दिल्ली से बिहार लौटे मजदूरों का किराया देने से बिहार सरकार ने क्यों इनकार कर दिया?

दिल्ली सरकार ने बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनका किराया रेलवे को सौंप दिया और इसका पैसा सीधे बिहार सरकार से मांगा. हालांकि, बिहार सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा मांगे गए करीब 6.5 लाख रुपये को वापस करने से इनकार कर दिया है.

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(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली सरकार ने बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनका किराया रेलवे को सौंप दिया और इसका पैसा सीधे बिहार सरकार से मांगा. हालांकि, बिहार सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा मांगे गए करीब 6.5 लाख रुपये को वापस करने से इनकार कर दिया है.

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नई दिल्ली: बीते शुक्रवार को बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों को लेकर दिल्ली से मुजफ्फरपुर को चली एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का किराया चुकाने को लेकर दिल्ली और बिहार सरकार के बीच खींचतान शुरू हो गई है.

विपक्षी दलों और आम जनता की भारी आलोचना के बाद देशभर में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, छात्रों व अन्य को ले जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई विशेष ट्रेनों के किराए को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों में अस्पष्टता का खामियाजा राज्य सरकारों के बीच तनातनी के रूप में सामने आ रही है.

दिल्ली सरकार ने बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनका किराया रेलवे को सौंप दिया और इसका पैसा सीधे बिहार सरकार से मांगा. हालांकि, बिहार सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा मांगे गए करीब 6.5 लाख रुपये को वापस करने से इनकार कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली सरकार ने किराए की मांग को लेकर बीते गुरुवार को बिहार सरकार को पत्र लिखा और शुक्रवार तक भुगतान करने को कहा. दिल्ली सरकार ने कहा कि बिहार सरकार ट्रेन का किराया नहीं देना चाह रही और वह प्रवासी मजदूरों का किराए का खुद भुगतान कर रही है.

बिहार जाने वाले प्रवासी मजदूरों का प्रबंधन देख रहे दिल्ली के नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने इस संबंध में बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रत्यय अमृत को पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने बताया था कि दिल्ली सरकार ने प्रवासी मजदूरों के किराए का भुगतान एक साथ कर दिया है और उन्होंने बिहार सरकार से 6.5 लाख रुपये लौटाने को कहा था.

शनिवार को अमृत ने कहा कि बिहार सरकार किराए का भुगतान नहीं करेगी क्योंकि दिल्ली सरकार ने रेल मंत्रालय द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया है.

रेल मंत्रालय द्वारा 2 मई को जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘स्थानीय राज्य सरकार उनके द्वारा मंजूर किए गए टिकटों को यात्रियों को सौंप देगी और टिकट का किराया एकत्र करेगी और रेलवे को कुल राशि सौंप देगी.’

टिकटों को बेचने को लेकर रेलवे द्वारा तय किए गए दिशानिर्देशों का उल्लेख करते हुए अमृत ने गुप्ता को शनिवार को पत्र लिखा, ‘इस प्रकार, सभी यात्रियों के लिए थोक टिकट खरीदने और फिर बिहार सरकार से प्रतिपूर्ति लेने का दिल्ली सरकार का फैसला रेल मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पूर्वोक्त दिशा निर्देशों का उल्लंघन है.’

बता दें कि, प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य भेजने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है. वहीं, राज्य सरकारों ने गृहराज्य जाने वाले प्रवासी मजदूरों की सूची बनाने और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नोडल टीमों का गठन किया है.

दिल्ली सरकार ने लगभग 1,200 श्रमिकों की सूची तैयार की थी जो बिहार के विभिन्न हिस्सों में लौटना चाहते थे.

बिहार ने तब दिल्ली को लिखा था कि उसकी सरकार की नीति प्रवासियों के आगमन पर प्रवासी मजदूरों द्वारा भुगतान किए गए किराए की प्रतिपूर्ति थी.

हालांकि, दिल्ली सरकार ने प्रवासियों को टिकट नहीं बेचे, लेकिन बिहार को उत्तर रेलवे को दी गई राशि की प्रतिपूर्ति करने के लिए कहा.

बिहार से प्रतिपूर्ति की मांग वाला पत्र सामने आने के बाद दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट कर कहा, ‘यह बात सच है कि दिल्ली सरकार ने बिहार सरकार को पत्र लिखा था. यह भी सच है कि दिल्ली सरकार 1200 मजदूरों की मुजफ्फरपुर यात्रा के टिकट का पैसा कल चुकाया है. हालांकि, यह भी सच है कि हमें बिहार सरकार से कोई जवाब नहीं मिला.’

इससे पहले आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि रेलवे ने कहा था कि ट्रेन तभी चलेगी जब किराए का भुगतान हो जाएगा.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘रेलवे कह रही पहले पैसा दो तब ट्रेन चलेगी जबकि बिहार सरकार कह रही है पहले मज़दूरों से ले लो हम बाद में दे देंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि हम मज़दूरों को पैसा नहीं देने देंगे इसलिए पहले ही रेलवे को चेक से भुगतान कर दिया. किसको बेवक़ूफ़ बना रहे हैं नीतीश जी और भाजपाई?’

एक अन्य ट्वीट कर उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार ने घोषणा की कि राज्यों में जाने वाली ट्रेनों का खर्च 85 फीसदी केंद्र सरकार देगी, 15 फीसदी राज्य सरकार देगी लेकिन दिल्ली से बिहार जाने वाली ट्रेन का खर्च दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार दे रही है. बिहार सरकार नहीं. हम पहले भी बिहार-उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ थे और आगे भी खड़े रहेंगे.’

बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय और श्रम मंत्री राजीव कुमार सिन्हा द वायर के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया.

बता दें कि, देश को सबसे अधिक श्रमशक्ति उपलब्ध कराने वाले राज्यों में से एक बिहार की नीतीश कुमार सरकार अपने नागरिकों को वापस लाने और वापस लाने का खर्च उठाने से लगातार बचती नजर आ रही है.

कोरोना महामारी के दौरान बिहार के दिहाड़ी मजदूरों एवं प्रवासियों से ट्रेन का भाड़ा वसूलने को लेकर नीतीश कुमार आलोचनाओं के घेरे में हैं. विपक्षी दल समेत सामाजिक संगठन ये मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार सभी लोगों के किराये का भुगतान करे.

इसी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा मजदूरों के किराए की भरपाई राज्य कांग्रेस कमेटियों द्वारा किए जाने की घोषणा के बाद बिहार की विपक्ष पार्टी राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी घोषणा की कि फंसे हुए लोगों को वापस लाने के लिए उनकी पार्टी 50 ट्रेनों के किराये का भुगतान करने के लिए तैयार है. इससे पहले यादव ने सरकार को 2000 बसें मुहैया कराने की बात की थी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले राज्य के छात्र-छात्राओं और मजदूरों ने अपील की थी कि वे लॉकडाउन में जिस राज्य में भी फंसे हो वहीं रहे, क्योंकि आने जाने से कोरोना वायरस का ख़तरा रहेगा.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान के कोटा शहर में फंसे राज्य के विद्यार्थियों के लिए तकरीबन 300 बसें भेजे जाने के बाद उनकी आलोचना भी हुई थी.