जोधपुर एम्स के वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी नरेश कुमार स्वामी कोरोना हॉटस्पॉट ज़ोन में रहते हैं. बीते 17 मई को रक्तस्राव के बाद वे अपनी गर्भवती पत्नी को एम्स ले गए थे. आरोप है कि अस्पताल ने कोविड-19 नीति का हवाला देते हुए भर्ती करने से मना कर दिया था. इलाज में देरी के चलते उनकी पत्नी का गर्भपात करना पड़ा.
जोधपुर: कोरोना वायरस को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार भेदभाव की खबरें आ रही हैं. इस कड़ी में राजस्थान के जोधपुर स्थित एम्स भी जुड़ गया है.
आरोप है कि कोरोना वायरस हॉटस्पॉट क्षेत्र में रहने के कारण एम्स जोधपुर में कार्यरत एक डॉक्टर की गर्भवती पत्नी की भर्ती करने से अस्पताल प्रशासन ने भर्ती करने से मना कर दिया. समय से इलाज न मिल पाने के कारण उनकी पत्नी का गर्भपात कराना पड़ा.
जोधपुर स्थित एम्स के एक वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी की गर्भवती पत्नी को कथित तौर पर इलाज से वंचित करने के खिलाफ अस्पताल के नर्सिंगकर्मियों ने अपनी बांह पर काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन किया.
संस्था के नर्सिंगकर्मियों ने पिछले हफ्ते एम्स के निदेशक को ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच करने और इलाज से इनकार करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.
बता दें कि इस घटना को लेकर बीते कई दिनों से मेडिकल कर्मचार एम्स प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
एम्स के नर्सिंग ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव गुलाब चौधरी ने कहा, ‘हमें कार्रवाई के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपे एक सप्ताह हो गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हम सभी अपनी बाहों पर काली पट्टियां बांध कर काम कर रहे हैं.’
एम्स के अधीक्षक अरविंद सिन्हा ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है और वह इस पर गौर कर रहे हैं.
सिन्हा ने कहा, ‘हमें उनकी शिकायत मिली है और इस पर गौर किया जा रहा है. यह गलतफहमी के अलावा कुछ नहीं था.’
एम्स के वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी नरेश कुमार स्वामी 17 मई को अपनी 11 सप्ताह की गर्भवती पत्नी को एम्स के आपातकालीन विभाग में ले गए थे.
RIP JODHPUR AIIMS Administration.
Justice for covid warriors Mr and Mrs Naresh Swami.
From AIIMS Delhi family@drharshvardhan @ZeeNews @DainikBhaskar @JagranNews @News18Rajasthan @1stIndiaNews @zeerajasthan_ @ANI #Covid_19 #COVID19Pandemic pic.twitter.com/g8yCUfx77i— Kanishk Yadav (@KanishkAIIMS) May 26, 2020
उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी को रक्तस्राव हो रहा था इसलिए एम्स का कर्मचारी होने के नाते मैं अपनी पत्नी को इमरजेंसी में ले गया. लेकिन स्त्री रोग विभाग के डॉक्टर ने यह जानने के बाद कि हम शहर के कोरोना हॉटस्पॉट जोन में रहते हैं इलाज करने से इनकार कर दिया.’
स्वामी ने कहा कि उन्होंने डॉक्टर से अपनी पत्नी को देखने की गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल की कोविड-19 नीति का हवाला देते हुए, डॉक्टर ने उन्हें अपनी पत्नी को एक निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी.
स्वामी ने अगले दिन एक निजी अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज कराया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अस्पताल के डॉक्टर को गर्भपात करना पड़ा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्वामी ने एम्स पर कोविड-19 पॉलिसी के नाम पर इलाज से वंचित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उसकी पत्नी को समय पर इलाज मुहैया कराया जाता तो बच्चे को बचाया जा सकता था.
उन्होंने कहा, ‘अगर संस्था अपने स्वयं के कर्मचारियों के मरीजों के इलाज में ऐसा बर्ताव करता है तो एक आम बाहरी रोगी के लिए उनसे गंभीरता की क्या उम्मीद की जा सकती है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं हुआ है, ऐसी कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
उन्होंने अपने ज्ञापन में एसोसिएशन ने एक स्पष्ट नीति की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)