अहमदाबाद पुलिस के सहायक आयुक्त ने बताया कि उपजिलाधिकारी कार्यालय से भी प्रवासियों के घर भेजे जाने के ऐसे आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं. बृहस्पतिवार को यहां से श्रमिकों की एक बस रवाना हुई थी, इसलिए अफवाह फैल गई कि जो भी घर जाना चाहता है, उन्हें यहां पहुंचना होगा.
अहमदाबाद: लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी करते हुए करीब 2,000 प्रवासी मजदूर शुक्रवार को अहमदाबाद के गोटा इलाके में एक सरकारी कार्यालय के बाहर जमा हो गए.
पुलिस ने कहा कि वे इस उम्मीद में यहां एकत्र हुए थे कि उन्हें किसी तरह उनके गृह प्रदेशों में लौटने का रास्ता मिल जाएगा.
पुलिस के अनुसार, सुबह से मजदूरों की भीड़ उस अफवाह के कारण जमा होनी शुरू हुई, जिसमें प्रवासी मजदूरों को रेलवे स्टेशन ले जाने वाली एक बस के सरकारी कार्यालय के बाहर पहुंचने की बात थी.
गोटा पुल के पास उप-जिलाधिकारी के कार्यालय के बाहर अचानक लोगों का हुजूम जुटने की खबर होने पर, पुलिस अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और मजदूरों को वहां से जाने के लिए मनाया. ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश और बिहार के थे.
लॉकडाउन के बीच अपने गृह प्रदेशों को लौटने के इच्छुक प्रवासियों को ऑनलाइन आवेदन देना है. वे ऑफलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं जिसे उन्हें जिलाधिकारी के तहत किसी निर्देशित कार्यालय में जमा कराना होगा.
पुलिस के सहायक आयुक्त एमए पटेल ने कहा, ‘उप-जिलाधिकारी का यह कार्यालय भी ऐसे आवेदन स्वीकार करता है. जिन प्रवासियों को मंजूरी दी गई है, उनसे पहले यहां आने को कहा गया था ताकि उन्हें बसों में रेलवे स्टेशन छोड़ा जा सके.’
उन्होंने कहा, ‘मंजूरी प्राप्त श्रमिकों को फिर ट्रेन में बिठाकर उनके पैतृक स्थानों के लिए रवाना किया जाता. इसी तरह से यह व्यवस्था काम करती है.’
पटेल ने बताया कि चूंकि बृहस्पतिवार को यहां से श्रमिकों को ले जाने वाली एक बस रवाना हुई थी, इसलिए एक अफवाह फैल गई कि जो कोई भी घर जाना चाहता है उन्हें यहां पहुंचना होगा.
उन्होंने बताया, ‘इसलिए करीब 2,000 श्रमिक बस में बैठने और फिर रेल में सवार होने की उम्मीद में सुबह से यहां जमा हो गए.’
पटेल ने बताया, ‘मौके से उन्हें भेजने से पहले, पुलिसकर्मियों ने उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई और यहां तक कि आवेदन फॉर्म भरने में उनकी मदद भी की.’
घर जाने के लिए परेशान श्रमिकों की ओर से गुजरात में लॉकडाउन की अवहेलना का यह नया मामला है.
बता दें कि लॉकडाउन के कारण गुजरात में घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य के सूरत शहर में ऐसे कई प्रदर्शन हो चुकी हैं.
बीते 28 अप्रैल को सूरत में फंसे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान प्रवासी कामगारों ने डॉयमंड बोर्स नाम की कंपनी के दफ्तर पर पथराव भी किया था.
घर भेजने की मांग को लेकर सूरत में प्रवासी मजदूरों ने अप्रैल माह में तीसरी बार ऐसा प्रदर्शन किया था.
बीते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की समयसीमा तीन मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बीच प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में सड़क पर बैठ गए थे.
इससे पहले बीते 10 अप्रैल को लॉकडाउन के बीच सूरत शहर में वेतन और घर वापस लौटने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर पर सड़क पर उतर आए थे. इन मजदूरों ने शहर के लक्साना इलाके में ठेलों और टायरों में आग लगा कर हंगामा किया था. इस घटना के संबंध में पुलिस ने 80 लोगों को गिरफ्तार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)