डब्ल्यूएचओ ने कोरोना मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण पर रोक लगाई

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने कहा कि मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले लोगों में इसे न लेने वाले लोगों की तुलना में हृदय की समस्याओं और मौत का अधिक खतरा है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने कहा कि मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले लोगों में इसे न लेने वाले लोगों की तुलना में हृदय की समस्याओं और मौत का अधिक खतरा है.

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के इलाज में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को असुरक्षित बताने वाले अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस दवा को अपने वैश्विक अध्ययनों से हटाने की बात कही है.

द गार्जियन के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनम घेब्रेसियस मे कहा कि मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले लोगों में इसे न लेने वाले लोगों की तुलना में हृदय की समस्याओं और मौत का अधिक खतरा है.

टेड्रोस ने कहा, ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी रोक लगाई गई है. डाटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड की ओर से इससे संबंधित अब तक प्राप्त हुए आंकड़ों का विश्लेषण और समीक्षा की जा रही है.’

इस फैसले के बाद कोरोना वायरस की दवा ढूंढने के लिए दुनियाभर के कोरोना मरीजों पर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी एकजुटता परीक्षण में से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को निकाल दिया गया.

हालांकि, इस एकजुटता परीक्षण में शामिल की गईं अन्य दवाओं पर काम जारी रहेगा.

बता दें कि अमेरिका में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को 1950 के दशक से ही लाइसेंस मिला है और डब्ल्यूएचओ की सूची में आवश्यक दवाओं में शामिल है.

कोरोना वायरस के खिलाफ दो दवाओं को लेकर कई परीक्षण जारी हैं लेकिन कोई भी इलाज में कारगर साबित नहीं हुआ है. यूएस नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ भी यह स्थापित करने के लिए एक क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है कि क्या एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन के साथ लेने पर दवा कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने और उनकी मौत को रोक सकती है.

कोरोना वायरस के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाले एक विवादित फ्रांसीसी डॉक्टर ने सोमवार को था कहा कि उनका मानना है कि ये दवाएं मरीजों में सुधार लाने में सहायक होंगी. उन्होंने लैंसेट के अध्ययन को भी खारिज कर दिया.

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा का समर्थन किया था. राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कहा था कि वह मलेरिया रोधी इस दवा को एहतियात के तौर पर स्वयं भी ले रहे हैं.

हालांकि अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि इसके दुष्प्रभावों में हृदयगति से जुड़ी गंभीर एवं जानलेवा समस्या हो सकती है.

एफडीए ने कहा था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं का इस्तेमाल केवल अस्पतालों या क्लिनिकल परीक्षणों में किया जाना चाहिए, क्योंकि इनके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

ट्रंप के तरह ही ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसानारो ने भी कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की वकालत की थी. क्लिनिकल ट्रायल में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर डब्ल्यूएचओ द्वारा रोक लगाए जाने के बाद ब्राजील ने कहा है कि वह कोविड-19 के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाएगा.

वहीं, भारत ने भी हाल ही में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा दिया है. बीते शुक्रवार को भारत ने कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्य सेवाकर्मियों, निरुद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल अर्द्धसैन्य बलों/पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है.