बीती नौ मई की सुबह अजीत जोगी को हार्ट अटैक आया था, उसके बाद से वह रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन पर छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
रायपुर/नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का दो बार दिल का दौरा पड़ने के कारण शुक्रवार को निधन हो गया. वह लगभग 20 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे.
रायपुर स्थित श्री नारायणा अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉक्टर सुनील खेमका ने शुक्रवार को यहां बताया कि 74 वर्षीय जोगी ने शुक्रवार दोपहर बाद 3:30 बजे अंतिम सांस ली.
अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अजीत जोगी का अंतिम संस्कार शनिवार को उनकी जन्मभूमि गौरेला में होगा.
जोगी को पिछले 20 दिनों में कई बार अटैक आया था.
डॉ. खेमका ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नौ मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से उनकी हालत नाजुक थी.
उन्होंने बताया कि शुक्रवार दोपहर बाद उन्हें लगभग डेढ़ बजे दिल का दौरा पड़ा और उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई. अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हो सके.
वेदना की इस घड़ी में मैं निशब्द हूँ।परम पिता परमेश्वर माननीय @ajitjogi_cg जी की आत्मा को शांति और हम सबको शक्ति दे।
उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा। pic.twitter.com/TEtAqsEFl4
— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) May 29, 2020
जोगी परिवार के सदस्यों के अनुसार अजीत जोगी नौ मई को सुबह व्हीलचेयर पर गार्डन में घूम रहे थे और उसी दौरान वह अचानक बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. भर्ती किए जाने के बाद से उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई.
जोगी के परिवार में उनकी पत्नी कोटा क्षेत्र की विधायक रेणु जोगी तथा पुत्र पूर्व विधायक अमित जोगी हैं.
बेटे ने अपने पिता के मृत्यु की पुष्टि करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया. केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं, अपना पिता खोया है. माननीय अजीत जोगी जी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर ईश्वर के पास चले गए. गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा हमसे बहुत दूर चला गया.’
जोगी परिवार के सदस्यों ने बताया कि जोगी के पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह नौ बजे रायपुर स्थित उनके निवास स्थान सागौन बंगले से बिलासपुर के निवास स्थान मारवाही सदन ले जाया जाएगा. यहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद बिलासपुर जिले के ही कोटा, रतनपुर होते हुए उन्हें उनके पैतृक स्थान ले जाया जाएगा. जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
भारतीय प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आए अजीत जोगी वर्तमान में मारवाही विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उनकी पत्नी रेणु जोगी कोटा क्षेत्र से विधायक हैं.
जोगी वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद यहां के पहले मुख्यमंत्री बने तथा वर्ष 2003 तक इस पद पर रहे. राज्य में वर्ष 2003 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी से पराजित हो गई थी.
राज्य में कांग्रेस नेताओं से मतभेद के चलते जोगी ने वर्ष 2016 में नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का गठन कर लिया था और वह उसके प्रमुख थे.
अजीत जोगी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दूसरे राजनेताओं ने शोक जताया है.
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और कुशल प्रशासक थे। छत्तीसगढ़ राज्य और वहां के लोगों के विकास के लिए वे बहुत सक्रिय रहे। उनके परिवारजन, मित्रों और समर्थकों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं!
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 29, 2020
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा है, ‘छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और कुशल प्रशासक थे. छत्तीसगढ़ राज्य और वहां के लोगों के विकास के लिए वे बहुत सक्रिय रहे. उनके परिवारजन, मित्रों और समर्थकों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं!’
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद श्री अजीत जोगी जी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ। मेरी संवेदनायें शोकाकुल परिजनों और सहयोगियों के साथ हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को आशीर्वाद प्रदान करें। ओम शांति! pic.twitter.com/CzGLxfedwJ
— Vice President of India (@VPIndia) May 29, 2020
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपना शोक संदेश ट्वीट किया है, ‘छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद अजीत जोगी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ. मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों और सहयोगियों के साथ हैं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. ओम शांति!’
Shri Ajit Jogi Ji was passionate about public service. This passion made him work hard as a bureaucrat and as a political leader. He strived to bring a positive change in the lives of the poor, especially tribal communities. Saddened by his demise. Condolences to his family. RIP.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 29, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘अजीत जोगी जनसेवा के लिए समर्पित थे. इस जनून की वजह से उन्होंने एक नौकरशाह और राजनेता के रूप में कड़ी मेहनत की. वह गरीब विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहे. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर शुक्रवार को दुख जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की.
I’m sorry to hear about the passing of Shri Ajit Jogi, former Parliamentarian & Chhattisgarh’s first CM. My condolences to his family, friends & followers in this time of grief. May he rest in peace.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 29, 2020
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुझे पूर्व सांसद और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बारे में सुन कर बहुत दुख हुआ. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. उनके परिवार, मित्रों और चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदना है.’
छत्तीसगढ़ में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी शासकीय समारोह आयोजित नहीं किए जाएंगे. जोगी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ 30 मई को गौरेला में होगा.
उनके निधन पर राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने शोक व्यक्त किया है.
राज्य में आज से तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया जाता है।
इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और इस दौरान कोई भी शासकीय समारोह आयोजित नहीं किए जाएंगे।
स्वर्गीय श्री जोगी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा। https://t.co/xOUbJG4vWq
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 29, 2020
राज्यपाल उइके ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर मुझे गहरा दुःख हुआ. मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूं. उनकी मृत्यु से प्रदेश को अपूरणीय क्षति पहुंची है. मैं उनके परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोगी के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है. बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि जोगी का निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है.
उन्होंने राज्य के विकास में जोगी के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ के तीव्र विकास की रूपरेखा तैयार की और एक कुशल राजनीतिज्ञ और प्रशासक के रूप में राज्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद जोगी के नेतृत्व में बनी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य करने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि जोगी ने छत्तीसगढ़ राज्य में गांव, गरीब और किसानों के कल्याण के लिए काम करने की दिशा निर्धारित की.
विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने भी जोगी के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
कौशिक ने कहा है कि अजीत जोगी ने भारतीय राजनीति और सामाजिक जीवन के सर्वोच्च स्थान को प्राप्त किया था. हम सबके लिये बड़ी क्षति है. जिसकी भरपाई संभव नही है.
डीएम से बने थे सीएम
भारतीय प्रशासनिक सेवा की अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत प्रमोद कुमार जोगी जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले संभवत: अकेले शख्स थे.
अविभाजित मध्य प्रदेश के बिलासपुर जिले के एक गांव में शिक्षक माता-पिता के घर पैदा हुए जोगी को करीब दो दशक पहले अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल है.
राजनीति में आने से पहले और बाद में भी लगातार किसी न किसी से वजह से हमेशा विवादों में रहे जोगी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बहुत प्रभावित थे और पत्रकारों तथा अपने नजदीकी मित्रों के बीच अक्सर एक किस्सा दोहराते थे.
उनकी इस पसंदीदा कहानी के मुताबिक अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनर अधिकारी के तौर पर जब उनका बैच तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिला तो एक सवाल के जवाब में इंदिरा गांधी ने कहा, ‘भारत में वास्तविक सत्ता तो तीन ही लोगों के हाथ में है- डीएम, सीएम और पीएम.’
युवा जोगी ने तब से यह बात गांठ बांध रखी थी. जब वह मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए तो एक बार आपसी बातचीत में उन्होंने टिप्पणी की थी, ‘हमारे यहां (भारत में) सीएम और पीएम तो कुछ लोग (एचडी देवेगौड़ा, पीवी नरसिंहराव, वीपी सिंह और उनके पहले मोरारजी देसाई) बन चुके हैं, पर डीएम और सीएम बनने का सौभाग्य केवल मुझे ही मिला है.’
हिंदी और अंग्रेजी पर समान अधिकार रखने वाले और अपने छात्र जीवन से ही मेधावी वक्ता रहे जोगी की राजनीतिक पढ़ाई मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अर्जुन सिंह की पाठशाला में हुई थी.
नौकरशाह के तौर पर सीधी जिले में पदस्थापना के दौरान वह अर्जुन सिंह के संपर्क में आए थे. सीधी अर्जुन सिंह का क्षेत्र था और युवा अधिकारी के तौर पर जोगी उन्हें प्रभावित करने में पूरी तरह सफल रहे थे. बाद में रायपुर में कलेक्टर रहते हुए वह तब इंडियन एअरलाइंस में पायलट राजीव गांधी के संपर्क में आए.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब जोगी इंदौर में जिलाधिकारी के तौर पर पदस्थ थे और सबसे लंबे समय तक डीएम बने रहने का रिकॉर्ड उनके नाम हो चुका था.
जून 1986 में उन्हें पदोन्नति के आदेश जारी हो चुके थे और जोगी इंदौर जिले में उनकी विदाई के लिए हो रहे आयोजनों में व्यस्त थे जब प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें फोन कर नौकरी से इस्तीफा देने और राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को कहा गया.
अपने एक संस्मरण में जोगी ने लिखा है कि वह बहुत धर्मसंकट में थे और अंत में पत्नी रेणु जोगी व मित्र दिग्विजय सिंह की सलाह मानते हुए उन्होंने नामांकन दाखिल करने का फैसला किया.
जोगी ने लिखा है कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें समझाते हुए न केवल राज्यसभा का प्रस्ताव स्वीकार करने की सलाह दी थी बल्कि यह भविष्यवाणी भी की थी कि राजनीति में उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल है.
जोगी के अनुसार, दिग्विजय ने कहा था, ‘भविष्य में कभी प्रदेश में किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो उसका गौरव भी मुझे ही हासिल होगा.’
यह संयोग ही था कि जब छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजीत जोगी के नाम पर मुहर लगाई तो राज्य के नेताओं व विधायकों के बीच सहमति बनाने की जिम्मेदारी उन्होंने उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को ही सौंपी.
कांग्रेस में आगे बढ़ने में जोगी को उनकी आदिवासी पृष्ठभूमि और नेतृत्व (गांधी परिवार) से नजदीकी का भरपूर फायदा मिला. लंबे समय तक वह गांधी परिवार के विश्वस्त नेताओं में रहे. एक समय कांग्रेस के भविष्य के नेताओं में उनकी गिनती होने लगी थी.
मुख्यमंत्री बनने के पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर उनका कार्यकाल आज भी याद किया जाता है. पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस के प्रवक्ताओं के तौर पर जो प्रमुख नेता पत्रकारों के बीच लोकप्रिय रहे उनमें महाराष्ट्र से पार्टी के प्रमुख नेता वीएन गाडगिल और उनके बाद जोगी ही थे.
नौकरशाह के तौर पर मिले प्रशिक्षण ने जोगी की वरिष्ठ नेताओं के बीच पहुंच आसान बनाने में काफी सहायता की और इसका पूरा फायदा उन्होंने जानकारियां हासिल करने और उन्हें सुविधानुसार मीडिया तक पहुंचाने में उठाया.
प्रवक्ता के तौर पर उनकी जो राष्ट्रीय छवि बनी उसने उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाने में काफी मदद की.
जोगी जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने तब उनके सामने तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके श्यामा चरण शुक्ल, उनके भाई विद्या चरण शुक्ल और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा जैसे दिग्गज थे. लेकिन इन सबका दावा खारिज कर सोनिया गांधी ने जोगी को प्राथमिकता दी.
जोगी का सबसे बड़ा तर्क होता था, ‘ये लोग कैसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इनमें से कोई भी स्थानीय छत्तीसगढ़ी भाषा में बात नहीं कर सकता.’
यह सही भी था. शुक्ल बंधु मूलत: उत्तर प्रदेश से थे और वोरा राजस्थान से, लेकिन जोगी को प्राथमिकता मिलने का कारण छत्तीसगढ़ी बोलने और समझने की उनकी योग्यता नहीं बल्कि उनका गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान होना था.
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी की ओर से की गई यह पहली महत्वपूर्ण नियुक्ति थी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले चुनाव 2003 में हुए और जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस यह चुनाव हार गई. मगर, जोगी को तब तक यह गुमान हो चला था कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता.
इस दौरान हुए एक स्टिंग आपरेशन से पता चला कि वह और उनके बेटे अमित जोगी भाजपा की सरकार गिराने के लिए कथित तौर पर विधायकों को पैसे की पेशकश कर रहे थे. इस कांड के छींटे सोनिया गांधी पर भी पड़े और यहीं से जोगी व गांधी परिवार के बीच दूरियां बननी शुरू हुईं.
बावजूद इसके किसी विकल्प के अभाव में कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें अगले चुनाव में भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया. लेकिन तब तक यह साफ हो चुका था कि न तो कांग्रेस नेतृत्व जोगी को और सहने के पक्ष में है और न ही जोगी की नेतृत्व में कोई आस्था बची है.
कांग्रेस में ठीक से बने रहने के लिए उनके पास एकमात्र सबसे बड़ी पूंजी के तौर पर सोनिया गांधी का विश्वास था और इसे गंवाने के बाद उनका जो हश्र होना था वही हुआ.
जोगी खुद को छत्तीसगढ़ के ली-क्वान यू (आधुनिक सिंगापुर के निर्माता) के तौर पर देखते थे. जोगी का मानना था कि राजनीति के क्षेत्र में दांव-पेंच, कूटनीति और छल-कपट के बिना सफलता प्राप्त करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होता है.
उनका मानना था कि, ली क्वान यू ने साबित किया कि इन सबके बिना भी आप सफल हो सकते हैं अगर आप कर्तव्यनिष्ठ और निष्ठावान हों तो.
मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने प्रशासनिक अनुभव के आधार पर जोगी ने नए राज्य की आधारशिला को मजबूत करने के लिए कई दूरदर्शी फैसले लिए, लेकिन इस बीच में वह ली-क्वान यू के उन दो गुणों को भूल गए, जो उनके ही शब्दों में सिंगापुर के महान नेता को बाकी राजनीतिज्ञों से अलग बनाते थे- कर्तव्यनिष्ठ और निष्ठावान होना.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)