इससे पहले रेल मंत्रालय द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि जिस राज्य से प्रवासी चलेंगे, उस राज्य को जिस राज्य में प्रवासी लौटना चाहते हैं, उसकी सहमति लेनी होगी. रेलवे ने बताया है कि अब तक 1,600 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 21 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है.
नई दिल्ली: रेलवे की ओर से कहा गया है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन के लिए गंतव्य राज्यों की सहमति की जरूरत नहीं है. गृह मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए इन ट्रेनों को चलाने के वास्ते रेलवे के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की.
मंगलवार को रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेयी ने कहा, ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए उन राज्यों की सहमति की आवश्यकता नहीं है, जहां यात्रा समाप्त होनी है.’
उन्होंने कहा, ‘नई एसओपी के बाद उस राज्य की सहमति लेना अब आवश्यक नहीं है जहां ट्रेन का समापन होना है.’
बीते दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्य इन ट्रेनों को मंजूरी देने के मामले में पीछे हैं. हालांकि विभिन्न राज्यों ने इस आरोप का खंडन किया था.
एनडीटीवी के मुताबिक संशोधित एसओपी में कहा गया कि गंतव्य और रुकने वाले स्टेशन समेत ट्रेनों की समय-सारिणी पर अंतिम फैसला रेल मंत्रालय करेगा और वह इसकी जानकारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देगा ताकि ऐसे फंसे हुए मजदूरों को भेजने या लाने के लिए जरूरी प्रबंध किए जा सकें.
अधिकारियों ने बताया कि रेल मंत्रालय प्रवासी मजदूरों की सुविधा के लिए विशेष ट्रेनों का ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर रुकना सुनिश्चित करेगा. इसमें कहा गया कि ट्रेनों की समय-सारिणी, यात्रियों के प्रवेश और आवाजाही के लिए प्रोटोकॉल, ट्रेन के डिब्बों में दी जाने वाली सेवाएं और टिकट की बुकिंग के लिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पास मौजूद व्यवस्था का रेल मंत्रालय प्रचार करे.
नए दिशानिर्देश में कहा गया है कि भेजने वाले राज्य और केंद्रशासित प्रदेश तथा रेल मंत्रालय सुनिश्चित करें कि सभी यात्रियों की अनिवार्य रूप से जांच की जाए और केवल बिना लक्षण वाले यात्रियों को ही ट्रेन में सवार होने दिया जाए.
इससे पहले रेल मंत्रालय द्वारा दो मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि जिस राज्य से प्रवासी चलेंगे, उस राज्य को जिस राज्य में प्रवासी लौटना चाहते हैं उसकी सहमति लेनी होगी और ट्रेन के प्रस्थान से पहले इसकी एक प्रति रेलवे को उपलब्ध करानी होगी.
मंगलवार को ही रेलवे ने घोषणा की थी कि वह एक जून से रोजना 200 नॉन एसी ट्रेनें चलाएगा.
रेलवे ने 1600 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं
भारतीय रेलवे ने कहा है कि एक मई से लेकर अब तक 1,600 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा चुकी हैं और रेलवे ने 21.5 लाख से ज्यादा प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया है.
रेलवे ने बीते मंगलवार को बताया कि 900 से ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश रवाना हुई हैं. वहीं बिहार ने 428 और मध्य प्रदेश ने सौ से अधिक ट्रेनों को अनुमति दी.
पंजाब से 188 ट्रेन, कर्नाटक से 89, तमिलनाडु से 61, तेलंगाना से 58, राजस्थान से 54, हरियाणा से 41 और उत्तर प्रदेश से 38 ट्रेन चलाई गईं.
कामगारों के लिये 200 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का रेलवे ने कल वादा किया था, उससे आगे बढकर यात्रियों की सेवा में हमने रिकार्ड 204 ट्रेन चलाई हैं।
भारतीय रेल द्वारा कामगारों को उनके गृह राज्य भेजने के लिये अभी तक 1,773 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया है। https://t.co/3ddyY8Pp6j
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 20, 2020
पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के माध्यम से कहा है, ‘कामगारों के लिए 200 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का रेलवे ने कल (मंगलवार) वादा किया था, उससे आगे बढकर यात्रियों की सेवा में हमने रिकार्ड 204 ट्रेन चलाई हैं. भारतीय रेल द्वारा कामगारों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए अभी तक 1,773 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया है.’
वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘अगले दो दिन में रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या दोगुनी करके 400 प्रतिदिन करेगा. सभी प्रवासियों से अपील है कि वे जहां हैं, वहीं रहें, भारतीय रेल उन्हें कुछ दिनों में उनके घरों तक पहुंचाएगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)