वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनका संदेश है कि सरकार उद्योग के साथ है. सरकार से जितना हो सकेगा वे उनकी मदद के लिए तैयार हैं.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते पांच किस्त में करीब 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की थी.
इसे लेकर विभिन्न मीडिया संस्थानों को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे सभी तरह के विचारों को सुनने के लिए तैयार हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए वे नए कदम उठाने में हिचकिचाएंगी नहीं.
इंडियन एक्सप्रेस, लाइव मिंट और बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों, केंद्र की ओर से उचित राशि खर्च करने, लोगों को लोन देने, मनरेगा और आने वाले समय में सरकार की ओर से संभावित कदम उठाए जाने जैसे विभिन्न पहलुओं पर बात की.
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मुझे तैयार रहना पड़ेगा…क्योंकि कोई नहीं जानता कि आगे क्या होने वाला है, ये सब कैसे खत्म होगा. इसलिए मुझे तैयार रहना पड़ेगा. मैंने इन घोषणाओं के बाद चुप नहीं बैठ सकती.’
आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा के बाद कई तरह के आकलन आए जिसमें मुख्य रूप से दो बातें की गईं. पहला ये कि सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज जीडीपी का 10 फीसदी है लेकिन सरकार की ओर से वास्तविक खर्च जीडीपी का एक फीसदी से थोड़ा ज्यादा होगा.
दूसरी बात ये निकलकर सामने आई कि सरकार राहत के नाम पर लोगों को कर्ज बांट रही है. विशेषज्ञों का सुझाव था कि कर्ज देने के बजाय लोगों के हाथ में पैसे दिए जाने चाहिए, ये ज्यादा बेहतर होगा. वित्त मंत्री ने इन दोनों सवालों का जवाब दिया है.
लोगों को कैश देने के सवाल पर सीतारमण ने कहा, ‘मैं इन सुझावों पर सवाल नहीं उठा रही हूं. यह एक सुझाव था और हमने इसे सुना था. इस पर संज्ञान लिया गया था. बैंकों को कहा गया है कि वे लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाएं और हर छोटी इकाई को बिना अतिरिक्त कोलैटरल के लोन दें. इसका उद्देश्य ये है कि लागत को पूरा करने के लिए कुछ पैसे दिए जाएं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसका उद्देश्य ये है कि कुछ पैसे दिए जाएं ताकि कुछ सैलरी दी जा सके. हमने यही किया है. मैंने ये सुनिश्चित किया है कि बैंक लोन देंगे. हां, ये लोन है, ये क्रेडिट है. हां, ये अनुदान (ग्रांट) नहीं है. इसलिए तो मैं पूछ रही हूं, कितनों के लिए अनुदान, कितना?’
इसके अलावा राहत पैकेज के तहत सरकार का वास्तविक खर्च जीडीपी का एक फीसदी से थोड़ा ज्यादा होने के आकलनों पर वित्त मंत्री ने कहा कि वे इनमें से किसी विश्लेषण पर सवाल नहीं उठा रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘यदि सवाल ये है कि वित्तीय घाटा कितना होगा या क्या आप अपने पूरे बजट से केवल इतना ही खर्च कर सकती थीं? आप ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं किसी की आलोचना नहीं कर रही हूं या किसी पर सवाल नहीं उठा रही हूं या किसी के आकलन पर आपत्ति नहीं जता रही हूं, आप कीजिए ये सब. मैंने बहुत सारे सुझाव सुने हैं, और मैंने यह पहले भी कहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों, छात्रों, पूर्व अधिकारियों से सुझाव आए हैं. हमने इन सभी को संज्ञान में लिया है और विभिन्न स्तरों- विभागों, वित्त मंत्रालय, पीएमओ- पर इनका अध्ययन किया गया है और इस आधार पर हम ये (पैकेज) लेकर आए हैं. मैं किसी भी सुझाव पर विवाद नहीं कर रही हूं, लेकिन व्यापक विचार-विमर्श के बाद हमने ये घोषणा की है.’
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए अपने इंटरव्यू में कहा, ‘जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, जो कुछ भी करने की जरूरत होगी, हम करने को तैयार हैं. हमें यह देखना होगा कि हम कैसे आगे बढ़ते हैं, उद्योग कैसे आगे बढ़ रहे हैं, लोग कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, अर्थव्यवस्था कैसी प्रतिक्रिया दे रही है. मैं कोई भी रास्ता बंद नहीं कर सकती.’
उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए उनका संदेश है कि सरकार उद्योग के साथ है. उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि वे बहुत तनावपूर्ण समय से गुजर रहे हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. हमसे जितना हो सकेगा हम उनकी मदद को तैयार हैं.’