कोर्ट ने कहा कि जहां से ट्रेन शुरू होगी वो राज्य यात्रियों को खाना और पानी देंगे. इसके बाद यात्रा के दौरान ट्रेन में रेलवे खाना-पानी देगा. बस में भी यात्रियों को खाद्य एवं पेय पदार्थ दिए जाएंगे.
नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासियों, मजदूरों की पीड़ा पर संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस संबंध में महत्वपूर्ण आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मजदूर से किराया नहीं लिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासियों के यात्रा का जो भी किराया बनता है उसे रेलवे और राज्य सरकारें आपस में वहन करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक लोग ट्रेन या बस के लिए इंतजार कर रहे होंगे उस दौरान संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश उन्हें भोजन मुहैया कराएं.
इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि जहां से ट्रेन शुरू होगी वो राज्य यात्रियों को खाना और पानी देंगे. इसके बाद यात्रा के दौरान ट्रेन में रेलवे खाना-पानी देगा. बस में भी यात्रियों को खाद्य एवं पेय पदार्थ दिए जाएंगे.
Supreme Court says that those migrant workers found travelling on foot be immediately taken to shelters and provided food and all basic facilities.
— ANI (@ANI) May 28, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़कों पर चल रहे प्रवासियों को तुरंत शेल्टर होम ले जाया जाए और उन्हें खाना-पानी से लेकर सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाए.
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें प्रवासियों के रजिस्ट्रेशन का मामला देखें और ये सुनिश्चित करें कि जैसे ही उनका रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाता है, उन्हें जल्द से जल्द उनके घर पहुंचाया जाए.
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वे ऑन रिकॉर्ड ये जानकारी पेश करें कि अपने घर लौटने के लिए कितने प्रवासी इंतजार कर रहे हैं, आवागमन को लेकर क्या प्लान है और रजिस्ट्रेशन तथा अन्य संबंधित प्रणाली किस तरह काम कर रही है.
पीठ ने आदेश दिया, ‘जैसे ही राज्य सरकारें ट्रेन की मांग करती हैं, रेलवे को उन्हें ट्रेन देना पड़ेगा.’ इसके बाद कोर्ट ने मामले को पांच जून तक के लिए स्थगित कर दिया.
बीते मंगलवार को लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि अखबार और मीडिया रिपोर्ट लगातार लंबी दूरी तक पैदल और साइकिल से जा रहे मजदूरों की दयनीय स्थिति दिखा रही है.