यह प्रस्ताव 35 देशों और यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों की ओर से पेश किए गए सात पेज के मसौदा प्रस्ताव का हिस्सा है. अमेरिका और चीन इस प्रस्ताव का हिस्सा नहीं हैं.
नई दिल्लीः दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलने के कारणों और इसकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए भारत सहित 62 देशों ने विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव 35 देशों और यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों की ओर से पेश किए गए सात पेज के मसौदा प्रस्ताव का हिस्सा है.
इसे सोमवार को ही विश्व स्वास्थ्य सभा की 73वीं बैठक के दौरान पेश किया जा सकता है, जो कि डब्ल्यूएचओ की निर्णायक संस्था है.
इस प्रस्ताव के जरिये कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भूमिका के आकलन के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की भी मांग की गई है.
इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के कार्यों की जांच और कोविड-19 महामारी से जुड़ी उसकी समयसीमा की भी जांच की मांग की गई है.
हालांकि अमेरिका और चीन इस प्रस्ताव का हिस्सा नहीं हैं.
यूरोपीय संघ (ईयू) और ऑस्ट्रेलिया की ओर से जांच की मांग वाले इस प्रस्ताव पर भारत ने भी आधिकारिक तौर पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देशों में से तीन ब्रिटेन, रूस और फ्रांस का समर्थन प्राप्त है.
इसके साथ ही जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की जैसे देशों ने भी इस प्रस्ताव के प्रति समर्थन जताया है लेकिन पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. सार्क देशों में से सिर्फ बांग्लादेश और भूटान ने ही हस्ताक्षर किए हैं.
यह पहली बार है, जब भारत ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी तरह का स्टैंड लिया है.
ऐसा माना जाता है कि चीन के वुहान से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला. कोरोना का पहला मामला वुहान से सामने आया था.
अमेरिका लगातार चीन पर कोरोना वायरस को लेकर जानकारी छिपाने का आरोप लगाता रहा है.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया गया था और उस पर चीन की पब्लिक रिलेशंस (पीआर) कंपनी की तरह काम करने का भी आरोप लगाया था.