पाकिस्तान की ओर से यह कदम मानवाधिकार की उस रिपोर्ट के आने के बाद उठाया गया है, जिसमें खुलासा हुआ था कि 2019 में विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनका जबरन धर्मांतरण जारी है.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा और देश में अंतर-धर्म सद्भाव के लिए एक आयोग का पनर्गठन किया है.
कुछ दिनों पहले ही आई मानवाधिकार की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि 2019 में विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनका जबरन धर्मांतरण जारी है.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि 2019 में पाकिस्तान का मानवाधिकार के मामलों में रिकॉर्ड ‘बेहद चिंताजनक’ रहा, जिसमें राजनीतिक विरोध के सुर पर व्यवस्थित तरीके से लगाम लगाने के साथ ही मीडिया की आवाज भी दबाई गई.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कमजोरों और खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब होगी.
पाकिस्तान द्वारा अपने सबसे कमजोर तबके को बचाने में विफल रहने का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा था, ‘बलूचिस्तान में खदानों में बाल श्रमिकों के यौन शोषण की खबरें आईं जबकि हर पखवाड़े बच्चों से दुष्कर्म किये जाने, उनकी हत्या और उन्हें छोड़ दिये जाने की खबरें आम हैं.’
एचआरसीपी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बीती सात मई को कहा था कि धार्मिक अल्पसंख्यक देश के संविधान के तहत प्रदत्त धार्मिक आजादी का लाभ उठा पाने में अक्षम हैं.
‘2019 में मानवाधिकार की स्थिति’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आयोग ने कहा था, ‘पंजाब में अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय को कुछ धार्मिक स्थलों पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है. सिंध और पंजाब प्रांत में हिंदू और ईसाई समुदायों की तरफ से जबरन धर्मांतरण की शिकायतें आना जारी है.’
धार्मिक मामलों एवं अंतर-धर्म सद्भाव मंत्रालय ने बीती 12 मई को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन की घोषणा की. मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक आयोग में छह आधिकारिक और 12 गैर-आधिकारिक सदस्य होंगे. आयोग के सदस्यों की संख्या पहले स्पष्ट नहीं थी क्योंकि यह निष्क्रिय था.
इसके अनुसार, आयोग देश में शांति और अंतर-धर्म सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति के विकास के वास्ते एक प्रस्ताव तैयार करेगा.
डान अखबार की खबर के मुताबिक आयोग उन कानूनों/नीतियों में संशोधन का प्रस्ताव देगा जो कथित तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं और वो कदम सुझाएगा जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की अधिकतम व प्रभावी भागीदारी, त्योहार और सांस्कृतिक उत्सवों को मनाने का अधिकार सुनिश्चित हो.
आयोग अल्पसंख्यक समुदाय की शिकायतों और उनके सदस्यों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रतिवेदनों पर भी विचार करेगा.
पाकिस्तान हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष और सिंध प्रांत में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता चेला राम केवलानी इस आयोग के अध्यक्ष होंगे.
केवलानी के अलावा पुनर्गठित आयोग में जयपाल छाबड़िया और विष्णू राजा कवि भी बतौर सदस्य होंगे. जयपाल कराची के सामाजिक कार्यकर्ता हैं जबकि विष्णू सिंध प्रांत के पूर्व नौकरशाह हैं.
आयोग में दो सिख सदस्य सरूप सिंह और मीमपाल सिंह भी शामिल किए गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)