आईसीएमआर ने फ्रंटलाइन वर्कर्स की सूची जारी है जिन्हें फ्लू जैसे लक्षण दिखने पर कोविड-19 का टेस्ट कराने की तत्काल जरूरत होगी. फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में चेक पॉइंट्स पर तैनात पुलिसकर्मी, बिल्डिंग सिक्योरिटी गार्ड, एयरपोर्ट स्टाफ, बस ड्राइवर और स्टाफ, सब्जी और दवा विक्रेताओं को चिह्नित किया गया है.
नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने चेक पॉइंट्स पर तैनात पुलिसकर्मी, बिल्डिंग सिक्योरिटी गार्ड, एयरपोर्ट स्टाफ, बस ड्राइवर और स्टाफ, सब्जी और दवा विक्रेताओं को फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में चिह्नित किया है और कहा है कि फ्लू जैसे लक्षण दिखने पर इन्हें कोविड-19 का टेस्ट कराने की तत्काल जरूरत होगी.
इससे पहले स्वास्थ्यकर्मियों, चिकित्सा सहायकों और वापस लौट रहे प्रवासियों की टेस्टिंग के लिए ऐसा निर्देश जारी किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीते 18 मई को टेस्टिंग रणनीति में किए गए बदलाव के अनुसार, कोविड-19 की रोकथाम में शामिल लक्षणों वाले सभी स्वास्थ्यकर्मियों/फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वायरस के लिए परीक्षण कराने की आवश्यकता है. फ्लू से जुड़े लक्षणों में बुखार, गले में खराश, शरीर में दर्द शामिल हैं.
सरकारी और निजी दोनों ही तरह के बिल्डिंग सिक्योरिटी गार्ड को टेस्ट कराना होगा. वहीं, खासतौर पर शहरों के भीड़ वाले इलाकों और अत्यधिक मामलों/कंटेनमेंट जोन वाले दवा विक्रेताओं, सब्जी विक्रेताओं और बैंककर्मियों की भी टेस्टिंग पर जोर दिया जाएगा.
यह आईसीएमआर की उस रणनीति का भी हिस्सा है जिसके तहत वह कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता को रोजाना दो लाख तक बढ़ाने पर काम कर रहा है. उम्मीद है कि अधिकतर नए टेस्ट पूर्वी राज्यों से होंगे जहां बुनियादी ढांचा दुर्लभ है. बिहार और ओडिशा में 17-17, उत्तर प्रदेश में 27 और पश्चिम बंगाल में 36 टेस्टिंग लेबोरेटरीज स्थापित की जा रही हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ बैठक की जिसमें राज्यों से मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे जैसे कि आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सक्रिय करने और प्रवासी श्रमिकों की तत्काल स्वास्थ्य आवश्यकताओं का ध्यान रखने के लिए कहा गया.