हाईकोर्ट ने कहा कि कोविड-19 संकट काल में प्रवासी मज़दूर और कृषि कामगार काफी उपेक्षित हैं. अदालत ने ऐसे मज़दूरों के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों से 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
चेन्नईः मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के बीच पलायन करते प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति को मानवीय त्रासदी करार दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘बीते एक महीने में मीडिया में प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति देखकर आंसू रोकना किसी के लिए भी मुश्किल है.’
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों का ध्यान रखना सिर्फ मूल राज्यों का ही नहीं बल्कि उन प्रदेशों का भी कर्तव्य है, जहां वे काम करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.
अदालत ने कहा कि कोविड-19 संकट काल में प्रवासी मजदूर और कृषि कामगार काफी उपेक्षित हैं. अदालत ने ऐसे मजदूरों के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों से 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
पीठ ने कहा कि हालांकि सरकारों ने समाज के हर वर्ग की अधिकतम सीमा तक देखभाल की है लेकिन प्रवासी मजदूरों और कृषि कामगारों की उपेक्षा की गई है. यह पिछले एक महीने में प्रिंट और विजुअल मीडिया की रिपोर्टों से स्पष्ट है.
अदालत ने प्रवासी मजदूरों की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा, ‘पिछले एक महीने से मीडिया में प्रवासी मजदूरों की दिख रही दयनीय स्थिति को देखकर कोई भी अपने आंसुओं को नहीं रोक सकता है.’
पीठ ने वकील सूर्यप्रकाशम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
याचिका में अनुरोध किया गया है कि इलियाराजा और 400 अन्य लोगों को पेश करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं, जिन्हें महाराष्ट्र में सांगली जिले के पुलिस अधीक्षक ने कथित तौर पर अवैध रूप से हिरासत में ले लिया है.
हाईकोर्ट ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनकी देखभाल के मामले में आड़े हाथ लिया.
हाईकोर्ट ने स्थिति के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर सरकार को घेरा और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्यवार आंकड़ा देखने को कहा.
अदालत ने औरंगाबाद घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की घटना ने झकझोर कर रख दिया है.
अदालत ने कहा, ‘पिछले दिनों औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत जैसी घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया. इन्हें देखकर शायद ही किसी का दिल न पसीजा हो. आंसुओं को रोक पाना मुश्किल था. यह एक मानवीय त्रासदी है.’
बता दें कि अदालत के इस आदेश के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने सभी प्रवासी मजदूरों से अपील की कि वे कहीं न जाएं और राज्य सरकार उनकी मदद करेगी.