मृतक के रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार में देरी की वजह से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं. वहीं अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मृतक के रिश्तेदार ने शव को छूने तक से मना कर दिया गया था.
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोरोना वायरस के संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है.
नौ मई को मेरठ के संभल तहसील के रहने वाले 60 वर्षीय वृद्ध को मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एलएलआरएम) में भर्ती कराया था, जहां उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई. 10 मई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. 11 मई की देर शाम परिजन मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंचे.
आरोप है कि शव पूरी रात सूरजकुंड श्मशान घाट पर वाहन में पड़ा रहा.
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजकुमार चौधरी ने अपने स्वीपर को पीपीई किट पहनाकर सूरजकुंड भेजा. उसने लाश एम्बुलेंस से उतारकर प्लेटफॉर्म पर रखी. इसके बाद 12 मई की सुबह अंतिम संस्कार हो पाया.
मृतक के परिजनों का कहना है कि शव का अंतिम संस्कार जरूरी है, इसलिए सूरजकुंड श्मशान घाट पर लाया गया. आरोप है कि यहां पूरी रात शव वाहन में पड़ा रहा.
उधर, मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अधीक्षक डॉ. धीरज बालियान का कहना है कि बुजुर्ग व्यक्ति वेंटिलेटर पर थे. उनको वार्ड में भर्ती किया गया, जहां इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. वह पहले से ही गंभीर बीमार चल रहे थे.
उनका कहना है कि उन्होंने एम्बुलेंस व्यवस्था कर दी थी और शव परिवारवालों के सुपुर्द कर दिया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ‘मुरादाबाद में क्वारंटीन किए गए मृतक के 27 साल के बेटे ने कहा, मेरे पिताजी की मौत सोमवार सुबह ही हो गई थी, इसके बावजूद हमें इसकी जानकारी शाम को दी गई. इसके बाद प्रशासन को 12 घंटे का समय यह निर्णय करने में लग गया कि उनका अंतिम संस्कार कहा किया जाएगा.’
उन्होंने बताया कि इसके बाद मेरे चचेरे भाई को मंगलवार तक सुबह तक स्वास्थ्य अधिकारियों का इंतजार करना पड़ा, जिनके आने के बाद शव वाहन से पिता का शव बाहर लाया गया.
मृतक के भतीजे ने बताया, ‘मैं सोमवार सुबह से अंतिम संस्कार के लिए मेडिकल टीम के आने का इंतजार करता रहा. मैंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन को फोन भी किया, लेकिन सब बेकार गया. सभी मुझसे इंतजार करने के लिए कह रहे थे. पूरा परिवार क्वारंटीन है, केवल मैं ही बचा हूं.’
हालांकि समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सीएमओ का यह भी कहना था कि शव को मृतक के परिवारवाले हाथ लगाने तक के लिए तैयार नहीं थे. इस वजह से अंतिम संस्कार में देरी हुई.
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरसी गुप्ता ने कहा, ‘हमने नियमों के तहत शव सोडियम हाइपोक्लोराइट से संक्रमणमुक्त कर परिवार को सौंप दिया था. शव को तीन स्तरीय बैग में रखा गया था और इसे ले जाना पूरी तरह से सुरक्षित था.’
उन्होंने कहा, ‘मृतक के रिश्तेदार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण मांग रहे थे, जो कि देना संभव नहीं था. हालांकि नियमों के अनुसार हमने उन्हें दस्ताने और मास्क दिए थे. इसके बावजूद उन्होंने शव छूने या उसे शव वाहन से बाहर निकालने से मना कर दिया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)