कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा समेत कई विपक्षी दल जीएसटी लागू करने के लिए 30 जून की मध्य रात्रि में बुलाई गई संसद की विशेष बैठक में भाग नहीं लेंगे.
नई दिल्ली. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा समेत कई विपक्षी दल जीएसटी लागू करने की घोषणा के लिए 30 जून की मध्य रात्रि में बुलाई गई संसद की विशेष बैठक में भाग नहीं लेंगे. कांग्रेस ने गुरुवार को वरिष्ठ पार्टी नेताओं की बैठक के बाद यह निर्णय लिया.
पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं सत्यव्रत चतुर्वेदी और गुलाम नबी आजाद ने इस संबंध में मीडिया को यह जानकारी दी. कांग्रेस ने इस कार्यक्रम के संसद में आधी रात को आयोजित होने और इसकी तुलना आजादी से करने पर भी आपत्ति जताई है.
मीडिया को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘जीएसटी समारोह में कांग्रेस पार्टी शामिल नहीं होगी. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में अभी तक केवल तीन कार्यक्रम हुए हैं. जब देश आजाद हुआ तब उस आजादी का उत्सव मनाया गया था. फिर 1972 में जब आजादी की सिल्वर जुबली मनाई गई थी. इसके बाद 1997 में आजादी की गोल्डन जुबली पर आधी रात को कार्यक्रम हुआ था. उन तीनों महान आयोजनों की तुलना एक कर सुधार की योजना से नहीं की जा सकती. भाजपा की नजर में शायद 1947, 1972 और 1997 की उतनी अहमियत नहीं होगी, जितनी हमारी नजर में है.’
कांग्रेस देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के स्वतंत्रता के समय दिए गये ‘नियति से किए गए वादे’ वाले ऐतिहासिक अवसर का महत्व कम नहीं करना चाहती.
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने बताया कि कांग्रेस जीएसटी लागू करने के बारे में विशेष बैठक में भाग नहीं लेगी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य नेताओं से मुलाकात के बाद यह निर्णय लिया गया.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के अवसर पर 30 जून मध्य रात्रि को संसद में बुलाई गई बैठक को लेकर कांग्रेस दुविधा में थी और उसने इस बारे में अन्य विपक्षी दलों से भी बातचीत की है. अन्य विपक्षी दलों द्वारा ऐसा ही किया जाने की संभावना है.
'Congress will not participate in the midnight GST event in Central Hall'
Watch recording of today's AICC Press Briefing at @INCIndiaLive pic.twitter.com/ouJ3Bqq6In
— Congress (@INCIndia) June 29, 2017
तृणमूल कांग्रेस पहले ही इस समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा कर चुकी है. कुछ नेताओं का मानना है कि जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है तथा सभी पक्षों को ध्यान में नहीं रख गया है जिसके कारण छोटे व्यापारियों एवं कारोबारियों के लिए समस्याएं बढ़ सकती हैं.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी भी जीएसटी लागू करने के मामले में सरकार द्वारा जल्दबाजी दिखाए जाने को लेकर सवाल उठाया और कहा कि भाजपा ने विपक्ष में रहने के दौरान इस प्रणाली का विरोध किया था.
कांग्रेस ने बताया तमाशा
पार्टी ने इस समारोह को तमाशा करार देते हुए कहा कि यह समारोह देश के स्वतंत्रता आंदोलन और उसमें दिए गए बलिदानों का अपमान है. पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह जीएसटी के खिलाफ नहीं है किंतु इसे जिस तरह से जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है, उससे लोगों विशेषकर छोटे एवं मझोले व्यापारियों एवं कारोबारियों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इससे पहले मात्र तीन अवसर ही आए जब संसद के केंद्रीय कक्ष में मध्य रात्रि के समय समारोह किया गया. 15 अगस्त 1947 को देश के स्वतंत्रता के समय तथा 1972 एवं 1997 को स्वतंत्रता की क्रमश: रजत एवं स्वर्ण जयंती के अवसर पर. भाजपा ने देश के आजादी आंदोलन में कोई योगदान नहीं दिया और वह महज अपने प्रचार के लिए यह आयोजन कर रही है.
आजाद ने कहा कि कांग्रेस ने समारोह में भाग नहीं लेने का जो फैसला किया है, उसके पीछे दूसरा कारण देश के हालात हैं. उन्होंने कहा कि देश और भाजपा शासित राज्यों में जो चल रहा है, उसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कैबिनेट मंत्री और भाजपा के मुख्यमंत्री मौन साधे हुए हैं. देश भर में किसानों की दुर्दशा हो रही है, वे आत्महत्या कर रहे हैं. अल्पसंख्यकों, दलितों की निर्मम हत्या हो रही है. किंतु कोई बोल नहीं रहा. सरकार चुप है. इन मामलों में कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है. देश में बढ़ती बेकारी-बेरोजगारी, कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक बिगड़ते आतंरिक हालात और जीडीपी में गिरावट इसका संकेत है.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संप्रग सरकार ने भी शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनरेगा जैसे तमाम महत्वपूर्ण कानून संसद में पारित करवाए जिनसे देश के करोड़ों लोगों को लाभ मिला. किंतु उसके लिए कांग्रेस ने कभी आधी रात को संसद की बैठक नहीं बुलाई क्योंकि यह देश के लिए महत्वपूर्ण अवसर होता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, देश की भयावह सच्चाइयों की अनदेखी कर कांग्रेस इस तमाशे की भागीदार नहीं बन सकती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के विरोध में नहीं है तथा यदि कांग्रेस इससे संबंधित संविधान संशोधन को समर्थन नहीं देती तो संसद में इसके पारित होने में मुश्किल आती है.
कर का स्लैब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा: भाकपा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने केंद्र पर जीएसटी लागू करने के लिए जल्दबाजी करने का अरोप लगाया और 30 जून की आधी रात को बुलाई गई संसद की विशेष बैठक में भाग नहीं लेने का निर्णय किया है.
भाकपा के महासचिव सूर्यवरम सुधाकर रेड्डी ने कहा कि पार्टी ने अपने सांसदों से विचार विमर्श करने के बाद सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है. पार्टी का लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में एक एक सदस्य है.
रेड्डी ने जीएसटी पर अपनी पार्टी की चिंताओं को सपष्ट करते हुए कहा, सरकार उचित समय दिए बिना जल्दबाजी में यह काम कर रही है. उन्होंने कहा कि जूतों, चप्पलों, कपड़ों जैसी वस्तुओं पर जीएसटी के तहत कर का स्लैब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है और ये सब पहले से ज्यादा मंहगे हो जाएंगे, कुछ वस्तुओं की कीमत नीचे भी आ सकती है.
उन्होंने कहा, बैंकिंग ट्रांजेक्शन, डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी मंहगे हो गए हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमने सत्र में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है.
विरोध में भारत बंद, संगठनों ने किया समर्थन
फेडरेशन आफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी) ने एक जुलाई से लागू हो रहे जीएसटी में प्रावधानों को लेकर 30 जून को भारत बंद के दौरान व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखने का आवान किया हैं.
फोर्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने बताया कि फोर्टी ,राजस्थान चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ,जयपुर व्यापार महासंघ एवं राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के नेतृत्व में 30 जून को भारत बंद के दौरान व्यासायिक प्रतिष्ठान बंद रखे जाएंगे. उन्होंने कहा कि बंद को जयपुर व्यापार महासंघ ,राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ, ट्रांसपोर्ट यूनियन ,फल एवं सब्जी विक्रेता संघ होलसेल केमिस्ट ने भी बंद को अपना पूरा समर्थन दिया हैं.
जीएसटी के विरोध में भारत बंद का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई ने समर्थन किया है. भाकपा राज्य सचिव गिरीश ने लखनउ में जारी एक बयान में कहा कि जीएसटी बिल को संसद में पास कराते वक्त भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जिस भावना को जाहिर किया था आज लागू कराते वक्त वह कहीं नहीं दिखाई दे रही है. आज जो पक्ष सामने आ रहा है उससे आम जनता को कोई लाभ नहीं होने जा रहा. कारपोरेट और बड़े औद्योगिक समूह इसका लाभ उठाएंगे और छोटे और मझोले व्यापारी इसकी जटिलताओं के मकड़जाल में फंस कर रह जाएंगे.
अंबानी ने बताया आर्थिक आजादी है जीएसटी,
देश के प्रमुख उद्योगपति अनिल अंबानी ने जीएसटी को देश की आर्थिक आजादी करार दिया है. उन्होंने कहा कि जीएसटी से देश मानव इतिहास का सबसे बड़ा और लोकतांत्रिक बाजार बनेगा.
मुंबई में एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के एक कार्यक्रम में अंबानी ने कहा कि जीएसटी के लाभों को गिनने और उसकी लागत को गिनने के कई तरीके हैं. लेकिन इसके सही फायदे को बताने का सिर्फ एक तरीका है. यह सिर्फ एक और सुधार और बदलाव नहीं है बल्कि यह हमारी सोच का उदारीकरण है. यह हमारी आर्थकि आजादी है.
मजूमदार शॉ ने जताई निराशा
बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने जीएसटी के कई स्तरीय ढांचे पर निराशा जताई है. हालांकि उन्होंने इसे एक विशिष्ट पासा पलटने या बदलाव का अवसर बताया है.
इससे पहले शॉ ने इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का स्वागत करते हुए कहा था कि यह निश्चित रूप से ऐसा आर्थिक सुधार है जिसके क्रियान्वयन के बाद कुछ क्षेत्रों की विसंगतियां दूर हो सकेंगी. मजूमदार शॉ ने आज ट्वीट किया, जीएसटी एक विशिष्ट बदलाव का अवसर है. इसे जटिल कर ढांचे से छितराया नहीं जाना चाहिए. इसके कई स्तरीय रुख से मुझे निराशा हुई है.
संसद में सरकार का रिहर्सल
आगामी 30 जून की रात जीएसटी की शुरुआत से पहले गुरुवार को संसद के सेंट्रल हॉल में बड़े स्तर पर एक रिहर्सल की गई. सूत्रों ने कहा कि रात करीब 10 बजे रिहर्सल की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुख्य कार्यक्रम के दौरान सबकुछ सही से हो.
जीएसटी की शुरुआत के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसी हॉल में देश की आजादी के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में समारोह आयोजित किया गया था. जीएसटी के शुभारंभ कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विा मंत्री अरुण जेटली और कई वरिष्ठ मंत्री, नौकरशाह सहित अन्य शामिल होंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)