पूरी दुनिया में फंसे प्रवासियों को कोविड-19 का ख़तरा ज़्यादा: अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन

अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन के महानिदेशक एंतोनियो विटोरिनो ने कहा प्रवासियों को कोविड-19 संक्रमण के ख़तरे के अलावा कलंक व पूर्वाग्रहों का सामना भी करना पड़ता है जिससे उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन के महानिदेशक एंतोनियो विटोरिनो ने कहा प्रवासियों को कोविड-19 संक्रमण के ख़तरे के अलावा कलंक व पूर्वाग्रहों का सामना भी करना पड़ता है जिससे उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र: पूरी दुनिया में हजारों की संख्या में प्रवासी फंसे हुए हैं, जहां उन्हें कोविड-19 के संक्रमण का काफी खतरा है. ये बात प्रवास मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन (आईओएम) के प्रमुख ने कही  है.

आईओएम के महानिदेशक एंतोनियो विटोरिनो ने कहा कि यात्रा प्रतिबंधों के चलते भविष्य में प्रवासियों से काफी भेदभाव होगा. विटोरिनो ने कहा, ‘स्वास्थ्य नई संपत्ति है.’

उन्होंने कुछ देशों के प्रस्तावों का उदाहरण दिया, जिसमें कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए तथाकथित विशेष पासपोर्ट और मोबाइल फोन ऐप का इस्तेमाल शुरू करने की बात की गई थी.

उन्होंने कहा, ‘दुनिया के कई देशों में प्रवासियों के स्वास्थ्य की जांच करने की व्यवस्था है जैसे मलेरिया, तपेदिक, एचआईवी-एड्स आदि और अब मेरा मानना है कि नियमित प्रवासियों के लिए स्वास्थ्य पर नजर रखे जाने की मांग और बढ़ेगी.’

एंतोनियो विटोरिनो ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों से कहा कि पहले से ही यात्रा प्रतिबंधों के ज़रिये महामारी के प्रसार को सीमित करने की जो कोशिश की गई हैं, उसके कारण लोग पहले से कहीं अधिक कमज़ोर पड़ गए हैं और जीवनयापन के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.

विटोरिनो ने कहा, ‘दुनिया भर में हज़ारों प्रवासी फंसे हुए हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया में, पूर्वी अफ्रीका में, लैटिन अमेरिका में, सीमाओं के बंद होने और यात्रा प्रतिबंधों के कारण बहुत सारे प्रवासी जो उस समय बाहर थे और उनमें से कुछ महामारी के कारण वापस लौटना भी चाहते थे.’

विटोरिनो ने कहा कि बहुत से लोग सीमावर्ती क्षेत्रों में बहुत कठिन परिस्थितियों में फंसे हैं- कुछ बड़े समूहों में, कुछ छोटे समूहों में, वो भी स्वास्थ्य सेवाओं और देखभाल से पूरी तरह वंचित परिस्थितियों में… हम सरकारों से आग्रह कर रहे हैं कि मानवीय कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों को उन तक पहुंचने दिया जाए.’

एंतोनियो विटोरिनो ने कोरोना महामारी के चलते फैल रहे नफरत और भेदभाव पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘नफ़रत से भरी अभद्र भाषा और भेदभाव व पूर्वाग्रहों वाले कथनों को पनपने देने से कोविड-19 के ख़िलाफ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रक्रिया भी कमज़ोर पड़ती है.’

विटोरिनो ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 संक्रमण के तत्काल स्वास्थ्य ख़तरे के अलावा, प्रवासियों को कलंक व पूर्वाग्रहों का सामना भी करना पड़ता है, जिससे उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि अगर महामारी दो या तीन स्तरीय गतिशीलता प्रणाली की ओर ले जाती है, तो हमें इस समस्या को सुलझाने की कोशिश करनी होगी, लेकिन साथ ही हमने असमानताएं गहरी करके एक और नई समस्या पैदा कर ली है.

एंतोनियो विटोरिनो ने सभी देशों से अपने नागरिकों की तरह प्रवासियों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने का आग्रह करते हुए कहा कि जो सरकारें उनकी निगरानी नहीं करेंगी, वो लॉकडाउन जैसे उपाय फिर से अपनाने के लिए मजबूर हो सकती हैं.

आईओएम प्रमुख ने कहा, ‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि स्वास्थ्य ही नई संपदा है और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को यातायात प्रणालियों में शामिल किया जाएगा. न केवल प्रवास के लिए बल्कि पूर्ण रूप में; जिसमें व्यवसाय या पेशेवर कारणों से यात्रा करने पर, पासा पलटने की क्षमता स्वास्थ्य में होगी.’

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी शुक्रवार को कहा था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने ‘नफरत और विदेशियों के खिलाफ द्वेष की भावना, दूसरों को बलि का बकरा बनाने और डर फैलाने की सुनामी’ को जन्म दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)