प्रवासी मज़दूरों की घर वापसी के लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे गैर भाजपा शासित राज्यों से सहयोग नहीं मिलने के रेल मंत्री पीयूष गोयल के आरोपों के बाद इन राज्यों ने कहा है कि रेल मंत्रालय के पास सही जानकारी नहीं हैं और आरोप तथ्यों से परे हैं.
नई दिल्लीः रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों से सहयोग न मिलने का आरोप लगाया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीयूष गोयल ने कहा कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य अपने यहां पर्याप्त संख्या में श्रमिक विशेष ट्रेनों को आने की मंजूरी नहीं दे रहे हैं.
पीयूष गोयल ने पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अनुमान लगाया है कि देशभर में रह रहे राज्य के लगभग 30 से 50 लाख प्रवासी मजदूर घर लौटना चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार अपने लोगों को वापस लाने में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रही है.
गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कहा, ‘पश्चिम बंगाल ने हमें अभी सूचित किया कि उनकी योजना अगले 30 दिनों में 105 ट्रेनों को मंजूरी देने की है लेकिन इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं दी गई. अगर हम अगले 15 से 20 दिनों के लिए रोजाना पश्चिम बंगाल के लिए 100 ट्रेनें चलाते हैं केवल तभी सभी अपने घर लौट सकते हैं और अपने परिवारों से मिल सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि अभी पश्चिम बंगाल के लिए सिर्फ सात ट्रेनें चलाने की ही योजना है.
पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा, ‘कामगारों को वापस घर लाने के लिए अब तक 1,034 श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाया गया है जिसमें से 106 ट्रेनें शुक्रवार संचालित हुईं. उत्तर प्रदेश व बिहार ने इस दिशा में बहुत तेजी से कदम उठाए हैं और देशभर में चली कुल श्रमिक विशेष ट्रेनों से लगभग 80 फीसदी ट्रेनें इन दोनों राज्यों द्वारा चलाई गई हैं.’
कामगारों को वापस घर लाने के लिए अब तक 1,034 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाया गया है। जिसमे से 106 ट्रेन कल संचालित हुई।
उत्तर प्रदेश व बिहार ने इस दिशा बहुत तेजी से कदम उठाए हैं, और देश भर में चली कुल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में से लगभग 80% ट्रेन इन दोनों राज्यों द्वारा चलाई गई हैं। pic.twitter.com/S3zxs9ylm4
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 16, 2020
गोयल ने कहा कि जिस दर से पश्चिम बंगाल ट्रेनों को चलाने की योजना बना रही है, इस तरह सिर्फ पांच से सात फीसदी प्रवासी मजदूर ही ट्रेनों से घर पहुंच पाएंगे.
गोयल ने कहा, ‘अगर लगभग 30 दिनों में सिर्फ 100 ट्रेनें ही चलेंगी तो मेरे अनुमान में सिर्फ पांच से सात फीसदी लोगों को ही इससे लाभ होगा. इससे बाकी लोगों को अधिक दिक्कत होगी. वे पैदल सड़कों से जाने की कोशिश कर सकते हैं, रेलवे ट्रैक पर चल सकते हैं, ट्रक, साइकिल, बसों से जा सकते हैं जिससे अधिक दुर्घटनाएं हो सकती हैं.’
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को ट्वीट कर देशभर से पश्चिम बंगाल आने वाली 105 ट्रेनें के अस्थायी शेड्यूल के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें बताया गया था कि राज्य की अगले एक महीने तक रोजाना लगभग चार से पांच ट्रेनें को मंजूरी देने की योजना है.
पश्चिम बंगाल के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2.5 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों ने राज्य लौटने के लिए आवेदन किया था. राज्य की कुछ ट्रेड यूनियनों के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं.
गोयल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए 1,200 ट्रेनें चलाई जा रही हैं और रेलवे मजदूरों की घर वापसी के लिए प्रतिदिन 300 ट्रेनें चला सकता है.
उन्होंने कहा, ‘मैं पश्चिम बंगाल राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ की सरकारों से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि वे श्रमिक ट्रेनों को राज्य में आने की मंजूरी दें और अपने मजदूरों का स्वागत करें.’
रेलवे की आधिकारिक सूची के मुताबिक, ‘रेलवे ने शुक्रवार तक 1,000 श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाईं, जिसके जरिये 10 लाख से अधिक मजदूरों को ले जाया गया.’
There is no permission pending for any train with govt of Rajasthan. In fact Rajasthan was in strong favour that Railways shd b allowed for commute of Migrants. But I am not surprised to see statement by Railway minister,they are skilled in passing their failure on to state govts https://t.co/cFTDlG6Q2J
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) May 14, 2020
रेल मंत्री के इन बयानों पर पलटवार करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘राजस्थान सरकार के पास किसी भी ट्रेन के लिए कोई अनुमति लंबित नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘वास्तव में राजस्थान मजबूती से इसके पक्ष में था कि रेलवे को प्रवासियों के आवागमन के लिए ट्रेनों को चलाने की मंजूरी देनी चाहिए लेकिन मैं रेल मंत्री के बयान देखकर अचंभित नहीं हूं क्योंकि वे अपनी असफलता को राज्य सरकारों पर मढ़ने के हुनर में पारंगत हैं.’
छत्तीसगढ़ की ओर से 30 ट्रेनों की अनुमति मांगी गई है और हमें अब तक सिर्फ़ 14 मिली हैं।
ट्रेनों के लिए हम क़रीब 1.17 करोड़ का भुगतान भी रेलवे को कर चुके हैं।
रेलवे या किसी राज्य की ओर से कोई प्रस्ताव हमारे पास लंबित नहीं है।केंद्रीय रेल मंत्री जी आपका बयान तथ्यहीन और आधारहीन है। https://t.co/xrLNIDuM2a pic.twitter.com/hDJbDSu6VJ
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 15, 2020
इस मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने ट्वीट कर कहा, ‘गोयल के बयान आधारहीन और तथ्यों से परे हैं. राज्य सरकार अब तक 30 ट्रेन मांग चुकी है, लेकिन उसे अभी तक 14 ट्रेन ही मिली हैं. हमने इन ट्रेनों के लिए रेलवे को 1.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. किसी भी राज्य और रेलवे की ओर से कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है.’
Jharkhand CM @HemantSorenJMM : Railway Minister @PiyushGoyal has been misinformed by his office. I request him to run more and more trains. We have given NOC for 110 trains in which 50 have reached the state bringing 60,000 migrants. @IndianExpress
— Abhishek Angad (@abhishekangad) May 15, 2020
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने समाचार पत्र को बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल को गलत जानकारी दी गई है. राज्य ने 110 ट्रेनों के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) दिया है, लेकिन इनमें से अभी सिर्फ 50 ट्रेनें ही झारखंड पहुंची हैं.
सोरेन ने कहा, ‘रेल मंत्री पीयूष गोयल को उनके ऑफिस ने गलत जानकारी दी है. मैंने उनसे ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें चलाने का आग्रह किया था. हमने 110 ट्रेनों के लिए एनओसी दिया था जिनमें से 50 ट्रेनें ही झारखंड पहुंची हैं और इनके जरिये 60,000 प्रवासी मजदूर राज्य लौटे हैं.’