महाराष्ट्र श्रम विभाग के अनुसार, राज्य में 36,623 पंजीकृत कारखाने हैं जिनमें 28.54 लाख श्रमिक काम करते हैं. बुधवार तक उनमें से 5,458 कारखाने 2.41 लाख मजदूरों के साथ काम कर रहे हैं.
मुंबई: प्रवासी श्रमिकों के अपने गृह राज्यों में वापस लौट जाने पर महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को मजदूरों की कमी का सामना कर रहे राज्य भर के कारखानों में 30 जून तक 12 घंटे काम करने की अनुमति दे दी. हालांकि, श्रमिक संघों ने इस कदम का विरोध किया, आरोप लगाया कि इससे कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्य के श्रम विभाग के सूत्रों ने कहा कि यह मामला एक उद्योग संघ द्वारा मजदूरों की कमी का हवाला देते हुए उठाया गया था, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
श्रम मंत्री दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा, ‘मजदूरों की कमी का हवाला देकर हमें दो उद्योग निकायों से यह अनुरोध मिला था कि 12 घंटे की शिफ्टों में काम करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि कई लोग अपने गांवों में वापस चले गए हैं. सरकार ने फैक्टरीज एक्ट में दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए जून तक 12 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी है.’
अधिकारियों ने कहा कि अधिनियम के अनुसार, आठ घंटे की शिफ्ट और अतिरिक्त एक घंटे के ओवरटाइम की अनुमति है.
उप सचिव (श्रम) श्रीकांत पुलकुंडवार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मजदूरों की कमी का सामना कर रहे कारखानों को कुछ शर्तों के साथ 12-घंटे काम करने की अनुमति दी जा रही है.
इनमें से कुछ शर्तों के अनुसार, कारखानों को मजदूरों को अतिरिक्त चार घंटे के काम के लिए नियमित मजदूरी का दोगुना भुगतान करना चाहिए. साथ ही, कारखानों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने परिसर में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव सावधानी बरतें, यह सुनिश्चित करें कि दो श्रमिकों के बीच सुरक्षित दूरी हो और मास्क पहनना अनिवार्य हो.
पुलकुंडवार ने कहा, ‘जिन कारखानों को लॉकडाउन के बीच काम करने की अनुमति दी गई है, वे इससे लाभान्वित हो सकते हैं. लेकिन यह केवल उन उद्योगों पर लागू होता है जो श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे हैं.’
श्रम विभाग के अनुसार, राज्य में 36,623 पंजीकृत कारखाने हैं जिनमें 28.54 लाख श्रमिक काम करते हैं. बुधवार तक उनमें से 5,458 कारखाने 2.41 लाख मजदूरों के साथ काम कर रहे हैं.