तेलंगाना में कुएं से नौ प्रवासी मज़दूरों के शव मिले

यह घटना वारंगल ज़िले के गोर्रेकुंटा गांव की है. इन नौ लोगों में से छह एक ही परिवार के सदस्य हैं. ये परिवार पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, जबकि तीन अन्य मृतकों में से दो बिहार और एक व्यक्ति त्रिपुरा का था.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

यह घटना वारंगल ज़िले के गोर्रेकुंटा गांव की है. इन नौ लोगों में से छह एक ही परिवार के सदस्य हैं. ये परिवार पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, जबकि तीन अन्य मृतकों में से दो बिहार और एक व्यक्ति त्रिपुरा का था.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

हैदराबादः तेलंगाना के वारंगल ग्रामीण जिले के एक गांव के कुएं से नौ लोगों के शव बरामद किए गए हैं जिनमें से छह एक ही परिवार के सदस्य हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना वारंगल के गोर्रेकुंटा गांव में हुई. गुरुवार शाम को कुएं से चार शव बरामद किए गए, जबकि शुक्रवार सुबह पांच शव बरामद किए गए. शवों पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं हैं.

पुलिस का कहना है कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले मकसूद आलम और उनकी पत्नी निशा 20 साल पहले काम के सिलसिले में वारंगल आए थे और यहां आजीविका के लिए जूट के बैग की सिलाई का काम करते थे.

पुलिस का कहना है कि आलम, उनकी पत्नी, बेटी, तीन साल के पोते, बेटे सोहेल और शाबाद के अलावा त्रिपुरा के शकील अहमद और बिहार के श्रीराम और श्याम के शव कुएं से मिले हैं.

एसीपी श्याम सुंदर ने आत्महत्या के मामले से इनकार करते हुए कहा, ‘अगर यह आत्महत्या होती तो सिर्फ एक परिवार के ही लोग आत्महत्या करते लेकिन उनके साथ तीन और शव मिले हैं. हम विभिन्न संभावनाओं को देखते हुए मामले की जांच कर रहे हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, मकसूद आलम के छह सदस्यों का परिवार करीमाबाद में किराए के एक मकान में रहता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद इन्होंने जूट मिल के मालिक से अनुरोध किया था कि उन्हें गोदाम के ही एक कमरे में रहने दिया जाए. ये परिवार गोदाम के ग्राउंड फ्लोर के एक कमरे में रहता था, जबकि बिहार के दो लोग पहली मंजिल पर रहते थे.

इस घटना का उस समय पता चला जब मिल के मालिक एस. भास्कर गुरुवार दोपहर गोदाम परिसर आए और उन्हें पता चला कि यह परिवार और साथ में तीन और लोग लापता हैं.

शुरुआत में पुलिस को संदेह था कि बिहार के दोनों युवक परिवार की गुमशुदगी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन शुक्रवार सुबह उनके शव मिलने के बाद इस एंगल को खारिज कर दिया गया.

पुलिस ने कहा, ‘मकसूद का परिवार बीस सालों से यहां रह रहा था. शकील जूट मिल में बतौर ड्राइवर काम करते थे, जबकि श्याम और श्रीराम भी मिल में ही काम करते थे. मकसूद की बेटी का तलाक हो गया है और वह अपने तीन साल के बेटे के साथ पिता के साथ ही रहती थी.’

भास्कर ने पुलिस को बताया कि लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्री बंद थी लेकिन इस परिवार और अन्य तीनों के पास पर्याप्त राशन और पैसे थे, वे किसी तरह की तकलीफ में नहीं थे.

भास्कर ने कहा कि वह फैक्ट्री दोबारा शुरू करना चाहते थे, इसलिए जब वह गुरुवार दोपहर वहां गए तो उन्हें पता चला कि यह परिवार एवं तीन अन्य लोग लापता हैं. इनके मोबाइल फोन स्विच ऑफ थे इसलिए पुलिस को सूचना दी गई. शाम में आसपास ढूंढने पर कुएं में इनके शव दिखाई दिए.

पुलिस ने शुक्रवार को कुएं का पानी बाहर निकाला तो उन्हें पांच और शव मिले. जहां यह परिवार रहता था, वहां से पुलिस को आधा खाया हुआ खाना भी मिला है.

शवों को पोस्टमार्टम के लिए वारंगल के एमजीएम अस्पताल भेजा गया है.