प्रवासी श्रमिकों के लिए कांग्रेस की बसों को यूपी में प्रवेश क्यों नहीं करने दे रही योगी सरकार?

प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसें उपलब्ध कराने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पेशकश स्वीकार करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने बसों की सूची में कुछ अन्य वाहनों के नंबर होने का आरोप लगाते हुए प्रियंका गांधी के निजी सचिव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है.

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प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसें उपलब्ध कराने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पेशकश स्वीकार करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने बसों की सूची में कुछ अन्य वाहनों के नंबर होने का आरोप लगाते हुए प्रियंका गांधी के निजी सचिव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है.

Migrants board special buses to return to their hometowns after they arrived at Charbagh Railway Station from various parts of the country, during ongoing COVID-19 lockdown in Lucknow. Photo PTI

लखनऊ: प्रवासी श्रमिकों के लिए बसों के संचालन को लेकर मंगलवार को कांग्रेस और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच शुरू हुई रस्साकशी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर पहुंच गया है.

कांग्रेस पार्टी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते पैदल ही अपने घरों को लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए अपने खर्चे पर 1000 बसें प्रदेश में भिजवाने के लिए राज्य सरकार को पेशकश की थी.

कांग्रेस की पेशकश को स्वीकार करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 1000 से अधिक बसों का जो विवरण मुहैया कराया उनमें कुछ दोपहिया वाहन, एंबुलेस और कार के नंबर भी हैं.

इस पर कांग्रेस ने कहा कि उसकी ओर से मुहैया कराई गई सूची में उत्तर प्रदेश सरकार ने खुद 879 बसों के सही होने की पुष्टि की है और उसे अब इन बसों को चलाने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए.

Congress Migrants Bus Twitter
कांग्रेस द्वारा यूपी सरकार को बसों सहित उपलब्ध कराई गई वाहनों की सूची.

कांग्रेस ने कहा कि क्या सरकार को प्रवासी मजदूरों की परेशानियों से ज्यादा गाड़ियों के कागजात की फिक्र है, जबकि वह खुद वाहनों के प्रपत्रों को लेकर 30 जून तक छूट दे चुकी है.

सरकार ने बसों के गलत नंबरों के मामले में देर शाम प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तथा अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में परिवहन अधिकारी आरपी त्रिवेदी की शिकायत पर राजधानी स्थित हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया.

हालांकि, कांग्रेस ने इसका जवाब देने की कोशिश करते हुए प्रदेश सरकार को गत दो अप्रैल का एक कथित आदेश दिखाया और कहा कि वाहनों के फिटनेस तथा अन्य कागजात को लेकर सरकार ने आगामी 30 जून तक छूट दे रखी है.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह ने राज्य सरकार को दो बार पत्र लिखकर बसों को प्रदेश की सीमा में दाखिल होने की अनुमति देने का अनुरोध किया.

वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पार्टी के अन्य पदाधिकारी राजस्थान से लाई गई लगभग 700 बसें लेकर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र ऊंचा नागला में खड़े रहे, मगर प्रशासन ने उन्हें आगरा में घुसने की इजाजत नहीं दी.

कांग्रेस ने देर शाम एक बयान में बताया कि कल ही बसों को अनुमति देने वाली राज्य सरकार ने सीमा पर पहुंचने के बाद बसों को आगे नहीं ले जाने दिया.

इसे लेकर दिन भरी चली तनातनी के बाद आगरा पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रदीप माथुर और विवेक बंसल को हिरासत में ले लिया. लल्लू को विरोध स्थल से एक कार में ले जाते देखा गया, जिसमें चार पुलिसकर्मी थे.

कांग्रेस के इन नेताओं के खिलाफ फतेहपुर सीकरी थाने में महामारी अधिनियम की धारा 188 और धारा 269 के साथ लॉकडाउन उल्लंघन के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

श्रमिकों को ले जाने के लिए लगभग 700 बसें राजस्थान से लाई गई थीं. ये बसें गाजियाबाद और नोएडा जानी थीं, मगर अनुमति नहीं मिलने पर वे वापस चली गईं.

इसके पहले कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर राजनीति करने का आरोप मढ़ने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि सोमवार को औपचारिक रूप से कांग्रेस की पेशकश स्वीकार कर ली थी.

सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह बसों, उसके ड्राइवरों और कंडक्टरों की सूची सौंपे, मगर गतिरोध यहीं नहीं दूर हुआ.

कांग्रेस के मुताबिक प्रियंका गांधी के निजी सचिव को सोमवार रात 11:40 बजे मिले ईमेल में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से कहा था कि वह मंगलवार दस बजे तक बसों को लखनऊ भेज दे.

इस पर निजी सहायक ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि जब हजारों श्रमिक यूपी की सीमाओं पर एकत्र हैं, तो ऐसे में खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय है और यह गरीब विरोधी मानसिकता का परिचायक है. सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है.

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने जवाब दिया कि बसों को सीमा पर ही लाने की अनुमति दी जाती है. उन्होंने कांग्रेस से कहा कि 19 मई के पत्र में आपने लखनऊ में बसें मुहैया कराने में असमर्थता जतायी है और आप उन्हें गाजियाबाद एवं नोएडा में देना चाहते हैं.

अवस्थी ने कांग्रेस से कहा कि वह 500 बसें कौशाम्बी और साहिबाबाद बस स्टैंड पर पहुंचा दें, जहां गाजियाबाद के जिलाधिकारी उन्हें अपने पास ले लेंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ.

इससे पहले प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि बसों की सूची में ऑटो रिक्‍शा और मोटरसाइकिल के नंबर डालकर कांग्रेस गुमराह कर रही है. वह अपने ही छल के जाल में फंस गई है. उसकी बसों की लिस्‍ट में भी घोटाला निकला.

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी की कांग्रेस फर्जीवाड़ा पार्टी है. सोनिया गांधी जो इन दोनों की मां हैं, कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए कि यह फर्जीवाड़ा पार्टी क्या कर रही है.

प्रशासन द्वारा बसों को उत्तर प्रदेश में प्रवेश की अनुमति न मिलने पर मंगलवार शाम प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इन बसों पर आप चाहें तो भाजपा का बैनर लगा दीजिए, अपने पोस्टर बेशक लगा दीजिए लेकिन हमारे सेवा भाव को मत ठुकराइए क्योंकि इस राजनीतिक खिलवाड़ में तीन दिन व्यर्थ हो चुके हैं. और इन्ही तीन दिनों में हमारे देशवासी सड़कों पर चलते हुए दम तोड़ रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार का खुद का बयान है कि हमारी 1049 बसों में से 879 बसें जांच में सही पाई गईं. ऊंचा नागला (राजस्थान) बॉर्डर पर आपके प्रशासन ने हमारी 500 बसों से ज्यादा बसों को घंटों से रोक रखा है. इधर दिल्ली बॉर्डर पर भी 300 से ज्यादा बसें पहुंच रही हैं. कृपया इन 879 बसों को तो चलने दीजिए. हम आपको कल 200 बसें की नई सूची दिलाकर बसें उपलब्ध करा देंगे. बेशक आप इस सूची की भी जांच कीजिएगा. लोग बहुत कष्ट में हैं. दुखी हैं. हम और देर नहीं कर सकते.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)