इराक़ के पूर्व खुफिया प्रमुख मुस्तफ़ा अल-कदीमी ने ली प्रधानमंत्री पद की शपथ

इराक़ में सत्तारूढ़ सरकार को हटाने की मांग को लेकर पिछले साल लोग सड़कों पर उतर आए. देश के विभिन्न शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. उनका आरोप था कि सत्तारूढ़ अमीर इराक़ को आर्थिक बर्बादी की तरफ ले जा रहे हैं. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

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मुस्तफा अल-कदीमी. (फोटो: रॉयटर्स)

इराक़ में सत्तारूढ़ सरकार को हटाने की मांग को लेकर पिछले साल लोग सड़कों पर उतर आए. देश के विभिन्न शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. उनका आरोप था कि सत्तारूढ़ अमीर इराक़ को आर्थिक बर्बादी की तरफ ले जा रहे हैं. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

मुस्तफा अल-कदीमी. (फोटो: रॉयटर्स)
मुस्तफा अल-कदीमी. (फोटो: रॉयटर्स)

बगदाद: इराक में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए गंभीर आर्थिक संकट के बीच खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख मुस्तफा अल-कदीमी ने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली.

साल 2003 के बाद से अल-कदीमी इराक के छठे प्रधानमंत्री हैं.

संसद सत्र में 255 सांसदों ने भाग लिया और उन्होंने इराक के प्रधानमंत्री के तौर पर मुस्तफा अल-कदीमी के नाम के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिससे देश में तकरीबन छह महीने से चल रहा नेतृत्व का संकट खत्म हो गया.

सांसदों ने 15 मंत्री पद के नाम स्वीकार किए और पांच नाम खारिज कर दिए, जिनमें व्यापार, न्याय, संस्कृति, कृषि और प्रवास मंत्रालय शामिल हैं.

इराक के संविधान के अनुसार, अगर मंत्रिमंडल के आधे से अधिक प्रस्तावित पदों को मंजूरी दे दी जाती है तो सरकार बन सकती है.

कदीमी को जब प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत किया गया था तो उन्होंने खुफिया प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. कदीमी पत्रकार भी रह चुके हैं.

उन्होंने ऐसे समय में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है, जब तेल राजस्व में गिरावट के बीच इराक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है.

कदीमी ने सत्र के दौरान सांसदों को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह सरकार हमारे देश के सामने आ रहे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संकट से निपटने के लिए आई है. यह सरकार समस्याओं का समाधान देगी, न कि संकट बढ़ाएगी.’

उन्होंने कहा कि इराक बहुत सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है, हम अपने इतिहास के सबसे कठिन समय से गुजर रहे हैं.

इराक के पूर्व प्रधानमंत्री आदेल अब्दुल महदी, जो देश के कार्यवाहक प्रशासन का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने पिछले साल हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया था.

इराक में सत्तारूढ़ सरकार को हटाने की मांग को लेकर पिछले साल लोग सड़कों पर उतर आए. देश के विभिन्न शहरों में इस दौरान हिंसक प्रदर्शन हुए थे. उनका आरोप था कि इराक के सत्तारूढ़ अमीर देश को आर्थिक बर्बादी की तरफ ले जा रहे हैं.

अलजज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2019 में तकरीबन 231 लोगों की मौत प्रदर्शनों के दौरान हो चुकी है. 25 और 26 अक्टूबर, 2018 को सेना और मिलिशिया समूहों के साथ प्रदर्शनकारियों की मुठभेड़ में कम से कम 74 इराकी लोग मारे गए.

इराकी लोगों ने देश में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ बीते साल एक अक्टूबर से प्रदर्शन करना शुरू किया था. इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में युवाओं और कॉलेज छात्रों ने भाग लिया था.

इस घटनाक्रम के बाद बीते साल नवंबर में महदी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अल-कदीमी की नई सरकार का स्वागत किया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने एक बयान में कहा कि पोम्पिओ ने नए प्रधानमंत्री से बात की और कोरोना वायरस से निपटने एवं भ्रष्टाचार से लड़ने के मुद्दों पर चर्चा की.

बयान में कहा गया है कि पोम्पिओ और अल-कदीमी ने आगामी अमेरिका-इराक संवाद पर भी चर्चा की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)