गुजरात के मंत्री चूड़ास्मा का चुनाव रद्द करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन राठौड़ की याचिका पर 12 मई को भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा का निर्वाचन कदाचार के आधार पर रद्द कर दिया था.

गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन राठौड़ की याचिका पर 12 मई को भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा का निर्वाचन कदाचार के आधार पर रद्द कर दिया था.

Bhupendrasinh Chudasama. Photo Facebook
भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कदाचार के आधार पर गुजरात के कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा का निर्वाचन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी.

लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस मोहन एम. शांतनागौदार और आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने चूड़ास्मा की अपील पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के 12 मई के आदेश पर रोक लगाई.

इसके साथ ही पीठ ने चूड़ास्मा के प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के अश्विन राठौड़ तथा अन्य को इस अपील पर नोटिस जारी किया. भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा 2017 के विधानसभा चुनाव में धोलका सीट से 327 मतों से विजयी घोषित किये गये थे. वह इस समय गुजरात की विजय रूपाणी सरकार में कानून मंत्री हैं.

गुजरात उच्च न्यायालय ने अश्विन राठौड़ की याचिका पर 12 मई को चूड़ास्मा का निर्वाचन कदाचार के आधार पर रद्द कर दिया था. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि निर्वाचन आयोग ने मतगणना के दौरान डाक से मिले 429 मतों को गलत तरीके से अस्वीकार किया था.

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और नीरज किशन कौल चूड़ास्मा की ओर से और कपिल सिब्बल राठौड़ की ओर से पेश हुए थे.

साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट जज को उन सभी 429 मतों को मंगाना चाहिए था और देखना चाहिए था क्या उन्हें सही आधार पर अस्वीकार किया गया है या नहीं.

वहीं सिब्बल ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) ने एक फॉर्म साइन किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि 429 मतों को खारिज किया है लेकिन उन्होंने पर्यवेक्षक को बताया कि कोई भी वोट खारिज नहीं किया गया. इसके पीठ ने उन्हें बताया कि संबंधित ऑफिसर ने लिखित बयान दायर कर बताया है कि उन्होंने उन मतों को क्यों अमान्य किया था.