गुजरात सरकार ने अदालत में कहा कि राज्य में लगभग 22.5 प्रवासी कामगार हैं और इसमें सिर्फ 7,512 श्रमिक पंजीकृत हैं, इसलिए बाकी लोगों का किराया नहीं दिया जा सकता है.
नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को अपने गृह राज्यों में लौटने वाले प्रवासियों का किराया वहन करना चाहिए या रेलवे को छूट प्रदान करनी चाहिए.
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस जेबी पर्दीवाला और इलेश जे. वोरा की पीठ ने बीते शुक्रवार को कहा, ‘आज फाइल की गई रिपोर्ट यह दर्शाती है कि रेलवे द्वारा प्रवासी श्रमिकों के परिवहन पर लगाए गए यात्रा शुल्क को कुछ मेजबान राज्यों, गैर सरकारी संगठनों, नियोक्ताओं, स्वैच्छिक संघों द्वारा वहन किया जा रहा है. यह सही नहीं है. हम रेलवे अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वे इन प्रवासी मजदूरों के एक तरफ के शुल्क माफ करें या राज्य सरकार ये खर्चा उठाए.’
अदालत का यह आदेश राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि चूंकि कई प्रवासी अपने स्तर पर राज्य में आए थे, इसलिए अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1979 के प्रावधान, जिसके तहत विस्थापन भत्ता और यात्रा शुल्क का भुगतान किया जाना होता है, उन पर लागू नहीं होते हैं.
राज्य सरकार ने कहा, ‘अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम, 1979 के प्रावधान इस एक्ट के तहत पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों के लिए लागू हैं. अधिनियम के तहत 7,512 श्रमिक पंजीकृत हैं. उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, राज्य भर में लगभग 22.5 लाख प्रवासी कामगार हैं. उनमें से अधिकांश अपने स्तर पर यहां आए हैं और अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम, 1979 के अनुभाग 14 और 15 के तहत आवश्यक यात्रा भत्ता और विस्थापन भत्ता के भुगतान वाले प्रावधान उन पर लागू नहीं हैं.’
दिहाड़ी मजदूरों, प्रवासी कामगारों और लॉकडाउन में फंसे लोगों की पीड़ा बयां करती खबरों पर गुजरात हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान पर राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष यह बात कही. रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारें रेलवे का किराया भरने के लिए तैयार हैं.
श्रम विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए सरकार ने कहा, ‘सूरत में और इसके आसपास अन्य राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों की कुल संख्या लगभग 11.5 लाख है. राज्य के बाकी हिस्सों में अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिकों की कुल संख्या: लगभग 11 लाख है.’
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि 31 मई तक में केवल 1.5 लाख प्रवासी श्रमिक ही सूरत में बचेंगे, जिसमें से 1.15 लाख श्रमिकों ने विभिन्न फैक्ट्रियों और कारखानों में काम शुरू कर दिया है.
21 मई तक 8,08,294 प्रवासियों को मुख्य रूप से अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, गांधीधाम, भरूच, भावनगर, मोरबी, पालनपुर और वलसाड में रेलवे स्टेशनों से जाने वाली श्रमिक ट्रेनों से वापस भेजा गया. इनमें से 205 ट्रेनें अकेले सूरत से 19 मई तक 3,06,131 प्रवासियों को लेकर भेजी जा चुकी हैं.