सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें उन्हें बरी कर दिया गया था. इस फैसले के बाद शशिकला अब मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगी.
मुख्यमंत्री पद को लेकर मची रार के बीच अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला व दो अन्य लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले दोषी ठहराया है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें दोषी पाया और हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें उन्हें बरी कर दिया गया था. इस फैसले के बाद शशिकला अब विधायक नहीं बन सकती हैं. ऐसे में वह मुख्यमंत्री भी नहीं बन सकेंगी.
21 साल पुराने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने शशिकला को बरी कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. कोर्ट के फैसले के बाद शशिकला की गिरफ्तारी के लिए पुलिस गोल्डन रिजॉर्ट पहुंच चुकी है. इस मामले में शशिकला के साथ दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता भी आरोपी थीं.
जयललिता की करीबी रहीं शशिकला के खिलाफ 66 करोड़ रुपये का आय से अधिक संपत्ति मामला था, जिस पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने जयललिता और शशिकला दोनों को दोषी ठहराया था. बाद में इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बंगलुरु की निचली अदालत के फैसले को पूरी तरह सही करार देते हुए उसे बहाल कर दिया. निचली अदालत ने शशिकला के दो रिश्तेदारों वीएन सुधाकरण और इलावारसी सहित सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. इस मामले में शशिकला छह महीने की सजा पहले ही काट चुकी हैं.
न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को बंगलुरु स्थित निचली अदालत में समर्पण करने और चार वर्ष कारावास की सजा का बचा हुआ हिस्सा पूरा करने का निर्देश दिया है.
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑन रिकॉर्ड रखे गए दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर हम हाईकोर्ट के फैसले और आदेश को दरकिनार करते हुए सभी आरोपियों को दोषी करार देने वाले निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हैं. साथ ही पीठ ने कहा कि चूंकि जयललिता का निधन हो चुका है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही बंद की जाती है.
पीठ ने कहा, इतना ही नहीं, हम दोहराते हैं कि तथ्यों के आधार पर निचली अदालत में उनके खिलाफ तय आरोपों को फिर से बहाल किया जाता है. इसलिए सभी निचली अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे और बाकी सजा पूरी करेंगे.
निचली अदालत ने शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार वर्ष कारावास और 10-10 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. वहीं जयललिता को चार वर्ष कारावास और 100 करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार सहित सभी पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद पिछले वर्ष सात जून को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और पार्टी महासचिव वीके शशिकला के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जंग छिड़ी हुई है. शशिकला ने 9 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित कर सरकार बनाने का दावा किया था.
हालांकि, मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम भी काफी मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं. पार्टी के कई महत्वपूर्ण नेता और विधायक खुलकर उनके समर्थन में आ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पन्नीरसेल्वम का रास्ता साफ हो गया है.
(भाषा से इनपुट के साथ)