मज़दूरों का ये जत्था हरियाणा के यमुनानगर से आ रहा था. आजीविका खो चुके इन मज़दूरों का कहना है कि जिस शेल्टर होम में ये रह रहे थे, वहां ख़राब खाने के साथ एक टाइम ही खाना मिल रहा था.
नई दिल्ली: लॉकडाउन की वजह से अपनी आजीविका खो चुके मजदूरों की दुर्दशा की घटनाएं हर दिन नए रूप में सामने आ रही हैं.
ताजा मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का है, यहां सैकड़ों मजदूरों द्वारा रात के समय पैदल ही यमुना नदी पार करने का मामला सामने आया है.
प्रवासी मजदूरों के इस जत्थे ने बताया कि वे हरियाणा के यमुनानगर से आ रहे हैं. यमुना नदी का जलस्तर कम होने की वजह से ये पैदल ही उसे पार कर रहे थे.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इन मजदूरों ने बताया कि वे लोग पैदल ही जंगलों को पार करते हुए वहां तक पहुंचे हैं, क्योंकि सड़क पर पुलिस इन्हें पीट रही है. दिन में भीषण गर्मी की वजह से इन लोगों ने तय किया है कि रात में ही सफर करेंगे.
इस समूह में शामिल 24 साल के राकेश ने बताया कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है और उनके पास पैसे भी खत्म हो गए हैं. वह यमुनानगर के एक शेल्टर होम में रह रहे थे. वहां पर ठीक से खाना भी नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने घर लौटने का फैसला किया था.
राकेश अंबाला में हेल्पर का काम करते थे.
मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण ये लोग जहां काम करते थे, वो काम भी छूट गया है, इसलिए घर लौटने के अलावा इनके पास कोई चारा नहीं था.
छोटू कुमार ने बताया, ‘नदी पार करते समय डर भी लग रहा है, लेकिन मजबूरी है, यमुनानगर के स्कूल में खाना ठीक से नहीं मिल रहा था. स्कूल में फंसे हुए एक हफ्ता से ज्यादा हो गया था. एक टाइम खाना मिल रहा था, करे तो क्या करें.’
एक अन्य मजदूर ने बताया कि रात की रोटी सुबह खाने के लिए दी जा रही थी और रोटी के साथ सिर्फ मिर्च दी जा रही थी.
मजदूरों कहना है कि वे बिहार के गया जा रहे हैं.
यह पूछने पर कि बस-ट्रेन नहीं मिल रही है, एक मजदूर ने कहा कि बस या ट्रेन नहीं मिल रही है, मिल भी रही है तो चार हजार रुपये किराया मांग रहे हैं. इतने पैसे हमारे पास नहीं हैं. कैसे जाएंगे बस से फिर?
रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में सहारनपुर प्रशासन का कहना है कि वह मजदूरों के लिए वाहन का इंतजाम कर रहे हैं. फिलहाल ज्यादातर मजदूर सहारनपुर स्थित शेल्टर होम में रह रहे हैं.