आरोग्‍य सेतु ऐप डाउनलोड न करना माना जाएगा दंडनीय अपराध: नोएडा पुलिस

नोएडा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थानों पर जाने वाले लोगों के लिए मास्‍क पहनना और स्‍मार्टफोन में आरोग्‍य सेतु ऐप इंस्‍टॉल करना अनिवार्य किया है. इसके अलावा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थलों पर थूकने पर भी पाबंदी लगाई है.

/
(फोटो: पीटीआई)

नोएडा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थानों पर जाने वाले लोगों के लिए मास्‍क पहनना और स्‍मार्टफोन में आरोग्‍य सेतु ऐप इंस्‍टॉल करना अनिवार्य किया है. इसके अलावा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थलों पर थूकने पर भी पाबंदी लगाई है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नोएडा: नोएडा पुलिस ने एक आदेश जारी कर कहा है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सार्वजनिक स्थानों पर निकलने वाले लोगों द्वारा आरोग्‍य सेतु ऐप को इंस्‍टॉल न करना एक दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसके लिए लॉकडाउन नियमों के उल्‍लंघन के तहत कार्रवाई की जाएगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गौतम बुद्ध नगर के एडिशनल डीसीपी (कानून एवं व्यवस्था) अखिलेश कुमार के हस्‍ताक्षर वाला यह आदेश 3 मई को जारी किया गया है. बता दें कि, नोएडा पुलिस ने जिले में धारा 144 को 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया है.

इसमें लिखा है सार्वजनिक स्‍थलाें पर आने वाले प्रत्‍येक नागरिक के लिए अपने स्‍मार्टफोन में आरोग्‍य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य है. यदि स्‍मार्टफोन यूजर्स सार्वजनिक स्‍थानों पर जाते हैं और उनके फोन में आरोग्‍य सेतु ऐप डाउनलोड नहीं पाया जाता है तो इसे लॉकडाउन नियमों के उल्‍लंघन के तहत एक दंडनीय अपराध माना जाएगा.

नोएडा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थानों पर जाने वाले लोगों के लिए मास्‍क पहनना और स्‍मार्टफोन में आरोग्‍य सेतु ऐप इंस्‍टॉल करना अनिवार्य किया है. इसके अलावा पुलिस ने सार्वजनिक स्‍थलों पर थूकने पर भी पाबंदी लगाई है.

सूत्रों के मुताबिक पुलिस कर्मचारी सार्वजनिक स्‍थानों पर अचानक लोगों के स्‍मार्टफोन चेक करेगी और यह देखेगी कि उन्‍होंने आरोग्‍य सेतु ऐप डाउनलोड किया है या नहीं.

हालांकि आदेश में यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि जिनके पास स्‍मार्टफोन नहीं है, उनके खिलाफ क्‍या कार्रवाई होगी.

नोएडा पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, उन लोगों को जो स्‍मार्टफोन में बिना ऐप के पकड़े जाएंगे उन्‍हें भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत 1000 रुपये का जुर्माना या 6 माह तक की जेल हो सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अखिलेश कुमार ने कहा, इसके बाद एक न्यायिक मजिस्ट्रेट यह तय करेगा कि व्यक्ति पर मुकदमा चलेगा, जुर्माना लगाया जाएगा या चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा.

कुमार ने कहा, अगर व्यक्ति तुरंत डाउनलोड कर लेता है तो हम उसे जाने देंगे. हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि लोग आदेश को गंभीरता लें और इसे डाउनलोड करें. लेकिन अगर वे लगातार चेतावनी के बाद भी डाउनलोड नहीं करते हैं तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी.

वहीं, किसी के पास मोबाइल डेटा न होने की स्थिति में उन्होंने कहा कि हम उन्हें डाउनलोड करने के लिए हॉटस्पॉट देंगे.

यह ऐप 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्‍ध है और इसमें यूजर्स को अपनी व्‍यक्तिगत जानकारी भरनी होती है. इसमें हाल ही में की गई यात्रा के बारे में पूछा जाता है. इसके अलावा इसमें यूजर्स से वायरस के लक्षणों जैसे बुखार, खांसी, जुकाम और सांस लेने में समस्‍या जैसे सवाल भी पूछे जाते हैं.

सारा विवरण उपलब्‍ध कराने के बाद ऐप यूजर्स द्वारा दिए गए जवाबों का परीक्षण करता है और स्वास्थ की स्थिति बताता है.