कंपनी ने अदालत से मांग की थी कि इस मामले की जांच के लिए एनजीटी द्वारा गठित कमेटी पर रोक लगाई जानी चाहिए. बीती सात मई को एलजी पॉलीमर्स के विशाखापट्टनम स्थित संयंत्र में गैस रिसाव से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एलजी पॉलीमर्स से मंगलवार को कहा कि उसके आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित संयंत्र में हुए गैस रिसाव के मामले की जांच के लिए कई समितियां गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश से जुड़े सवालों के बारे में उसे उसके समक्ष उपस्थित होना होगा.
इस कंपनी ने सात मई को हुए गैस रिसाव के मामले में स्वत: ही कार्यवाही शुरू करने के एनजीटी के अधिकार पर सवाल उठाते हुए यह याचिका दायर की थी.
इस संयंत्र से खतरनाक गैस स्टाइरीन के रिसाव से कम से कम 11 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी और हजार से अधिक अन्य लोग इससे प्रभावित हुए थे.
जस्टिस उदय यू. ललित, जस्टिस एमएम शांतानागौडार और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एलजी पॉलीमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिडेट की याचिका पर सुनवाई के बाद कंपनी को एनजीटी ही जाने की सलाह दी.
कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि एनजीटी के निर्देशानुसार उसने 50 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं.
लाइव लॉ के मुताबिक आठ मई को एनजीटी ने गैस लीक मामले को लेकर एलजी पॉलीमर्स इंडिया को 50 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि जमा करने का निर्देश दिया था.
पीठ ने इसके अलावा केंद्र, एलजी पॉलीमर्स और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) समेत अन्य को भी नोटिस जारी किया था.
रोहतगी ने कहा कि वह इस मामले का स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही करने और इस हादसे की जांच के लिए कई समितियां गठित करने के एनजीटी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठा रहे हैं.
रोहतगी ने अदालत को बताया कि इस मामले की जांच के लिए कई कमेटियां बना दी गई हैं. एनजीटी की कमेटी ने बिना नोटिस दिए तीन बार प्लांट का दौरा किया, जबकि पहले ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई कर आदेश जारी कर दिए थे.
उन्होंने पीठ को बताया कि केंद्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी जांच कमेटी बना दी है, इसलिए एनजीटी की कमेटी पर रोक लगाई जानी चाहिए.
इस पर पीठ ने कहा कि ये मामला पूरी तरह कानूनी है और एनजीटी को भी पता है कि हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला एनजीटी में लंबित है इसलिए वो कोई आदेश जारी नहीं करेगा और न ही नोटिस जारी करेगा.
साथ ही पीठ ने कहा कि इस मामले को 1 जून को एनजीटी के समक्ष उठाया जा सकता है. यह मामला 8 जून को विचार के लिए लंबित रखा गया है.
बता दें कि एनजीटी में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना की जांच करने के लिए जस्टिस बी. शेषासायण रेड्डी की की अगुवाई में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसे 18 मई से पहले इसे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी.
एनजीटी का कहना था कि इस मामले को देखकर स्पष्ट पता चलता है कि कंपनी नियमों और दूसरे वैधानिक प्रावधानों को पूरा करने में नाकाम रही है जिसकी वजह से ये हादसा हुआ है.
मालूम हो कि विशाखापट्टनम गैस लीक मामले की एफआईआर में कंपनी या किसी कर्मचारी का नाम दर्ज नहीं है. एफआईआर में बस इतना कहा गया है कि कारखाने से कुछ धुआं निकला, जिसकी गंध बहुत बुरी थी और इसी गंध ने लोगों की जान ले ली.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ के एक विशेषज्ञ ने भी विशाखापट्टनम गैस लीक की घटना को भोपाल गैस त्रासदी जैसी बताते हुए कहा था कि यह हादसा ध्यान दिलाता है कि अनियंत्रित उपभोग और प्लास्टिक के उत्पादन से किस तरह मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)