यह मामला मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले का है. कोरोना संक्रमित युवक के घर पहुंचे चिकित्साकर्मी पीपीई किट के बजाय प्लास्टिक की एक शीट बांधकर गए हुए थे.
भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार के अशोक नगर जिले में कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों द्वारा पीपीई किट की जगह प्लास्टिक की शीट पहनकर काम करने का मामला सामने आया है.
इस संबंध में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है. कुछ डॉक्टर संक्रमित शख्स से बात कर रहे हैं. इन डॉक्टरों ने पीपीई किट की जगह एक पतली पन्नी लपेटी हुई है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, दो युवक हाल ही में इंदौर से अशोक नगर जिले के बहादुरपुर अपने गांव लौटे थे.
इस संबंध में युवकों की कोरोना रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की एक टीम उनके घर पहुंची, जिसमें बहादुरपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से कुछ डॉक्टर युवक के घर पहुंचे और उससे इंदौर से गांव लौटने, गांव लौटने पर यहां की पूरी गतिविधि और संपर्क में आए लोगों की जानकारी ली.
इसके बाद स्वास्थ्य केंद्र से एक और टीम आई और संक्रमित युवक के परिवार को एंबुलेंस के जरिए जिला चिकित्सालय भेजा गया, जहां पर सभी के सैंपल की जांच कर उन्हें आइसोलेट किया गया.
ये हालत है मप्र के अशोक नगर में डॉक्टर प्लास्टिक की शीट पहनकर #कोरोना पेशेंट के पास पहुंचे हैं, बात करते करते पन्नी फट गई तो भागना पड़ा @drnarottammisra @ChouhanShivraj @OfficeOfKNath @INCMP @ndtvindia @ndtv #CoronaWarriors #lockdown #Covid_19india #Ayodhya #RajivGandhi pic.twitter.com/ZEK1rBBkkZ
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 21, 2020
संक्रमित युवक से सबसे पहले मिलने डॉ. रघुराज सिंह, डॉ. सारांश दीक्षित और डॉ. राघवेंद्र कौशिक पीपीई किट के बजाय प्लास्टिक की शीट पहनकर पहनकर पहुंचे थे.
युवकों का घर खेत के बीचोबीच बना हुआ था, इस दौरान तेज हवा चलने से डॉक्टरों के प्लास्टिक की शीट फट गई, जिन्हें डॉक्टरों ने फेंक दिया.
पीपीई किट न पहने के बारे में पूछे जाने पर डॉ. रघुराज ने बताया, ‘सभी डॉक्टरों को एक-एक पीपीई किट उपलब्ध कराई है, चूंकि वह संक्रमित व्यक्ति से दो मीटर की दूरी बनाकर बात कर रहे थे, इसलिए उन्होंने पीपीई किट पहनना आवश्यक नहीं समझा.’
रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के 52 में से 49 जिलों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है. राज्य में कोरोना के 5,981 मरीजों में से 270 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 2,843 मरीज ठीक हो चुके हैं.