केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है. सरकार ने अधिकतर राहत कर्ज या कर्ज के ब्याज में कटौती के रूप में दी है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण उपजे गंभीर आर्थिक संकट से समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ का पूरा विवरण अब हमारे सामने आ चुका है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पिछले पांच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुल मिलाकर 11.02 लाख करोड़ रुपये की घोषणाएं की. इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1.92 लाख करोड़ रुपये और भारतीय रिजर्व बैंक ने 8.01 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की थी.
इस तरह कोरोना संकट से उबारने के नाम पर केंद्र सरकार ने कुल मिलाकर 20.97 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की है, जो कि जीडीपी का करीब-करीब 10 फीसदी है.
Here is the summary of all the announcements so far, totalling over Rs 20 lakh crores (5/5)#AatmaNirbharApnaBharat pic.twitter.com/i2HVhYabj2
— PIB India (@PIB_India) May 17, 2020
ये पैकेज देखने में तो काफी भारी-भरकम लगता है, लेकिन इससे सरकारी खजाने पर वास्तविक भार काफी कम पड़ेगा और इस पैकेज की तुलना में काफी कम राशि (कैश) सीधे तौर पर लोगों के हाथ में दी जाएगी.
ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार ने जो पैकेज दिया है उसमें से अधिकतर घोषणाएं कर्ज देने या सस्ते दर पर कर्ज देने या कर्ज देने की शर्तें आसान करने और ब्याज दरों में कटौती या त्वरित भुगतान करने पर ब्याज में कुछ छूट देने से जुड़ी हुई हैं.
सरकार राहत राशि के नाम पर छोटे-बड़े उद्योगों, किसानों, मुद्रा योजना और यहां तक कि रेहड़ी-पटरी वालों को भी कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
इसलिए ऐसी स्थिति में कर्ज देने के लिए बैंकों या वित्तीय संस्थाओं को कुछ शुरुआती खर्च उठाना पड़ सकता है लेकिन केंद्र के खजाने से वास्तविक राशि खर्च नहीं होगी, क्योंकि ये राशि कर्ज के रूप में होगी जिसे अंतत: लोगों को लौटाना ही होता है.
To sum up all the measures announced so far, here is the Stimulus provided by announcements in the 1st tranche (1/5)#AatmaNirbharApnaBharat pic.twitter.com/2fJVyZpZ5d
— PIB India (@PIB_India) May 17, 2020
इसके अलावा निर्मला सीतारमण ने, खासकर तीसरे किस्त में, जो घोषणाएं की हैं उनका प्रभाव जमीन पर उतरने में काफी ज्यादा समय लगेगा और इसके कारण यह कहा जा सकता है कि इससे इस साल वित्तीय खजाने पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा.
द वायर के विश्लेषण के अनुसार आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इस साल केंद्र के खाते से 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी कम राशि खर्च होगी. जैसा कि ऊपर में बताया गया है कि कुछ घोषणाओं के संबंध में स्पष्ट खर्च इस पर निर्भर करेगा कि केंद्र सरकार कितनी तेजी से इनको लागू करेगी और इनके कितने लाभार्थी होंगे.
इस तरह कुल 20 लाख करोड़ रुपये का 10 फीसदी से थोड़ा ज्यादा यानी कि दो लाख करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक राशि लोगों के हाथ में पैसा या राशन देने में खर्च की जानी है. ये राशि जीडीपी का एक फीसदी से थोड़ा ज्यादा है.
नीचे दी गई तालिका में व्यापक राजकोषीय प्रभाव यानी सरकारी खजाने पर पड़ने वाले प्रभाव अनुमानों की एक रेंज दी गई है, जो कई अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों (केयर रेटिंग, ईएमकेएवाई, एसबीआई रिसर्च, एचएसबीसी इंडिया) के आकलन पर आधारित है.
कुछ अर्थशास्त्रियों के आकलनों के मुताबिक इस राहत पैकेज के चलते केंद्र सरकार पर सबसे अधिक 2.40 लाख करोड़ रुपये का भार पड़ सकता है. इसमें टैक्स संबंधी घोषणाओं को भी शामिल किया गया है. एसबीआई रिसर्च के मुताबिक टीडीएस/टीसीएस में कटौती के चलते 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रभाव पड़ेगा. ये आकलन इस अनुमान के साथ है कि सरकार की घोषणाएं पूर्ण रूप से लागू की जाएंगी.
वहीं अगर न्यूनतम प्रभाव वाले आकलन को देखें तो बार्सलेज के प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया के अनुमान के मुताबिक पिछले पांच दिनों में की गई घोषणाओं का वास्तविक राजकोषीय प्रभाव 1.5 लाख करोड़ रुपये है.