केंद्र सरकार के नए नियमों के कारण उन भारतीयों के लिए समस्या खड़ी हो गई है जिनके बच्चे अमेरिका में पैदा हुए थे और अमेरिकी नागरिक हैं. ऐसे माता-पिता से कहा गया है कि वे अपने बच्चों के साथ भारत वापस नहीं आ सकते हैं.
नई दिल्ली: अमेरिका में एच-1बी कामकाजी वीजा या ग्रीन कार्ड धारक भारतीय जिनके बच्चे जन्म से अमेरिकी नागरिक हैं, उन्हें कोरोना वायरस संकट के दौरान वैश्विक यात्रा प्रतिबंधों के बीच एअर इंडिया द्वारा चलाए जा रहे विशेष विमानों से वापस भारत आने से रोका जा रहा है.
भारत सरकार द्वारा पिछले महीने जारी नियमों, जिनमें पिछले सप्ताह बदलाव भी किया गया, के अनुसार विदेशी नागरिकों के वीजा और ओसीआई कार्ड (जो भारतीय मूल के नागरिकों को बिना वीजा के यात्रा करने की अनुमति देता है) को नए अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों के कारण निलंबित कर दिया गया है.
न्यू जर्सी के पांडे दम्पत्ति (बदला हुआ नाम) इन सबके चलते दोहरी मार झेल रहे हैं. उनकी एच-1बी नौकरी चली गई है और उन्हें कानून के तहत 60 दिन में भारत भी लौटना है. वहीं दम्पत्ति के दोनों बच्चे अमेरिकी नागरिक हैं.
नेवार्क हवाईअड्डे से उन्हें सोमवार को इसलिए लौटना पड़ा क्योंकि एअर इंडिया ने उनके बच्चों को टिकट देने से मना कर दिया जबकि उनके पास वैध भारतीय वीजा है. दम्पत्ति भारतीय नागरिक हैं.
उन्होंने कहा कि एअर इंडिया और न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी काफी मददगार थे. लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए क्योंकि भारत सरकार द्वारा जारी नए नियमों से उनके हाथ बंधे थे.
रत्ना पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मैं भारत सरकार से अनुरोध करती हूं कि मानवीय आधार पर अपने फैसले के बारे में एक बार फिर सोचें.’
वह अब अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) से उनके यहां रहने का समय बढ़ाने की अपील करने की भी सोच रही हैं.
एच-1बी वीजा धारकों (अधिकतर भारतीय) ने पिछले महीने व्हाइट हाउस में एक याचिका दायर कर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से नौकरी जाने के बाद उनकी देश में रहने की समय सीमा को 60 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने की अपील की थी.
व्हाइट हाउस ने हालांकि अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
सिंगल मदर ममता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें भारत जाने का टिकट तो दे दिया गया है लेकिन उनके तीन महीने के बेटे को टिकट नहीं दिया गया क्योंकि वह अमेरिकी नागरिक है.
उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार से अनुरोध करती हूं कि हमें वापस घर आने दें. मैं अब और अमेरिका में नहीं रहना चाहती.’ नेवार्क हवाई अड्डे से रविवार को उन्हें अहमदाबाद जाने वाले विमान में यात्रा करने से रोक दिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘मैं यहां अकेली हूं. मेरा यहां कोई रिश्तेदार नहीं है. यह काफी मुश्किल स्थिति है.’
वाशिंगटन डीसी के निवासी राकेश गुप्ता (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘वंदे भारत मिशन एक मानवीय अभियान है. लेकिन यह असल में अमानवीय है.’
एच-1बी पेशवेर गुप्ता की नौकरी चली गई है और उन्हें 60 दिन में भारत लौटना है. वह और उनकी पत्नी गीता (बदला हुआ नाम) भारतीय नागरिक हैं और उन्हें वापस जाने की टिकट मिल गई है लेकिन उनसे कहा गया है कि उनकी ढाई वर्ष की बेटी उनके साथ यात्रा नहीं कर सकती क्योंकि वह ओसीआई कार्ड धारक है.
इस बात के कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं है कि कितने भारतीय एच-1बी वीजा धारकों की नौकरी गई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक हैं.
अमेरिका में कोरोना वायरस के कारण बेराजगारी दर काफी बढ़ गई हैं और पिछले दो महीने में करीब 3.3 करोड़ अमेरिकियों की नौकरी गई है.
पांडे दंपति और ममता के विपरीत, जिन्होंने अपनी उड़ान के लिए प्रति टिकट 1,361 डॉलर का भुगतान किया था, राकेश ने कोई भुगतान नहीं किया था. एयर इंडिया ने कहा है कि पैसा वापस कर दिया जाएगा.
तीनों भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वे मौजूदा नियमों में आवश्यक बदलाव करके उन्हें घर वापस आने में मदद करें.
न्यूयॉर्क स्थित स्थानीय नेता प्रेम भंडारी ने कहा कि पांच मई की यात्रा एडवाइजरी ने अमेरिका में ओसीआई कार्ड धारकों के लिए और भारतीय नागरिकों के लिए गंभीर समस्या खड़ी कर दी है, जो या तो ग्रीन कार्ड या एच-1 बी वीजा पर हैं और घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन अपने बच्चों को नहीं छोड़ सकते जो जन्म से अमेरिकी हैं.
भंडारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को बीते सोमवार को लिखे पत्र में कहा, ‘हम इस महत्वपूर्ण चरण में भारत में प्रवेश करने के संबंध में ओसीआई और नागरिकों के बीच भेदभाव को लेकर अपनी निराशा व्यक्त करना चाहते हैं. कई ओसीआई ने भारत में अपने घरों, परिवारों और व्यवसायों का विधिवत निर्माण किया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)