेल मंत्रालय खुद आलोचनाओं के घेरे में हैं, क्योंकि श्रमिक ट्रेनों के जरिये लोगों को पहुंचाने को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं उसी में ये लिखा है कि मजदूरों से किराया वसूला जाएगा. सुब्रमण्यम स्वामी जैसे कई भाजपा नेता भी इसका विरोध कर रहे हैं.
इस संबंध में बीते शनिवार को रेल मंत्रालय ने कुल 19 तरह के दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें राज्य सरकारों द्वारा मजदूरों, छात्रों इत्यादि से ट्रेन का किराया वसूलने की भी बात शामिल है.