जम्मू कश्मीर: पूर्व आईएएस शाह फैसल की नज़रबंदी पीएसए के तहत तीन महीने बढ़ाई गई

भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन करने वाले शाह फैसल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से नज़रबंदी में हैं और उन पर इस साल फरवरी में जन सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी.

/
शाह फैसल. (फोटो साभार: फेसबुक)

भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन करने वाले शाह फैसल जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से नज़रबंदी में हैं और उन पर इस साल फरवरी में जन सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी.

शाह फैसल. (फोटो साभार: फेसबुक)
शाह फैसल. (फोटो साभार: फेसबुक)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी शाह फैसल की नजरबंदी की अवधि तीन महीने तक के लिए बढ़ा दी है. एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से नजरबंद रहे फैसल पर इस साल फरवरी में पीएसए लगाया गया था.

बुधवार को फैसल की नजरबंदी की अवधि समाप्त होने के कुछ ही घंटे पहले इसे विस्तार दिया गया.

पूर्व आईएएस की नजरबंदी की अवधि तीन महीने के लिए बढ़ाई गई है, जिसे पहले एक वर्ष के लिए और फिर दो वर्ष तक के लिए विस्तार दिया जा सकता है.

फैसल को पिछले वर्ष 13-14 अगस्त की मध्यरात्रि को इस्तांबुल की उड़ान में सवार होने से पहले दिल्ली हवाईअड्डे पर रोककर वापस श्रीनगर ले जाया गया था, जहां उन्हें नजरबंद किया गया.

भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व नौकरशाह फैसल ने जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन किया था.

35 वर्षीय शाह फैसल ने जनवरी 2019 में आईएएस पद से इस्तीफा दिया था.

2010 सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया टॉपर रहे पहले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने ‘कश्मीर में हो रही हत्याओं, हिंदुत्ववादियों द्वारा भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर धकेलने, असहिष्णुता और बढ़ती नफ़रत’ का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दिया था.

बीते सप्ताह ही जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अली मोहम्मद सागर और पीडीपी नेता सरताज मदनी की नजरबंदी जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी.

केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्यधारा के नेताओं समेत सैकड़ों लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया गया था.

हालांकि, बीते 24 मार्च को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर से पीएसए हटाते हुए रिहा कर दिया गया था. इससे पहले पीएसए के तहत ही हिरासत में रखे गए उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बीते 13 मार्च को रिहा कर दिए गए थे.

हिरासत में रखे गए अन्य प्रमुख नेताओं में पीडीपी नेता नईम अख्तर, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद लोन शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)