लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश में एस्मा लागू, छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक

योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में एस्मा कानून लागू किए जाने के बाद अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे और न ही हड़ताल पर जा सकेंगे.

योगी आदित्यनाथ. (फोटोः पीटीआई)

योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में एस्मा कानून लागू किए जाने के बाद अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे और न ही हड़ताल पर जा सकेंगे.

योगी आदित्यनाथ. (फोटोः पीटीआई)
योगी आदित्यनाथ. (फोटोः पीटीआई)

लखनऊः देश में कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में छह महीने के लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है.

इसके तहत प्रदेश में सरकारी सेवाओं, निगमों और स्थानीय प्राधिकरणों में कार्यरत कर्मचारी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेंगे.

यह कानून प्रदेश के सभी विभागों और कॉरपोरेशन पर लागू होगा.

उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने 22 मई को जानकारी दी कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से अनुमति लेने के बाद एस्मा लागू किया गया है और इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है.

अधिसूचना के मुताबिक, ‘आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 की धारा तीन की उपधारा (1) के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने छह महीने की अवधि के लिए राज्य में हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके दायरे में उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यकलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर अगले छह महीने के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया गया है.’

राज्य में एस्मा कानून लागू किए जाने के बाद अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे और न ही हड़ताल पर जा सकेंगे.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रम संगठन सीटू ने एस्मा लागू किए जाने को कर्मचारी और श्रमिक विरोधी बताया है.

सीटू प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय का कहना है, ‘निर्देशों का उल्लंघन करते हुए तमाम पूंजीपतियों/मालिकों ने लॉकडाउन के समय का वेतन नहीं दिया. मजदूरों की छंटनी की गई, उन्हें काम से निकाल दिया. उसे लेकर कुछ नहीं किया गया.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों को गुलामी की ओर ले जाना चाहती है. काम के घंटे बढ़ाए जा रहे है. इससे मजदूरों में असंतोष बढ़ रहा है. कई संगठनों ने लॉकडाउन के नियमों के तहत ही विरोध किया.’

राय ने कहा, ‘कर्मचारी, शिक्षक और अन्य संगठनों ने काली पट्टी बांधकर काम करना शुरू कर दिया था. इससे घबराकर प्रदेश की योगी सरकार ने एस्मा कानून लागू कर दिया.’

एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. यह कानून मुश्किलों के बीच कर्मचारियों की हडताल रोकने के लिए बनाया गया था.

किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है. इस कानून के लागू होने के बाद यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है या फिर हड़ताल पर जाता है, तो उनका ये कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है.

इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक की जेल का प्रावधान है या 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों ही सजा दी जा सकती है.

अगर कोई एक व्यक्ति भी हड़ताल के लिए उकसाता है तो इस कानून के तहत अवैध माना जाता है.

एस्मा के तहत पुलिस को यह अधिकार मिल जाता है कि वह इस कानून के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के कर्मचारियों की डीए किस्त भी रोकी

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने अपने 16 लाख कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने का फैसला किया था.

यह एक जनवरी 2020 से लागू हुआ था लेकिन अब राज्य सरकार ने एक जुलाई 2020 से एक जनवरी 2021 तक दिए जाने वाले डीए की किस्तों का भुगतान नहीं करने का फैसला लिया है.

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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