उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कोविड अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर पाबंदी इसलिए लगाई गई है ताकि अस्पतालों की दुर्दशा का सच जनता तक ना पहुंचे.
लखनऊ: विपक्ष द्वारा आलोचना किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 मई के अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें राज्य के दूसरे और तीसरे स्तर के कोविड अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था.
उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता ने सभी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और सभी सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को 22 मई को आदेश जारी करते हुए कहा था कि मोबाइल से संक्रमण फैलता है.
उन्होंने यह भी निर्देश दिया था कि कोविड अस्पतालों के प्रभारी को दो मोबाइल फोन उपलब्ध कराए जाएं ताकि भर्ती मरीज अपने परिजन से और परिजन मरीज से बात कर सकें.
हालांकि सरकार के इस फैसला पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह कहते हुए सवाल उठाया था कि ये पाबंदी इसलिए है ताकि अस्पतालों की दुर्दशा का सच जनता तक ना पहुंचे.
अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 24, 2020
अखिलेश यादव ने कहा, ‘अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे प्रतिबंध कर देना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘मोबाइल ही तो अकेलेपन में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था एवं दुर्दशा का सच जनता तक न पहुंचे, इसीलिए यह पाबंदी लगाई गई है. जरूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि अस्पतालों को संक्रमणमुक्त करने की है.’
द हिंदू के अनुसार, ‘विवाद बढ़ने के बाद डॉ. गुप्ता ने रविवार को कहा कि आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल की मंजूरी होगा लेकिन शर्तों के साथ. आइसोलेशन वार्ड में घुसने से पहले मरीज को इस बात का खुलासा करना पड़ेगा कि उनके पास फोन और चार्जर है जिसके बाद इन उपकरणों को संक्रमणमुक्त किया जाएगा. यही प्रक्रिया मरीज को छुट्टी देते सय अपनाई जाएगी.’
इसके साथ ही मरीजों को उनका मोबाइल फोन किसी अन्य मरीज या स्वास्थ्यकर्मी के साथ साझा करने की अनुमति नहीं होगी.
बता दें कि पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक न्यूज़ पोर्टल के पत्रकार पर क्वारंटीन सेंटर की बदहाली दिखाने पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)